कंतारा फिल्म दिनों दिन नए रिकॉर्ड बनाई जा रही है। रोहित शेट्टी की यह फिल्म पूरी तरह से हिन्दू धर्म पर आधारित है। यह फिल्म दरअसल हर प्रकार के विभाजक नैरेटिव को तोडती है। यह बताती है कि दरअसल जिन देवों के नाम पर वामपंथी एवं मिशनरी विमर्श भारत के हिन्दू वनवासियों को हिन्दुओं से अलग करना चाहता है, वह देव हिन्दू ही हैं। इस फिल्म में भगवान विष्णु के वराहावतार की पूजा अंत में दिखाई है।
यह फिल्म हिन्दू धर्म के प्रति हो रहे हर विकृत विमर्श का काट करती है, यही कारण है कि यह फिल्म लगातार चर्चा में है एवं अभी तक देखी जा रही है। हालांकि इस फिल्म के विषय में इतना लिखा गया है कि उस पर लिखना संभवतया उन्हीं सब प्रशंसाओं का विस्तार होगा। यहाँ पर बात उस घटना की, जो इस फिल्म एवं इस फिल्म के विमर्श अर्थात हिन्दुओं के विमर्श के साथ जुडी है। यहाँ बात उस घटना की जिसके चलते हिन्दुओं को बदनाम करने का प्रयास न केवल भारत के बाएँ खेमे ने किया बल्कि पूरे विश्व में हिन्दुओं के विरुद्ध विष उगलने वाली मुस्लिम संस्था काउंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशंस अर्थात केयर ने भी किया।
क्या थी घटना?
यह घटना थी 9 दिसंबर 2022 की, जब एक मुस्लिम जोड़े को कान्तारा फिल्म देखने से रोके जाने का समाचार आया। हिन्दुस्तान टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि गवाहों के अनुसार दोनों ही कॉलेज विद्यार्थी केरल के थे और वह केवीजी संस्थानों में पढ़ रहे थे, वह संतोष थिएटर में फिल्म देखने गए थे। लड़की का हिजाब देखकर दुकानदार ने मुस्लिम लड़के को सतर्क किया।
और फिर एक समूह ने उन्हें धमकाया और इस रिपोर्ट के अनुसार हमलावर हिन्दू संस्कृति का समर्थन कर रहे थे।
इसी समाचार को लेकर लेफ्ट का मीडिया हमलावर हो गया और हिन्दू धर्म को कोसने के लिए तैयार वह वर्ग हिन्दुओं पर हमला करने के लिए अपने कीबोर्ड्स को नुकीला करने लगा।
दस्तक टाइम्स ने भी हिन्दुस्तान टाइम्स की ही रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह दावा किया कि यह हमला हिंदूवादी विचारों वाले लोगों ने किया था। यहाँ तक कि दैनिक भास्कर ने जो अपनी रिपोर्ट दी उसमे भी हिन्दुस्तान टाइम्स की ही रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिखा कि हमला करने वाले लोग हिंदू कल्चर से संबंध रखते थे और मुस्लिम कपल को कांतारा देखने से रोकना चाहते थे।
परन्तु क्या यही सत्य था? सत्य दरअसल वह था, जो इन पोर्टल्स ने नहीं बताया। सच्चाई यह थी कि जिन लोगों ने उस मुस्लिम जोड़े को फिल्म देखने से रोका था, वह मुस्लिम ही थे अब्दुल हमीद, अशरफ, सादिक, जबीर और सिद्दीकी बोरुगिद्दे! पीड़ित इम्तियाज और उसकी दोस्त ने जो रिपोर्ट दर्ज कराई उसके अनुसार इन लोगों ने उन्हें जान से भी मारने की धमकी दी थी।
मगर हल्ला मच चुका था। हल्ला इस हद तक मच चुका था कि इसे अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बनाने का प्रयास किया गया कि हिन्दुओं ने मुस्लिमों को “हिंदूवादी” फिल्म देखने से रोका। हमास के साथ सम्बन्ध रखने वाली मुस्लिम संस्था काउंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशंस अर्थात केयर के नेशनल कम्युनिकेशन डायरेक्टर ने ट्वीट किया कि भारत में इस्लामोफोबिया है
यह बहुत ही हैरानी भरा ट्वीट था क्योंकि आरोपी तो मुस्लिम ही थे, फिर इस्लामोफोबिया कैसे फ़ैल सकता था? और इस्लामोफोबिया की बात ही कैसे कोई सोच सकता है? परन्तु हिन्दुओं के विरुद्ध एजेंडा चलाने वाले ऐसा ही करते हैं। रश्मि सामंत ने लिखा कि, दरअसल यही हिन्दूफोबिया है
इस ट्वीट की हर स्तर पर आलोचना हुई और इसे भारत को बदनाम करने वाले वाली हरकत कहा गया। क्योंकि इन शब्दों का उद्देश्य दरअसल भारत और हिन्दुओं को बदनाम करने का ही था
कांग्रेस के एक मुस्लिम नेता द्वारा भी यही स्थापित करने का प्रयास किया गया कि आखिर यह देश कहाँ जा रहा है? आखिर इस देश में असहिष्णुता कितनी बढ़ गयी है, टाइप का ट्वीट किया गया और कांग्रेस के नेताओं को टैग करके कहा गया कि कृपया इसे देखें
हालांकि हर बात पर हिन्दुओं को कोसने वाले लोग अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत और हिन्दुओं को बदनाम नहीं कर सके, परन्तु उन्होंने प्रयास भरपूर किया। यह भी विस्मय उत्पन्न करता है कि जब भी भारत को बदनाम करने की ऐसी घटनाएं होती हैं या फिर मुस्लिमों पर मुस्लिम ही अत्याचार करते हैं, ऐसे समय में शाहरुख़ खान, आमिर खान सहित सभी लोग मौन धारण क्यों कर लेते हैं? न ही नसीरुद्दीन शाह कुछ कहते हैं और शेष के मुंह से तो एक भी शब्द नहीं निकलता है।
आखिर ऐसा क्यों है? इब्राहिम हूपर ने जिन और संस्थानों को इस ट्वीट में टैग किया था, वह सभी हिन्दू विरोधी ही हैं, उन्होंने hindus4HR , आईएएमसी को भी टैग किया। केयर सहित यह तीनों ही ऐसे संगठन हैं, जो पूरी तरह से भारत विरोधी हैं। केयर ही वह समूह था जिसने हिन्दू विरोधी डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व सम्मलेन को समर्थन दिया था। और वह हिन्दू विरोधी पत्रकार राना अयूब के साथ भी खड़ा रहता है।
भारत और हिन्दुओं को बदनाम करने की यह चाल हालांकि विफल हुई, परन्तु ऐसा नहीं होगा कि आगे झूठ नहीं फैलाया जाएगा,
सारे भांड खानों की।फिल्मों का बहिष्कार करो !!!!!!!!!!!!!
Even watching a film is looked down upon! Does not that Muslim couple have their fundamental rights to watch a film show certified & released by the Indian Film Censor Board? Our citizens are heading to experience a big uprise, in the near future, on the basis of religious hate and supersititions.