तालिबानियों ने एक बार फिर से अपनी हैवानियत दिखाते हुए अब स्थानीय गायक की हत्या कर दी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पूर्व आतंरिक मंत्री मसूद अंद्राबी ने अस्वाका न्यूज़ को बताया कि तालिबान ने एक स्थानीय अंद्राब गायक फवाद अंद्राबी की हत्या कर दी है। स्थानीय रिपोर्ट के अनुसार स्थानीय कलाकार फवाद अंद्राबी को उनके घर से घसीटकर बाहर लाया गया और फिर उनकी हत्या कर दी गयी।
फवाद एक लोकप्रिय लोक गायक थे, और उनके बेटे ने भी इस घटना की पुष्टि कर दी है। तालिबानियों के शासन के आने के बाद से ही कलाकारों में आशंका थी कि उनके साथ ऐसा होगा तभी कलाकार देश छोड़कर भागने लगे थे। अफगानिस्तान की पॉप गायिका अर्याना ने भी तालिबान की निंदा की थी और भारत की प्रशंसा की थी। पाकिस्तान को तालिबान के लिए दोषी ठहराया था।
फवाद अंद्राबी की हत्या संगीत को प्रतिबंधित करने के कुछ दिनों बाद हुई है। तालिबान ने साफ़ कह दिया है कि इस्लाम में संगीत हराम है, इसलिए संगीत पर प्रतिबन्ध रहेगा। इसके साथ ही कलाकारों पर भी प्रतिबन्ध लग गया है, एवं कॉमेडियन और कवि की हत्या करने के बाद अब स्थानीय गायक अंद्राबी की भी हत्या कर दी गयी है।
हालांकि तालिबान की तरफ से यह कहा गया था कि देश में संगीत पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाएगा और इस्लाम में संगीत की मनाही है, लेकिन हम उम्मीद कर रहे हैं कि हम लोगों को इस तरह की चीज़ों को न करने के लिए राजी कर सकें, और हम उन पर दबाव न डालें।
परन्तु सबसे ज्यादा रोचक यह तथ्य है कि जहां एक तरफ तालिबान संगीत, महिला एंकर्स आदि को प्रतिबंधित करता जा रहा है और औरतों और आदमियों की हत्या करता आ रहा है, वहीं भारत में एक बड़ा सेक्युलर वर्ग है जो तालिबान की प्रशंसा में कसीदे काढ रहा है।
अभी अधिक दिन नहीं हुए थे जब तालिबान द्वारा की गयी प्रेस कांफ्रेंस पर पूरा का पूरा सेक्युलर वर्ग फ़िदा हो गया था और बार बार यही कहा था “तालिबान भी प्रेस कांफ्रेंस कर रहा है, पर सात सालों में नरेंद्र मोदी ने एक भी प्रेस कांफ्रेंस नहीं की।” तालिबान ने शरिया की घोषणा की, पर सेक्युलर पत्रकार मौन रहे!
विदेशों में रह रहे अफगानों में इस घटना से खौफ भर गया है और वह कह रहे हैं कि 12 अगस्त से ही तालिबान ने अफगानिस्तान के उन कलाकारों की हत्या करना आरम्भ कर दिया है, जो अफगानिस्तान में शेष रह गए थे। और अब उन्होंने किशनाबाद गाँव से एक लोक गायक की हत्या कर दी है। उनका अपराध केवल यही था कि वह गा रहे थे और जो तालिबानियों के हिसाब से इस्लाम में गुनाह है।
Since 12 August, #Taliban has started executing #Afghanistan's artists those are left in their country. Fawad Andarabi, a traditional singer from Kishnabad village of Andarab was executed by Taliban yesterday. His crime was singing which from their point of view is sin in Islam. pic.twitter.com/oZxCSiAdmZ
— Babak Taghvaee – Μπάπακ Τακβαίε – بابک تقوایی (@BabakTaghvaee) August 28, 2021
