मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के प्रकाश नगर इलाके में विश्वेश्वर महादेव मंदिर में एक जिहादी वसीम हस्तमैथुन करते हुए सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया। इसमें एक और घृणित करने वाला तथ्य यह है कि वसीम एक हिन्दू महिला भक्त की ओर इंगित करते हुए यह घिनौना कृत्य कर रहा था।
यह एक ऐसी घटना है जो किसी भी स्वयंभू समुदाय का सिर शर्म से झुका देगी, लेकिन इस्लामवादियों को तो कोई फर्क ही नहीं पड़ता। सीसीटीवी फुटेज में देखा जा सकता है कि शिवलिंग के सामने गर्भगृह में वसीम बैठा हुआ है। उसी समय सामने एक महिला भक्त जो महादेव के दर्शन के लिए गर्भगृह में आयी थी, उसे देख वसीम ने अत्यंत घिनौने हाव भाव दिखाते हुए हस्तमैथुन करना शुरू कर दिया था।
इस घटना से आक्रोशित स्थानीय लोगों ने इस जघन्य कृत्य का विरोध किया और जिहादी को गिरफ्तार करने की मांग करने लगे। स्थानीय भाजपा नेता मनीष शर्मा भी लोगों के साथ पुलिस को ज्ञापन देने गए, जिसके पश्चात वसीम को गिरफ्तार कर लिया गया। संयोगिता गंज पुलिस स्टेशन के स्टेशन हाउस ऑफिसर टी काजी ने बताया, “हमें कल सूचना मिली थी कि एक व्यक्ति ने प्रकाश नगर के मंदिर में अश्लील हरकतें की हैं। उस मामले की जांच कराई गई है और आरोपी पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के अंतर्गत मामला दर्ज कर लिया गया है।
पुलिस ने उपलब्ध सीसीटीवी फुटेज की जांच कर ली है और वसीम के फोन की भी जांच की जा रही है। पुलिस यह भी जांच रही है कि क्या वसीम किसी प्रकार के नशे का आदी तो नहीं है, क्योंकि एक क़ाज़ी ने यह दावा किया है कि वसीम को नशे की लत थी, जिसके प्रभाव में उसने यह कुकृत्य किया होगा।
हालांकि यहां यह भी देखने में आया है कि जब भी कोई जिहादी ऐसा कुकृत्य करते हुए पकड़ा जाता है, उनके मजहबी नेता मौलाना आदि यहाँ बहाना बनाते हैं कि अमुक व्यक्ति किसी मानसिक विकार से पीड़ित है या नशे का आदी है। ऐसा कर वह इन जिहादियों के अपराध पर लीपापोती कर उन्हें बचाने का प्रयास करते हैं। यह इस जिहादी पारिस्थितिक तंत्र की एक सामान्य रणनीति है, जिसका उपयोग यह लोग हिंदू मंदिरों के अपवित्रता करने वाले, और इस प्रकार के आपराधिकता को बढ़ावा देने वाले तत्वों का बचाव करने के लिए ही कहीं न कहीं करते हैं।
यह पहली बार भी नहीं है जब किसी जिहादी ने हिंदू मंदिर को अपवित्र करने का प्रयास किया हो, और ऐसा नहीं लगता कि यह अंतिम होगा। यह भी एक बहुत बड़ा दुर्भाग्य है कि ऐसी ख़बरों को हमारे संभ्रांत समाचार निर्माता दबा देते हैं, वहीं सेक्युलर समुदाय के लिए तो ऐसी खबरें महत्त्व ही नहीं रखती हैं । वहीं अगर इसका उलट हो और किसी मुस्लिम व्यक्ति के विरुद्ध या इस्लामिक प्रार्थन स्थल पर ऐसी हरकत होती तो अब तक यह खबर अंतराष्ट्रीय स्तर पर उठाई जा चुकी होती और इस्लामोफोबिया का हल्ला मचा कर इसे एक आक्रामक विमर्श में बदल दिया जाता।