“दिल्ली के स्कूलों में रोहिंग्या मुस्लिमों के बच्चों को एडमिशन दिलाने हाई कोर्ट पहुँच गया ‘सोशल ज्यूरिस्ट’, याचिका खारिज: कहा- यह अंतरराष्ट्रीय मुद्दा, हम नागरिकता नहीं दे सकते”, ऑपइंडिया, अक्टूबर 30, 2024
“दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार (29 अक्टूबर 2024) को म्यांमार से भारत आए रोहिंग्या मुस्लिमों के बच्चों को स्कूल में दाखिला देने के लिए दिल्ली सरकार को निर्देश देने की माँग पर विचार करने से इनकार कर दिया। दायर की गई जनहित याचिका (PIL) में दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम के स्थानीय स्कूलों में प्रवेश देने का निर्देश देने की माँग की गई थी।
दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को सुझाव दिया कि इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्रालय से संपर्क किया जा सकता है। कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा, “इसमें पहला कदम हाई कोर्ट नहीं हो सकता। पहले सरकार से संपर्क करें… जो आप सीधे नहीं कर सकते, उसे आप अप्रत्यक्ष रूप से भी नहीं कर सकते। कोर्ट को इसमें माध्यम नहीं बनना चाहिए।”
हाई कोर्ट ने कहा कि ये बच्चे भारतीय नहीं हैं। इसलिए इसमें अंतर्राष्ट्रीय निहितार्थ शामिल हैं। न्यायालय ने कहा कि इस मामले में नीतिगत निर्णय की आवश्यकता है, जिस पर निर्णय लेने के लिए भारत सरकार सबसे उपयुक्त है। उन्होंने कहा, “‘बच्चे’ का मतलब यह नहीं है कि पूरी दुनिया यहाँ आ जाएगी। ये अंतरराष्ट्रीय मुद्दे हैं। सुरक्षा और राष्ट्रीयता पर इनका असर पड़ता है…..”
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