इस घटना की यूएनएसआरसीकल्चर ने भी आलोचना की है और कहा है कि यूनेस्को में सांस्कृतिक अधिकारों पर यूएन की विशेष पत्रकार होने के नाते, मैं दिया खान, जो कलात्मक स्वतंत्रता पर यूनेस्को की गुडविल एम्बेसडर हूँ, फवादअंद्राबी की हत्या की निंदा करती हूँ और हम सरकारों से मांग करते हैं कि वह तालिबान से कहें कि वह कलाकारों का आदर करें और हम सरकारों से यह भी अनुरोध करते हैं कि वह अफगानिस्तान से कलाकारों एवं सांस्कृतिक कलाकारों के लिए बाहर निकलने के विशेष मार्ग खोजें, जिससे कलाकार अपने निर्वासन में अपना कार्य जारी रख सकें
As UN Special Rapporteur on cultural rights, w @UNESCO Goodwill Ambassador on artistic freedom @Deeyah_Khan, I express grave concern abt reports of the terrible killing of singer #FawadAndarabi
We call on governments to demand the Taliban respect the #humanrights of #artists pic.twitter.com/7Q8XhvtWQL
— @UNSRCulture (@UNSRCulture) August 28, 2021
अफगानिस्तान में हर रोज कलाकारों की हत्याएं हो रही हैं, फिर वह कौन सा वर्ग है जो तालिबान की प्रशंसा कर रहा है? भारत में दिया मिर्जा जैसे लोग बार बार यह तो कह रहे हैं कि अफगानिस्तान में लोगों की रक्षा की जाए, पर रक्षा किससे की जाए, इस बात पर यह लोग नहीं बोल रहे हैं। तालिबानियों ने मनोरंजन के सभी माध्यमों पर रोक लगा दी है। यहाँ तक कि वह अम्यूजमेंट पार्क भी जला दिया है, जो मनोरंजन के लिए था।
The Bokhdi Amusement Park was set on fire by Taliban insurgents in Begha, Sheberghan. The reason is that the statues/idols standing there are in Public access Idols are illegal in Islam, This is the logic of the Taliban's brutal emirate. The homeland is occupied.#Afghanistan pic.twitter.com/MBuYsQQbxk
— Ihtesham Afghan (@IhteshamAfghan) August 17, 2021
यह अम्यूजमेंट पार्क उन्होंने इसलिए जला दिया था क्योंकि वहां पर मूर्तियाँ लगी थीं और इस्लाम के अनुसार मूर्तियाँ हराम हैं।
परन्तु भारत में लिबरल वर्ग या सेक्युलर वर्ग इन तालिबानियों की प्रशंसा कर रहा है कि इस बार वह सुधरे हुए है।
उन्होंने आते ही कॉमेडियन, कवि, और अब गायक को मारा, इसके लिए भी उनका तर्क यही है कि वह अब सुधर रहे हैं।
उन्होंने लड़कियों को घरों में बंद कर दिया और कहा कि जब तक स्थिति सामान्य नहीं होती, आप घर से न निकलिए, तो भी यही कहेंगे कि वह अब सुधर रहे हैं।
उन्होंने भारत के लिबरल पत्रकारों के प्रिय पत्रकार दानिश सिद्दीकी की हत्या की तो भी भारतीय लिबरल का जबाव यही होगा – तालिबान अब सुधरे हुए हैं।
हिन्दुओं के प्रति घृणा में आकंठ डूबे यह तालिबान प्रेमी पत्रकार और लेखक, अपनी असलियत खुलने के डर से यह सब कर रहे हैं, दरअसल इतने वर्षों से इस्लाम के प्रति फैलाया गया झूठ इनका खुल रहा है, और इनकी झूठी कहानियां, तालिबान द्वारा उस कट्टरपंथी इस्लाम से हार रही हैं, जो वह लागू कर रहा है, इसलिए यह बौखला रहे हैं और अपने झूठ को सही साबित करने के लिए, हिन्दुओं को गाली देकर तालिबानियों से प्रेम का प्रदर्शन कर रहे हैं।
क्या आप को यह लेख उपयोगी लगा? हम एक गैर-लाभ (non-profit) संस्था हैं। एक दान करें और हमारी पत्रकारिता के लिए अपना योगदान दें।
हिन्दुपोस्ट अब Telegram पर भी उपलब्ध है. हिन्दू समाज से सम्बंधित श्रेष्ठतम लेखों और समाचार समावेशन के लिए Telegram पर हिन्दुपोस्ट से जुड़ें .