भारत में हिन्दुओं के खिलाफ घृणा थमने का नाम नहीं ले रही है। हालांकि अब यह बढ़ते बढ़ते विदेशों तक पहुँच गयी है, परन्तु फिर भी बात भारत की, क्योंकि भारत कहने के लिए अवश्य ही हिन्दू बहुलता वाला देश है, परन्तु प्रार्थमिकता कहीं न कहीं कथित अल्पसंख्यक हैं। रोज ही नए मामले सामने आते रहते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। उत्तर प्रदेश में मिर्जापुर में विद्यार्थियों के चन्दन का टीका लगाए जाने पर मुस्लिम टीचर का गुस्सा भड़क गया।
और फिर उसने न केवल विद्यार्थियों की डांट लगाई बल्कि मंदिर को भी तीन दिनों तक बंद करा दिया।
क्या था मामला?
मामला दरअसल इंटर कॉलेज में बने हुए मंदिर से सम्बन्धित है। जिले के लालगंज में बापू उपरौध इंटर कॉलेज है। अब उसी कॉलेज के परिसर में एक शिव मंदिर है। इस मंदिर में नियमित रूप से पूजा पाठ होता रहता है और पंडित रामश्री मिश्रा यहाँ पर पुजारी है। पुजारी श्री रामश्री मिश्रा के अनुसार
रोजाना सुबह पूजा के बाद मंदिर के गेट पर चंदन रख दिया जाता है। कालेज खुलने पर छात्र और छात्राएं मंदिर में माथा टेकते हैं। इसके बाद चंदन का टीका लगाकर क्लास में जाते हैं। यह परंपरा कई सालों से चली आ रही है। 8 सितंबर को प्रधानाचार्य डॉ। धर्मजीत सिंह कोर्ट के काम से बाहर गए थे। इस दिन शिक्षक मोहम्मद कासिफ कालेज के इंचार्ज थे। अर्थात 8 सितम्बर को।
माथे पर चन्दन का टीका देखकर भड़क उठे
विद्यार्थी बताते हैं कि वह रोज के ही हिसाब से मंदिर से चंदन का टीका लगाकर अपनी अपनी कक्षाओं में गए और माथे पर चन्दन का टीका देखते ही कासिफ भड़क गया और पुजारी को मद्निर बंद करने को लेकर धमकाते हुए कहा कि “जिस दिन मैं कॉलेज का प्रभारी रहता हूँ, उस दिन मंदिर का गेट बंद रखा कीजिए। शाम 4 बजे के बाद ही गेट खोला करिए।” इसके बाद मंदिर को बंद किया गया।
जब प्रधानाचार्य डॉ धर्मजीत सिंह 12 सितम्बर को कॉलेज पहुंचे तो उन्होंने मंदिर बंद होने का कारण पूछा, तो पुजारी जी ने उन्हें पूरी बात बताई!
आजतक के अनुसार इस घटना की जानकारी पुजारी ने स्थानीय लोगों को दी एवं फिर इसकी जानकारी विश्व हिन्दू परिषद तक पहुँची। विहिप के जिला उपाध्यक्ष हरिचरण मिश्रा का कहना है कि शिक्षक कासिम के रहते हुए ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। वह हिंदुओं से नफरत करते हैं।
वहीं स्थानीय लोगों का भी कहना है कि शिकायत पर कार्यवाही नहीं हो रही है। इसी बीच आरोपी टीचर मोहम्मद कासिफ ने सफाई देते हुए कहा है कि “मैं 2005 से इस विद्यालय में पढ़ा रहा हूं। मैंने कभी पुजारी को ऐसा करने से नहीं रोका। मैंने उस दिन छात्रों से बस क्लास में जाने के लिए कहा था, जिसका पुजारी ने गलत अर्थ निकाला है।”
इस घटना से स्थानीय लोगों में रोष है और देखना होगा कि शिकायत कर कोई कदम उठाया भी जाता है या नहीं। भास्कर के अनुसार प्रधानाचार्य डॉ धर्मजीत सिंह ने कहा कि वह उस दिन कॉलेज में उपस्थित नहीं थे, अत: मामले की जांच कराई जाएगी और फिर दोषी टीचर के खिलाफ कदम उठाया जाएगा!
दुर्भाग्य की बात यह है कि इस प्रकार की घटनाओं में कोई ऐसा कदम नहीं उठाया जाता है जिससे हिन्दुओं के पति इस घृणा को कम किया जा सके बल्कि होता यह है कि चेतावनी आदि देकर छोड़ दिया जाता है, परन्तु इन सबके मध्य जो देवता तीन दिनों तक बिना किसी पूजा के रहते हैं, एक परम्परा टूटती है, उसके लिए उत्तरदायी कौन है? या फिर हिन्दू समाज की कोई भावना, कोई पीड़ा, कोई संवेदना है ही नहीं! प्रश्न बहुत हैं, परन्तु दुर्भाग्य से इनका उत्तर देने के लिए व्यवस्था नहीं है!
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