दो मई 2021 को जैसे ही यह सुनिश्चित हुआ कि ममता बनर्जी की वापसी हो रही है, वैसे ही पश्चिम बंगाल सुलग उठा। हिंसा की आशंका यद्यपि थी ही, परन्तु यह नहीं ज्ञात था कि हिंसा का स्वरुप इतना वीभत्स होगा। यद्यपि पश्चिम बंगाल में चुनावों में हिंसा का इतिहास नया नहीं है। पश्चिम बंगाल में 1977 से 2007 के बीच चली राजनीतिक हिंसा में लगभग 28,000 लोगों की हत्याएं हुई थीं। इसी प्रकार जब से भारतीय जनता पार्टी का उभार पश्चिम बंगाल में होना आरंभ हुआ, तभी से भारतीय जनता पार्टी की नेताओं की हत्याएं वहां पर तृणमूल कांग्रेस के कैडर द्वारा आरम्भ हो गईं।
परन्तु 2 मई से जब से चुनावों के परिणाम आए हैं, तब से लेकर अब तक न जाने भाजपा के कितने लोग मारे जा चुके हैं, इसकी गिनती नहीं है। आधिकारिक सूचना 9 की है, परन्तु हिंसा के जो वीडियो आए हैं वह स्वयं में इतने वीभत्स हैं कि जिन्हें बताया नहीं जा सकता है। जिन्हें देखना ही लगभग असंभव है। पूरे इन्टरनेट पर वीडियो और तस्वीरें चीख चीख कर इस बात का प्रमाण दे रही हैं कि ममता बनर्जी के गुंडे क्या कर रहे हैं। पर मीडिया का एक धडा अभी तक शांत है और शांत ही नहीं है बल्कि बहुत आराम से ममता बनर्जी का समर्थन भी कर रहा है।
आज जब ममता बनर्जी ने शपथ ली है तो ऐसे में हिंसा के प्रतिरोध में भाजपा के नव निर्वाचित विधायकों ने इस हिंसा के विरोध में शपथ ली कि वह इस हिंसा का विरोध करेंगे और वह ममता के शपथ ग्रहण समारोह में नहीं गए, परन्तु हिंसा का अप्रत्यक्ष समर्थन करने वाले कथित पत्रकार अभी तक भाजपा को ही दोष दे रहे हैं। कई पर्यावरण एवं स्वास्थ्य संबंधी पत्रिकाओं में कार्यरत पत्रकार रणविजय सिंह, जो इस समय अपना सारा ध्यान केवल भाजपा के विरोध में लगा रहे हैं, वह इस बात से कुपित हैं कि भाजपा इस शपथ ग्रहण में सम्मिलित क्यों नहीं हुई? वह एक स्त्री के प्रति अहंकार से भरी हुई है।
अहंकार देखिए
ममता बनर्जी ने बताया था कि जीत के बाद PM मोदी ने कॉल तक नहीं किया.
आज BJP के लोग शपथग्रहण में शामिल तक नहीं हुए.
एक महिला से हारने की खीज समझिए. पुरुषों का अहंकार समझिए.
— Ranvijay Singh (@ranvijaylive) May 5, 2021
इन्हें हिंसा नहीं दिखी, इन्हें वह रोते हुए लोग नहीं दिखे! दिखे तो बस केवल और केवल वह विधायक जो अपने प्राणों की रक्षा किसी प्रकार तृणमूल कांग्रेस के गुंडों से कर पा रहे हैं। पूरा ट्विटर ऐसे वीडियो से भरा पड़ा है, जिनमें सौमित्र खान के ट्विटर से काफी भयावह वीडियो प्राप्त हो रहे हैं:
https://twitter.com/KhanSaumitra/status/1389604053433286659
इसी के साथ फेसबुक पर भी कई लोगों ने बंगाल के इस आतंक के वीडियो पोस्ट किए हैं
हावड़ा उत्तर से भाजपा प्रत्याशी के घर पर हमले का वीडियो भीतर तक सिहराने के लिए पर्याप्त है
CCTV footage of the attack on the office of *Shri Umesh Rai, BJP Candidate- Howrah Uttar* by the goons of TMC @narendramodi @AmitShah @amitmalviya @ShahnawazBJP @shivprakashbjp @BJP4Bengal pic.twitter.com/izMhxzCQnQ
— Saumitra khan (@KhanSaumitra) May 4, 2021
दिलीप घोष भी उन सभी टूटे हुए घरों की तस्वीरें साझा कर चुके हैं, जिन्हें सोनापुर उत्तर (बूथ 24) विधानसभा क्षेत्र में तोड़ा जा चूका है। उन्होंने लिखा कि लोग घर विहीन हो गए हैं। उन्होंने लोगों से मुलाक़ात की और उनके दर्द को सुना
More than 20 houses in Sonarpur North(Booth 24) assembly constituency have been vandalised. People are homeless and in pathetic state. Met them and heard about their plight.
BJP as a strong-knit family is firmly with the karyakartas and shall be with them in future as well. pic.twitter.com/0AOpiysanZ
— Dilip Ghosh (@DilipGhoshBJP) May 4, 2021
भाजपा के समर्थक अविजित सरकार ने मरने से पहले अपना वीडियो फेसबुक पर पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके सामने पार्टी कार्यालय जलाया जा रहा है और जो उसने कुत्ते पाले थे, उन्हें भी निर्दयता पूर्वक मार डाला गया. अविजित सरकार का वीडियो शुरुआती हिंसा का ही वीडियो है.
