अंतत: आज वह सब हो ही गया, जिसके कारण पिछले सप्ताह कानपुर में बवाल किया गया था, कानपुर में हिंसा के बाद कार्यवाही अभी पूरी हो भी नहीं पाई थी कि आज पूरा देश जल उठा। बात वही कि नुपुर शर्मा ने जो अपमान किया है, वह नहीं सहा जाएगा। परन्तु आज भी कोई यह नहीं बता रहा है कि आखिर नुपुर शर्मा ने क्या गलत कहा था? और यदि कुछ संविधान के अनुसार गलत कहा था तो उसकी सजा संविधान के अनुसार ही होनी चाहिए!
प्रश्न आज की घटना से यही उठता है कि क्या इस देश में शरिया लागू है या हम किसी इस्लामिक देश में रह रहे हैं, जिसमें आप एक मजहब विशेष के विषय में कुछ कह नहीं सकते? क्या यह देश पूरी तरह से इस्लामिक देश में बदल गया है, जो नुपुर शर्मा के एक ऐसे तथ्य के पीछे कुछ लोग देश जला रहे हैं, जो पहले से ही इंटरनेट पर उपलब्ध है।
जिसे कई मौलवी आदि कई बार कह चुके हैं। फिर भी नुपुर शर्मा के उस बयान को लेकर आज देश क्यों जला? यह अधिकार मजहब विशेष को किसने दिया कि वह किसी की भी हत्या की मांग के लिए देश जला सकते हैं? प्रश्न यह भी है कि एक वर्ग जिसका जब मन होता है, वह देश को जला देता है। उसे बहाने चाहिए।
नुपुर शर्मा ने यदि आपके पैगम्बर की शान में गुस्ताखी की है तो कम से कम यह तो बताया जाए कि उसने क्या गुस्ताखी की है? क्या इस देश की जनता को यह जानने का यह भी अधिकार नहीं है कि जिस बात के कारण देश जल गया, वह बात थी क्या?
खैर, अब आते हैं आज के बवाल पर! आज की सबसे भयावह तस्वीर निकल कर आई कर्नाटक से, जहाँ पर नुपुर शर्मा का पुतला बनाकर टांग दिया गया:
नुपुर शर्मा का साथ देने वाली उदिता त्यागी ने भी यह प्रश्न पूछा कि आखिर जब कुछ नहीं मिला तो नुपुर शर्मा के बहाने आप देश जलाने निकले हैं। नुपुर शर्मा की उस टिप्पणी के बाद पार्टी ने उन्हें निष्कासित कर दिया, उन्होंने माफी मांग ली है और पुलिस ने उन पर एफआईआर भी कर ली है। फिर ऐसे में इस उन्माद का क्या अर्थ है? उन्होंने कहा कि वह अपनी बहन नुपुर शर्मा को अकेले नहीं छोड़ेंगी! उन्होंने साफ़ कहा कि यह देश भीड़तंत्र से नहीं, बल्कि संविधान से चलेगा!
जो प्रश्न उदिता के हैं, वही प्रश्न सभी के हैं, कि जब नुपुर शर्मा ने माफी मांग ली है और उन्हें पार्टी से भी निकाला जा चुका है तो ऐसे में वह क्या कारण है कि आज देश को जलाने के लिए निकल पड़े हैं। क्या यह कट्टरपंथी इस्लामिस्ट तत्वों का शक्तिप्रदर्शन है कि हम तो करेंगे ही करेंगे,
वहीं घटिया अंग्रेजी कानूनों को बदलने की लगातार बात करने वाले भारतीय जनता पार्टी के नेता अश्विनी उपाध्याय ने एक बार फिर दोहराया कि घटिया अंग्रेजी और कांग्रेसी कानूनों को समाप्त कर कठोर और प्रभावी क़ानून बनाना चाहिए
वही आनंद रंगनाथन ने भारत को इस्लामिक गणराज्य की संज्ञा देते हुए कहा कि इस्लामिक गणराज्य भारत में आपका स्वागत है, जहां पर आपका पुतला एक तार पर टांग दिया जाता है
वहीं तेलंगाना में भारत के राष्ट्रीय ध्वज को ही विकृत कर दिया गया। और उस पर सफेद पट्टी पर अशोक चक्र के स्थान पर कलमा लिख दिया गया
अश्विनी उपाध्याय लगातार अल्पसंख्यक की परिभाषा पर प्रश्न उठा रहे हैं और उन्होंने याचिका भी दायर कर रखी है। उन्होंने आज फिर अपनी बात दोहराई कि पत्थ्र्बाजों को यहाँ पर अल्पसंख्यक कहा जाता है
क्या यह अब लगातार होने वाला प्रयोग है कि किसी न किसी बात पर देश को ठप्प किया जाएगा? आखिर क्यों कानून एवं व्यवस्था का पालन कराने वाले संस्थान इस हिंसा पर मौन हैं, जो कभी सीएए, कभी किसान आन्दोलन तो अब जब कुछ नहीं मिला तो नुपुर शर्मा के नाम पर हो रही है, बस एक जिद्द कि नुपुर को फांसी हो?
