पूरे विश्व की दृष्टि उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनावों पर लगी हुई है। दिन ब दिन ध्रुवीकरण और भी तेज होता जा रहा है। परन्तु सबसे मजेदार बात यही है कि मजहब के नाम पर राजनीति करने वाले और हिन्दू विरोध की पत्रकारिता करने वाले पत्रकारों ने एक ऐसे शब्द पर शोर मचाना शुरू कर दिया, जिसे उसी अर्थ में प्रयोग किया जाता है, जिस अर्थ में उसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने किया है।
योगी आदित्यनाथ ने आजतक से बातचीत में कहा कि कोई भी बच्ची स्वेच्छा से हिजाब नहीं पहनती है। फिर उन्होंने तीन तलाक की पीड़िताओं का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मैं भगवा पहनता हूँ, पर मैं किसी पर थोपता नहीं। उन्होंने कहा कि संस्थान की यूनीफोर्म होती है, और उस पर कोई आपत्ति नहीं जता सकता।
और उसके बाद उन्होंने कहा कि इस देश में औरतों के आगे बढ़ने में सबसे बड़ी बाधा कठमुल्लों की है। अब कठमुल्ला शब्द सुनकर ही इस देश का वह वर्ग एकदम से कुपित हो गया। हालांकि कठमुल्ला शब्द का प्रयोग आज से नहीं होता आ रहा है। और सभी जानते हैं कि इस शब्द को किसलिए प्रयोग किया जाता है, परन्तु ओवैसी जैसे लोग इसी ताक में रहते हैं कि कैसे भी वह चर्चा में आ जाएं और वही मुस्लिमों के रहनुमा बन जाएं।
हालांकि वह बार बार बुर्कानशीं के पक्ष में बात करते हैं और हिजाबी को प्रधानमंत्री बनाना चाहते हैं, परन्तु अपनी पार्टी में औरतों का प्रतिनिधित्व कितना देते हैं, वह सुशांत सिन्हा ने उस दिन अपने वीडियो में दिखाया था:
उन्होंने बताया था कि aimim के बिहार और तेलंगाना के विधायकों में कितनी औरतें हैं, वह हैं शून्य! महाराष्ट्र में दोनों विधायकों की एक भी हिजाबी औरत नहीं है।
दरअसल ओवैसी जैसे लोग हिजाब की तरफदारी करते हैं तो उन्हें कठमुल्ला की संज्ञा दी जाती है। अब इस शब्द पर उन्हें आपत्ति है:
ठीक है, अब इस शब्द पर आपत्ति हो सकती है, परन्तु चूंकि उर्दू अशराफों की जुबां है, वह उन्हें बेहतर समझ आती होगी। अब इस शब्द का अर्थ क्या है? पहले यह देखते हैं और समझते हैं। जब हमने इस शब्द का अर्थ रेख्ता पर देखा, जो पूरी तरह से उर्दू के लिए समर्पित वेबसाईट है, तो उसका अर्थ निकलकर आया
कठमुल्ला के हिंदी अर्थ
संज्ञा, पुल्लिंग
वह मुल्ला, जो काठ के मनकों की माला फेरता ह
संकुचित विद्या का मालिक, हट-धर्म मौलवी, कट्टर मौलवी, मूर्ख, अनपढ़ और कट्टर मुल्ला या मौलवी
दुराग्रही व्यक्ति
(लाक्षणिक) मूर्ख या नकली धर्म-गुरु या मौलवी

अब ओवैसी से यह पूछना चाहिए कि क्या वास्तव में कठमुल्ले ही मुस्लिम औरतों के दुश्मन नहीं हैं? परन्तु न ही ओवैसी से यह सवाल पूछे जाएंगे और न ही उन लोगों से जो इस शब्द को लेकर योगी जी को घेर रहे हैं और स्पष्ट है कि उसमें योगी जी के बहाने हिन्दू धर्म से नफरत करने वाले पत्रकार भी मौजूद हैं, जैसे अजित अंजुम, जो हाल ही में योगी जी का समर्थन करने वाली आम जनता से अभद्रता से बात करते हुए दिखाई दिए थे,
हालांकि उन्हें कई लोगों ने यह समझाने का प्रयास किया, परन्तु जो सच देखे वह कथित सेक्युलर पत्रकार कैसे हुआ?
हालांकि अभी अजित अंजुम जैसे बड़े पत्रकार समाज के एक वर्ग के लिए बहुत ही आपत्तिजनक भाषा प्रयोग करते हुए पाए गए थे, जिसमें उन्होंने चूडा चमार शब्द का प्रयोग किया था। दरअसल अजित अंजुम जैसे पत्रकारों को यह गुस्सा है कि लोग उनके एजेंडे पर क्यों नहीं चलते हैं।

न ही कथित सेक्युलर मानवतावादियों को समझा सकते हैं कि उर्दू समझो भाई!
एक यूजर ने कहा कि यह शब्द इस्लाम की कट्टरता को फैलाने वालों और उन लोगों के लिए प्रयोग किया जाता है जिसे सेक्युलर और लिबरल समाज ने इस्लाम में मुल्लाओं की कट्टरता को बताने के लिए बनाया था।
यह देखना बहुत ही हैरान करता है कि उर्दू और मुस्लिमों के नाम पर अपना कैरियर बनाने वाले पत्रकार और उर्दू जानने वाले ओवैसी भी “कठमुल्ला” शब्द का अर्थ नहीं जानते हैं?