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Thursday, April 25, 2024

नुपुर शर्मा का साथ देने वालों को भी धमकी दे रहे हैं कट्टरपंथी इस्लामिस्ट? गाजियाबाद की भाजपा नेता डॉ उदिता त्यागी पर हुए हमलावर कट्टरपंथी इस्लामिस्ट!

नुपुर शर्मा के बहाने एक मुखर आवाज को दबाने में कट्टरपंथी मुस्लिम सफल हुए हैं। ऐसा प्रतीत होता है जैसे उन्होंने कुछ नामों को लक्षित किया है, जो हिन्दू धर्म को लेकर मुखर हैं और जो जिहाद को समझते हैं। जो इस बात को समझते हैं कि अंतत: हिन्दू धर्म को लेकर खतरा क्या है? जिहाद को समझने वालों के लिए एक विशेष लॉबी सक्रिय हो गयी है और वह बार बार उन लोगों को अपना निशाना बना रही है, जो चाहते हैं कि जिहाद पर बात हो, जो चाहते हैं कि ऊपर हवा हवाई बातें न हों बल्कि अब समाधान पर बात हो,

तभी नुपुर शर्मा को उस विशेष लॉबी ने अपना शिकार बनाया है। चूंकि नुपुर ने पहले से ही ज्ञात एवं इन्टरनेट पर उपलब्ध तथ्यों को कुछ उग्र तरीके से बता दिया, इसीलिए वह विशेष लॉबी उनके पीछे पड़ गयी एवं मामला बढ़ते बढ़ते उनके निलंबन तक पहुँच गया। यदि लोगों को यह लगता है कि नुपुर शर्मा के साथ यह मामला समाप्त हुआ है, तो यह उनकी बहुत ही बड़ी गलतफहमी है क्योंकि कहानियाँ तो अब आरम्भ हुई हैं।

खेल तो अब आरम्भ हुआ है क्योंकि अब कट्टरपंथी इस्लामिस्ट लॉबी अपने बौद्धिक आकाओं के साथ उन सभी मुखर महिलाओं या कहें आम लोगों पर प्रहार कर रही है, जो जिहाद के खतरों को समझती हैं। या फिर जो नुपुर शर्मा के साथ खडी हुई हैं। या फिर जिन्होनें नुपुर शर्मा के समर्थन में ट्रेंड चलाए थे। जम्मू कश्मीर में तीन लोगों पर एफआईआर मात्र इसी बात को लेकर दर्ज की गयी थी जिन्होनें नुपुर शर्मा के पक्ष में लिखा था!

ऐसी ही एक और नेता हैं भारतीय जनता पार्टी की गाजियाबाद की नेता डॉ उदिता त्यागी। वह भारतीय जनता पार्टी की महिला मोर्चा की पश्चिम क्षेत्र की मंत्री हैं। उन्होंने नुपुर शर्मा का समर्थन किया था, और उनके समर्थन में एक वीडियो post किया था।

इसी बात को लेकर कट्टरपंथी इस्लामिस्ट लोग उनसे चिढ़ गए। उन्होंने अपने वीडियो में कहा था कि नुपुर शर्मा उनकी पुरानी सहयोगी है और वह नुपुर शर्मा के साथ हैं। और उन्होंने यह भी कहा था कि जिहादी नुपुर शर्मा को कोई नुकसान न पहुंचाएं। ऐसा कहते ही कट्टरपंथी इस्लामिस्ट तत्व उनसे चिढ गए और फिर उन्हें धमकियां मिलनी आरम्भ हो गईं। डॉ उदिता त्यागी का फाउंडेशन पूरे गाजियाबाद में सौन्दर्यीकरण अभियान में सक्रिय रहता है और उन्होंने ही गाजियाबाद रेलवे स्टेशन आदि पर सुन्दर सुन्दर तस्वीरें उकेरी हैं, भारत का इतिहास भी उकेरा है।

जब उन्होंने अपने काम को पोस्ट किया और लिखा

“दीवारें बोल उठेंगी

नॉएडा ग़ाज़ियाबाद अंडरपास!”

इसी ट्वीट पर उनके साथ अभद्रता आरम्भ हुई और उन्हें कट्टरपंथी इस्लामिस्ट तत्वों द्वारा अपशब्द बोले जाने लगे। यह भी ज्ञात हो कि डॉ उदिता त्यागी पूर्व में मिसेज इंडिया भी रह चुकी हैं।

उदिता त्यागी के साथ हुई अभद्रता के कुछ उदाहरण

जब उन्होंने पुलिस को सोशल मीडिया पर ट्वीट किया तो गाजियाबाद पुलिस ने कहा कि वह कृपया स्थानीय थाने पर एक लिखित तहरीर दे,अभियोग पंजीकृत कर अग्रिम विधिक कार्यवाही की जायेगी।

उसके बाद उन्होंने लिखित में रिपोर्ट दर्ज कराई। परन्तु यह तो अपशब्द बोलने वाले कट्टरपंथी इस्लामिस्ट थे, जिनके साथ पुलिस कार्यवाही कर सकती है। उनका क्या, जो इन कट्टरपंथी इस्लामिस्ट तत्वों को रक्षा कवर देते हैं!

