बिहार के गोपालगंज में एक शिव मंदिर में फ़िरोज़ आलम नाम के युवक द्वारा पवित्र शिवलिंग पर मूत्र त्याग कर अपवित्र करने का समाचार आया है। इस घटना के सामने आते ही शहर में साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गयी थी। हालांकि फ़िरोज़ आलम को हिरासत में ले लिया गया है,परन्तु इससे मंदिर की पवित्रता पर किया गया कुकृत्य क्षमा तो नहीं किया जा सकता है।
मीडिया के अनुसार शहर के सिनेमा रोड स्थित प्राचीन शिव मंदिर में शिवलिंग को फ़िरोज़ आलम नामक युवक ने मूत्र त्यागकर अपवित्र कर दिया। पुलिस के अनुसार मंदिर के पुजारी सागर कुमार पांडेय के आवेदन पर प्राथमिकी करने के बाद आरोपित युवक को जेल भेज दिया गया है।
इस घटना के बाद लोगों का आक्रोश बढ़ गया और उन्होंने मंदिर के बाहर आगजनी करके बवाल आरम्भ कर दिया। पुलिस ने उन लोगों पर भी कार्यवाही की बात की है।
परन्तु बात केवल गोपालगंज तक ही सीमित नहीं है और न ही एक मन्दिर तक सीमित है। अभी मध्यप्रदेश से भी एक मंदिर से एक मुस्लिम युवक द्वारा मंदिर में अश्लील हरकतें करते हुए वीडियो वायरल हुआ था।
उससे पहले कर्नाटक से ऐसा ही एक समाचार आया था। वह समाचार इसलिए और भी चौंकाने वाला था, क्योंकि इसमें मंदिर को नहीं बल्कि तीर्थयात्रियों को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया गया था। कर्नाटक पुलिस ने 16 दिसम्बर को दत्ता पीठ की ओर जाने वाली सड़क पर कीलें बिछाने के आरोप में दो युवकों को हिरासत में लिया था।
इन दोनों लोगों सहित कई लोगों ने तीर्थ यात्रा को प्रभावित करने के लिए और तीर्थ यात्रियों को नुकसान पहुंचाने के लिए यह कदम उठाया था। दोनों आरोपियों की पहचान शाहबाज़ और वाजिद हुसैन के रूप में हुई है। दोनों ही चिक्कमगलरू के दुबई नगर के रहने वाले हैं।
चिक्कमगलरू की पुलिस जिला सुपरिटेंडेंट उमा प्रशांत के अनुसार लोगों ने शिकायत की थी कि 6 दिसंबर से 8 दिसंबर के बीच होने वाले त्यौहार के दौरान वाली दत्ता पीठ यात्रा के रास्ते में छोटी छोटी कीलें बिछी हैं।
पुलिस ने अपने आप मामला दर्ज किया और जांच शुरू कर दी। और उसके बाद इन दोनों को हिरासत में ले लिया गया।
पुलिस के अनुसार “चूंकि लोग दत्त जयंती भव्य तरीके से मना रहे थे, उन्होंने (आरोपी) सोचा कि ऐसा नहीं होना चाहिए। उन्होंने कीलें लगाने का फैसला किया, जो वाहनों के टायरों को पंचर कर देगी और वाहनों की आवाजाही को बाधित करेगी। वे चाहते थे कि वाहन रुकें और तीर्थयात्रियों को परेशानी हो।”
इसके चलते कई वाहनों के टायर पंचर हो गए थे और जो इतने लम्बी यात्रा में पैदल चल रहे थे, उनके पैरों में कीलें चुभीं और उन्हें बहुत परेशानी हुई। पुलिस के अनुसार यह सौभाग्य की बात है कि कोई बुरी घटना नहीं हुई। इस यात्रा में हजारों श्रद्धालु पहुंचे थे और वाहनों का आना जाना नियमित था।
मीडिया के अनुसार बजरंग दल, विश्वहिन्दू परिषद के सदस्य एवं पुलिस सभी ने मिलकर इस लम्बे रास्ते की सफाई की थी। इस घटना के विषय में बात करते हुए भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव एवं स्थानीय विधायक सीटी ravi ने कट्टर मानसिकता वाले लोगों की निंदा की और हिन्दू तीर्थयात्रियों की प्रशंसा की कि वह इतनी कठिनाइयों के बाद भी तीर्थयात्रा पूरी कर सके।
यह शोभा यात्रा इसलिए विशेष थी क्योंकि न्यायालय एवं सरकार के आदेशों के अनुसार हिन्दू पुजारियों को इस मठ में पहली बार पूजा करने की अनुमति दी गयी थी।
यह दोनों ही घटनाएं जिनमें जानबूझकर हिन्दुओं की धार्मिक आस्था को इस प्रकार अपमानित किया गया, वह न ही प्रथम है और न ही अंतिम! ऐसा होता आया है और होता रहता है। हिन्दुओं के मंदिरों में यदि प्रवेश को लेकर कोई नियम बनाया जाता है तो हिन्दुओं को असहिष्णु ठहराने का प्रयास किया जाता है तो वहीं हिन्दू मंदिर अपने श्रद्धालुओं के लिए भी कोई नियम बनाता है तो उसे लेकर भी विमर्श ऐसा बनाया जाता है जैसे हिन्दू ही सबसे असहिष्णु हैं।
जबकि टूटते हुए मंदिरों को लेकर भी हिन्दू अपनी पीड़ा नहीं लिख सकता है। वह इस बात की भी पीड़ा नहीं व्यक्त कर सकता कि कोई मुहम्मद शाहबाज और वाहिद हुसैन उसकी धार्मिक यात्रा में रास्ते में कीलें डालकर व्यवधान उत्पन्न करना चाहते हैं, जरा कल्पना करें कि यदि कोई गाड़ी अनियंत्रित होकर पैदल तीर्थयात्रियों पर चढ़ जाती तो क्या होता?
यह घटना किस हद तक की घृणित मानसिकता का प्रदर्शन करती है कि जिसमें दूसरे विश्वास वाले व्यक्ति को अपना धर्म पालन करने की आजादी है ही नहीं! कोई तीर्थ यात्रा पर है तो रास्ते में कीलें बिछा दी जाएं? और लोग मारे जाएं!
और कोई जाकर महादेव पर मूत्र त्याग कर सकता है? यह किस हद तक की घृणित मानसिकता है? इसे समझना ही किसी भी सभ्य सभ्यता की कल्पना से परे है कि कोई ऐसा भी कर सकता है? परन्तु भारत में ऐसा होता है, हिन्दुओं के साथ यह होता ही आ रहा है!