परन्तु फांसी किसलिए हो और किस क़ानून के दायरे में हो, यह नहीं बताया जा रहा? रांची में नमाजियों ने जमकर की पत्थरबाजी और सुरक्षा बल यह कहते रहे कि “’सर, पत्थर चल रहा है।।।सर फोर्स भेज दीजिए, सर फोर्स भेज दीजिए’
दिल्ली में जामा मस्जिद से लेकर उत्तर प्रदेश में प्रयागराज, सीतापुर आदि शहर जल उठे। वहीं अब प्रश्न उन लोगों पर भी उठ रहे हैं जो लगातार इस मामले को ज़िंदा करके रखे हुए थे और जो बार बार कट्टरपंथी इस्लामिस्ट समूहों को भड़का रहे थे। पत्रकार अमन चोपड़ा ने सही प्रश्न किया कि
आज की तस्वीरों के लिए जितना बयान ज़िम्मेदार उतने ही वो लोग भी जो FIR और खेद के बाद भी लगातार एक वर्ग को उकसाने भड़काने का काम करते रहे।जो Forced apology से संतुष्ट नहीं थे,शायद अब संतुष्ट हैं ?इस भड़काऊ गैंग का कोई सदस्य पत्थर चलाने नहीं गया होगा,बस TV पर तस्वीरें देख रहे होंगे।
अब जब आज देश जल भी चुका है, आज देश के हर कोने से नुपुर शर्मा को गिरफ्तार करने की मांग लगातार आती जा रही है, तो ऐसे में लोगों के मस्तिष्क प्रश्न उठ रहा है कि आखिर नुपुर शर्मा ने कौन सी बात गलत कही और यदि कुछ गलत कहा है तो क्या उसका निर्णय देश जलाकर होगा और क्या यह देश शरिया से चल रहा है? यह देश संविधान से चल रहा है, और यदि संविधान से चल रहा है तो सभी के लिए अब विधान एक होना चाहिए, जैसा अश्विनी उपाध्याय कहते हैं कि
संविधान का अर्थ है समान विधान अर्थात सबके लिए समान शिक्षा, समान चिकित्सा, समान नागरिक संहिता और समान अवसर लेकिन भारत में बहुविधान चल रहा है
विशेष दर्जा, विशेष स्कूल, विशेष तालीम, विशेष नियम, विशेष कानून और विदेशी फंडिंग को तत्काल खत्म करना नितांत आवश्यक है
@narendramodi
नुपुर शर्मा के पुतले को कर्नाटक में इस प्रकार देखकर भारतीय क्रिकेट का मुख्य चेहरा रहे वेंकटेश प्रसाद ने भी कहा कि राजनीति को परे रखकर मानव हो जाएं
आज जो हुआ है, उससे इस देश का हिन्दू अत्यधिक आहत है, वह यह सोच नहीं पा रहा है कि उसके महादेव पर इतने अश्लील चुटकुले तक बनाए गए, और वह भी अधिकांश उसी समुदाय ने बनाए जो आज नुपुर शर्मा की गर्दन के लिए सड़क पर उतरा है, देश जला रहा है, मगर हिन्दुओं ने कभी देश नहीं जलाया और मगर नुपुर शर्मा द्वारा वह बात कहना जो इन्टरनेट पर उपलब्ध है, ऐसा अपराध कैसे हो गया कि देश ही जला दिया जाए?
परन्तु देश आज अपनी ही बेटी की इस प्रकार होती लिंचिंग को देख रहा है और वह उन लोगों की हिंसा भी देख रहा है, जो स्वयं को शांतिप्रिय कहते नहीं थकते हैं, उनके समुदाय का दोगला रूप आज देश के सामने आया है क्योंकि वह अभी तक यह नहीं बता रहे हैं कि आखिर अपमान किया कैसे है?
इस विषय में रईस पठान ने ट्वीट किया कि
किसी भी हिन्दू ने आज तक मंदिर से राना अयूब, आरफा खानम और सबा नकवी के खिलाफ ट्वीट नहीं किया जिन्होनें भगवान श्री कृष्ण और महादेव पर अपमानजनक टिप्पणियाँ कीं थीं
परन्तु इतने सहिष्णु होने के बाद भी हिन्दू ही असहिष्णु हैं और तभी आज नुपुर शर्मा की जान लेने के लिए उन्मादी भीड़ उतारू हैं! वे नुपुर शर्मा के लिए कमलेश तिवारी जैसा परिणाम चाहते हैं, दुर्भाग्य से मुस्लिम वोटों के लालची राजनीतिक दल भी इस उन्मादी भीड़ के सम्मुख सिर झुकाए खड़े हुए हैं और समस्या की गंभीरता न देखते हुए वह भी नुपुर शर्मा के पीछे पड़े हैं!