द वायर ने बनाई भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की सूची और कट्टरपंथी इस्लामिस्ट तत्वों को जैसे संकेत दिया है

अब बारी थी इन तत्वों को बौद्धिक कवर देने वाले मीडिया की। अपनी विशेष मानसिकता के लिए कुख्यात द वायर, ने भारतीय जनता पार्टी के ऐसे दस नेताओं की सूची बनाई है, जो जिहाद की समस्या को लेकर मुखर रहते हैं। और इसका शीर्षक दिया है “10 Times When BJP Leaders (Not Fringe) Made Anti-Muslim Hate Speeches”

https://thewire.in/communalism/bjp-leaders-fringe-anti-muslim-remarks-gulf-countries

इसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ से लेकर उदिता त्यागी तक सम्मिलित हैं।

इसमें दंगाइयों को मुस्लिम मानते हुए बुलडोजर को भी आपत्तिजनक मान लिया गया है। इसके साथ ही कई और नेताओं के नाम हैं। इसी क्रम में डॉ उदिता त्यागी का नाम भी इस सूची में है। इसमें लिखा है कि “धर्म संसद” में भारतीय जनता पार्टी की महिला मोर्चा की नेता भी सम्मिलित थीं, परन्तु वायर यह नहीं बता पाया कि क्या डॉ उदिता त्यागी ने कुछ ऐसा बोला था, जो आपत्तिजनक हो?

नहीं! द वायर ने मात्र अपना एजेंडा चलाकर डॉ उदिता त्यागी की उस मुखर आवाज को दबाने का कार्य किया है, जो जिहाद के खतरों से सावधान करती रहती हैं। द वायर ने मात्र इतना लिखा है कि उदिता ने do politics नामक चैनल पर यति नरसिंहानंद सरस्वती का समर्थन किया है।

इस विषय में हमने भी डॉ उदिता त्यागी से बात करने का प्रयास किया तो उन्होंने कहा कि यह सब जानबूझकर किया जा रहा है। हम अपने पाठकों के लिए उनका विस्तृत साक्षात्कार शीघ्र ही लाएंगे, जिससे पाठक यह समझ पाएं कि वह क्या कार्य करती हैं और किस प्रकार वह जिहाद के विरोध में खड़ी हैं।

प्रश्न यह है कि द वायर जैसे पोर्टल कभी भी मदनी आदि को यह नहीं कहता कि वह हिन्दुओं के विरुद्ध हिंसा को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष समर्थन दे रहे हैं। ज्ञानवापी को लेकर कथित नास्तिक, वामपंथी, मुस्लिम और कांग्रेसी एवं कई और लोगों ने जिन्हें भारतीय जनता पार्टी से घृणा है, उन्होंने पार्टी के प्रति घृणा निकालने के लिए महादेव का जो अपमान किया, वह सब इन पोर्टल्स को नहीं दिखता है।

द वायर जैसे पोर्टल्स मुखर हिन्दू स्त्रियों को कहीं न कहीं कट्टरपंथी इस्लामिस्ट तत्वों के सामने प्रकट कर देते हैं, कि यही हैं, जो मुखर हैं, इनकी आवाज जैसे भी हो दबाई जाए। इसी बात को लेकर कल उदिता ने ट्वीट भी किया कि

“द वायर में मेरे बारे में छपी असत्य बातों के विषय में DM और SSP साहब को लिखित शिकायत की

योजनाबद्ध तरीक़े से सनातनी महिलाओं को कट्टरपंथियों के सामने फेंका जा रहा है

मुझे यदि कुछ भी होता है तो इन्हें ज़िम्मेदार माना जाए”

यह बहुत बड़ा दुर्भाग्य है कि मीडिया का एक बड़ा धड़ा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर और राजनीतिक अल्पसंख्यकवाद के नाम पर बहुसंख्यक हिन्दू समाज के विरोध में एवं कट्टरपंथी इस्लामी तत्वों के पक्ष में जाकर खड़ा हो जाता है, पृथक पहचान के नाम पर हिजाब, नकाब, बुर्के आदि का समर्थन करने लगता है! दंगाइयों के विरुद्ध की गयी कार्यवाही को मुस्लिमों के विरोध में की गयी कार्यवाही बताता है और जिहाद के विरोध में उठ रही आवाजों को मुस्लिमों के विरोध में उठी आवाज बताता है, जबकि यह दोनों ही अलग अलग हैं!

एवं सबसे मजेदार बात यही है कि ऐसे पोर्टल्स मुस्लिम समाज में परस्पर हो रहे शोषण जैसे हलाला, तीन तलाक आदि पर मौन ही रहते हैं तथा कहीं न कहीं मौन रहकर इस्लामी कट्टरपंथ के ही पक्ष में जाकर तो खड़े नहीं हो जाते हैं?

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