इसी के साथ कई कार्यकर्ताओं के शवों के भी चित्र हैं, जो दिल को दहला देते हैं, और एक भाव उत्पन्न करते हैं कि आखिर ऐसी क्या विशेष बात है उस प्रदेश की राजनीति में कि खून पीकर ही प्यास बुझती है। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए सुवेंदु अधिकारी ने आज कहा कि वह राजनीति में काफी लम्बे समय से है, ऐसे वातावरण का निर्माण वर्ष 2001 में तब हुआ था जब सीपीआई (एम) को कड़ी चुनौती देते हुए उस समय ममता बनर्जी ने 60 सीटों पर जीत हासिल की थी। उस समय कुछ ही क्षेत्रों में राजनीतिक हिंसा थी। पर इस बार यह पूरे राज्य में हो रहा है। एक विशेष धर्म के लोगों को ही अपना निशाना बनाया जा रहा है और उन्होंने कहा कि इस समय हालात विभाजन के समय के हालात हैं।
Situation is very serious. I've been in politics for a long time. Such an atmosphere was created in 2001 when CPI(M) was making an exit. At that time Mamata Banerjee got 60 seats. There was political violence in some areas: Suvendu Adhikari, BJP on post-poll violence in WB pic.twitter.com/LmZJibzSOX
— ANI (@ANI) May 5, 2021
हालांकि हिंसा में मारे गए लोगों में टीएमसी भी अपने कार्यकर्ता होने का दावा कर रही है। पर यह कितना सत्य है यह भी देखना होगा। हालांकि आज ममता बनर्जी द्वारा तीसरी बार शपथ ग्रहण करने के अवसर पर राज्यपाल द्वारा नव निर्वाचित मुख्यमंत्री को उनके कर्तव्यों का स्मरण कराया, पर वह कितना स्मरण रहेगा यह भी समय पर निर्भर करता है।
आभार राज्यपाल @jdhankhar1 जी , ममता बनर्जी और उसके मंत्री मंडल के बीच खड़े होकर बंगाल में भाजपा कार्यकर्ताओं पर हो रही हिंसा का आइना दिखाने के लिए 🙏 pic.twitter.com/GLx5qb6fo7
— Laxmikant bhardwaj (@lkantbhardwaj) May 5, 2021
बंगाल का रक्त रंजित इतिहास आज का नहीं है। विभाजन से पूर्व बंगाल में हुए नोआखाली दंगे कहीं न कहीं विभाजन की एक रूपरेखा रख रहे थे। जब बंगला में दंगे हुए, तो उन दंगों की लपट पूरे भारत में फ़ैल गयी और अंतत: इसका अंत विभाजन पर हुआ। इसी प्रकार जब पश्चिम बंगाल से हिंसक वामपंथ ने जन्म लिया तो वही शीघ्र ही पूरे देश में फ़ैल गया।
फैला ही नहीं बल्कि हर सोच का वैचारिक आधार हो गया। वामपंथ के ज्ञान को ही बुद्धिमत्ता का एकमात्र प्रतीक मान लिया गया, सबसे मजे की बात यह है कि आज की भाजपा का उद्गम स्थल भी पश्चिम बंगाल ही है, अर्थात श्यामा प्रसाद मुखर्जी! अत: जो लोग यह कहते हैं कि बंगाल जो आज सोचता है, पूरा देश आने वाले समय में सोचता है। तो क्या यह माना जाए कि अब पूरा देश इसी हिंसक राजनीति के मार्ग पर चलेगा? इस प्रश्न का उत्तर तो खैर अभी भविष्य में है, परन्तु यह भी सत्य है कि हिंसा से पीड़ित हिन्दू समाज अब क्या कदम उठाएगा, यह भी देखना होगा।
फ़िलहाल तो वहां पर पलायन का दौर चल रहा है, हिंसा की आशंका से डरे हुए हिन्दू अब असम की ओर जा रहे हैं। आज भाजपा नेता हिमंत बिस्वा सरमा ने एक ट्वीट में लिखा कि हिंसा के भय से पश्चिम बंगाल के कार्यकर्ता और परिवार के 300-400 सदस्यों ने असम में शरण ली है। हम उन्हें शरण और भोजन दे रहे हैं। और उन्होंने ममता बनर्जी से अनुरोध किया कि वह इस हिंसा को शीघ्र रोकें।
In a sad development 300-400 @BJP4Bengal karyakartas and family members have crossed over to Dhubri in Assam after confronted with brazen persecution & violence. We’re giving shelter & food. @MamataOfficial Didi must stop this ugly dance of demonocracy!
Bengal deserves better. pic.twitter.com/d3MXUvgQam
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) May 4, 2021
हालांकि अब ममता बनर्जी शपथ ग्रहण कर मुख्यमंत्री बन चुकी हैं एवं उन्हें प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा बधाई दी जा चुकी है, तो क्या यह आशा की जाए कि हिंसा का यह नंगा नाच समाप्त होगा या फिर केन्द्रीय बलों के जाने के बाद पुन: भाजपा के कार्यकर्ताओं के प्रति हिंसा पैदा होगी।
इस प्रश्न का उत्तर भी अभी भविष्य की गोद में ही है।
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