सावन के पावन महीने में कांवड़ यात्रा निकाली जाती है, जिसका धार्मिक और आध्यात्मिक महत्त्व है, जिसमे भोले बाबा के भक्त जोर शोर से भाग लेते हैं। कोरोनाकाल के पश्चात पहली बार सावन में कांवड़ यात्रा आयोजित की जा रही है, जिस कारण भक्तों में अभूतपूर्ण उत्साह देखने को मिल रहा है। शिव भगवान् के भक्त जहां २ वर्ष बाद मिले इस अवसर से आल्हादित हैं, वहीं प्रशासन भी पूरे जोश के साथ व्यवस्था बनाने में लगा हुआ है।
उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड राज्यों का प्रशासन पिछले कुछ महीनों में हुई मजहबी हिंसक घटनाओं के पश्चात हरसंभव प्रयास कर रहा है कि राज्यों में कानून व्यवस्था की स्थिति बेहतर बनी रहे और अवांछनीय तत्वों को इस पावन महीने में अपराध करने से रोका जाए। परन्तु जिहादी तत्वों को चैन नहीं है, वह कुछ न कुछ ऐसा करने के प्रयास में हैं कि जिससे समाज में बैर बढ़े एवं साथ ही हिन्दू बदनाम हों।
उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में कांवड़ यात्रा के दौरान सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ने की कोशिश की गई है, भगवा साफा बांधकर दो सगे मुस्लिम भाईयों ने सैकड़ों साल पुरानी तीन पीर बाबाओं की मज़ार पर तोड़फोड़ और आगजनी की, ताकि शांतिमय माहौल हिंसा में परिवर्तित हो जाए। हालांकि जिले के डीएम और पुलिस एसपी की सूझबूझ से शहर में सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के प्रयासों को रोक दिया गया है। पुलिस ने दोनों सगे भाइयों को गिरफ्तार कर लिया है, जिनसे गहनता से पूछताछ की जा रही है। पुलिस के अनुसार दोनों मुस्लिम भाई बिजनौर के शेरकोट इलाके के ही रहने वाले हैं।
पुलिस के अनुसार यह घटना बिजनौर के शेरकोट क्षेत्र की है, जहां पर रविवार शाम दो सगे भाई आदिल व कमाल ने हिन्दू धर्म के भगवा कपडे धारण किये और सैकड़ों साल पुरानी दरगाह भूरे शाह बाबा व जलालशाह बाबा व तीसरी क़ुतुब शाह की मज़ार को तहस नहस करने चले गए। इतना ही नहीं दोनों जिहादी भाइयों ने मज़ार पर चढ़ी सभी चादरों को जला दिया। पुलिस की प्रारंभिक जांच में यही पता चला है कि प्रदेश में सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न करने के उद्देश्य से ही दोनों भाइयों ने भगवा रंग का चोला पहनकर इस काम को किया।
सौभाग्य से दोनों भाइयों को यह कृत्य करते हुए कुछ लोगों ने देख लिया था, उन्होंने तुरंत ही पुलिस को इस घटना की जानकारी दी। आनन-फानन में बिजनौर डीएम और पुलिस एसपी ने घटनास्थल पर पहुंच कर स्थिति को नियंत्रण में लिया और तुरन्त टूटी तीनों मज़ारों पर मरम्मत का काम शुरू करा दिया । इसके अतिरिक्त पुलिस ने दोनों आरोपी भाइयों को गिरफ्तार कर लिया जिनसे कड़ाई से पूछताछ की जा रही है।
परिजनों ने बताया बहाना, दोनों भाइयों को बताया मानसिक रोगी
जैसा कि हमे आशा थी, दोनों जिहादी भाइयों के घरवालों ने इन्हे मानसिक रूप से बीमार बताया है। यह एक सामान्य सा बहाना है, जिसका उपयोग गंभीर अपराध करने पर मिलने वाले दंड को कम करने और जनता में सहानुभूति उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। हमारे देश में ऐसे बहनों से लोग पिघल जाते हैं, उनके ह्रदय में अपराधी के प्रति थोड़ी नरमी आ जाती है, और यह परिवार भी यही प्रयास कर रहा है।
जिहादियों का है पुराना फार्मूला, हिन्दू प्रतीकों का दुरूपयोग कर आतंकवादी हमले करना
बिजनौर में भगवा वस्त्र पहन कर मजार तोड़ी गयी हैं, अगर इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी ना होते, तो शायद इसका दुरूपयोग किया जाता, इसका दोष हिन्दुओं पर लगाया जाता और फिर दंगे भी हो सकते थे। ऐसी ही एक घटना 2008 में मुंबई में भी हुई थी, जब पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हिन्दू नाम रख कर, हिन्दू नाम के पहचान पात्र रख कर, हाथों में भगवा कलावा पहन कर ताज होटल और अन्य स्थानों पर हमला कर 160 से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी।
ये तो सौभाग्य था हिन्दुओं का, और वीरता थी महान बलिदानी तुकाराम ओम्ब्ले जी की, जिन्होंने कसाब को जिन्दा पकड़ने के लिए अपना बलिदान दे दिया था । अन्यथा उस आतंकवादी घटना को भी हिन्दुओं के सर पर मढ़ने की पूरी तैयारी कर ली गयी थी। कुछ ऐसा ही प्रयास बिजनौर में भी किया गया था। हिन्दुओं को ऐसे परिस्थितयों में बहुत ही संयम और सजगता से काम लेना होगा।