15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से प्रधानमन्त्री मोदी ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई का आह्वान किया था। प्रधानमन्त्री मोदी ने कहा था कि अब उन्हें देश की जनता के समर्थन की आवश्यकता है, भ्रस्टाचार के इस दानव के संहार के लिए। ऐसा लग रहा है कि केंद्र सरकार ने अब मन बना लिया है इस समस्या के समाधान के लिए, यही कारण है कि पिछले कुछ महीनों में एकाएक सीबीआई, इनकम टैक्स, और प्रवर्तन निदेशालय ने देश भर में छापे मारे हैं, और सैंकड़ो लोगों को गिरफ्तार भी किया है।
इसी चरण में इनकम टैक्स विभाग ने विदेशी धन हासिल करने में विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) के प्रावधानों के उल्लंघन को लेकर बुधवार 7 सितम्बर को एक मीडिया फाउंडेशन के अलावा दिल्ली स्थित शोध संस्थान ‘सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च’ (सीपीआर) तथा वैश्विक गैर-सरकारी संगठन ऑक्सफैम इंडिया और बेंगलुरु स्थित इंडिपेंडेंट एंड पब्लिक स्पिरिटेड मीडिया फाउंडेशन (आईपीएसएमएफ़) के विरुद्ध देश भर में एक सघन जांच अभियान चलाया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कर अधिकारियों ने गैर-सरकारी संगठन और धर्मार्थ संगठन क्षेत्र के तीन और संगठनों के खिलाफ औचक कार्रवाई की।
विभाग के अधिकारियों ने इन संगठनों के परिसरों का दौरा किया और एफसीआरए के प्रावधानों के उल्लंघन से संबंधित विषयों के तहत खातों और वित्तीय लेनदेन की जांच की। सूत्रों के अनुसार इन संस्थाओं के कार्यालय के कर्मचारियों और मुख्य निदेशकों तथा पदाधिकारियों से भी पूछताछ की गई। चाणक्यपुरी में धर्म मार्ग स्थित सीपीआर कार्यालय परिसर, ऑक्सफैम इंडिया, सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च और बेंगलुरु स्थित इंडिपेंडेंट एंड पब्लिक स्पिरिटेड मीडिया फाउंडेशन आदि पर यह छापे पड़े थे। आयकर विभाग एफसीआरए के माध्यम से प्राप्त धन की रसीद के साथ-साथ इन संगठनों के बही-खातों का अध्ययन कर रहा है।
क्या है आईपीएसएमएफ़?
यह एक गैर सरकारी संस्था है जो मीडिया संस्थानों की फंडिंग करता है। यह खोजी पत्रकारिता के नाम पर सरकार की नीतियों और उसके कार्यों को लेकर गंभीर प्रश्न पूछने के नाम पर जनता को भ्रमित करने का काम करती है। यह संस्था द कारवां, द प्रिंट, द न्यूज मिनट, ऑल्ट न्यूज़, और द वायर जैसे मीडिया को आर्थिक सहायता देती है। इसके अध्यक्ष पत्रकार टीएस निनन हैं, जबकि ट्रस्टियों में अभिनेता अमोल पालेकर सम्मिलित हैं। इसके दानकर्ताओं में अजीम प्रेमजी, गोदरेज और नंदन नीलेकणी सम्मिलित हैं।
इस संस्था पर चीन से आर्थिक मदद लेने का आरोप भी लगता रहा है। इस संस्था से सम्बद्ध सभी मीडिया पोर्टल झूठी खबरें फैलाने के लिए कुख्यात रहे हैं, वहीं इन पर सरकारी और कानूनी कार्यवाही भी होती ही रहती है।
क्या है सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (सीपीआर)?
1973 में स्थापित यह थिंक टैंक सरकार की नीतियों का आलोचनात्मक विश्लेषण करने के लिए जाना जाता है । कुछ समय पहले तक शिक्षाविद प्रताप भानु मेहता इसका नेतृत्व करते थे, जो वर्तमान भाजपा सरकार के एक प्रमुख आलोचक है। इस संस्था के बोर्ड की अध्यक्षता मीनाक्षी गोपीनाथ करती हैं । गोपीनाथ जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में पढ़ाती थीं और दिल्ली में लेडी श्रीराम कॉलेज की प्रिंसिपल भी रह चुकी हैं।
सीपीआर की सीईओ और डायरेक्टर हैं यामिनी ऐय्यर, जो कांग्रेस नेता मणिशंकर ऐय्यर की बेटी हैं। वह मोदी सरकार की वैश्विक और आर्थिक नीतियों का विरोध करती हैं, और यही कारण है कि उन्हें फोर्ड फाउंडेशन और ओमिड्यार जैसे भारत विरोधी संस्थाओं से आर्थिक मदद भी मिलती है।
क्या है ऑक्सफैम इंडिया?
ऑक्सफैम इंडिया को भी इस कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ा है। ऑक्सफैम एक ब्रिटिश संस्था है जो गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के वैश्विक संघ का भाग है। इस संस्था को भी फोर्ड फाउंडेशन, रॉकफेलर समूह, और गेट्स फाउंडेशन के द्वारा आर्थिक सहायता दी जाती है। इस संस्था के एफसीआरए लाइसेंस पिछले वर्ष रद्द कर दिया गया था, क्योंकि इस संस्था ने भारतीय सरकार के नियमों का पालन नहीं किया था।
ऑक्सफैम इंडिया के महत्त्व को इससे समझा जा सकता है कि इस पर लगे प्रतिबन्ध को हटाने के लिए ब्रिटैन कि सरकार ने भारत सरकार से निवेदन भी किया था, हालांकि भारत सरकार ने उनके अनुरोध को नहीं माना था। यह संस्था अपनी वेबसाइट पर लिखती है कि यह भारतीय संविधान में कल्पना के अनुसार एक न्यायपूर्ण और समावेशी देश बनाने के लिए सरकारों से नीतिगत बदलाव की मांग करने के लिए जनता के साथ अभियान चलती रहेगी। अर्थात यह समाजसेवा के आवरण में देश विरोधी गतिविधियां करती रहेगी।
इस तरह की संस्थाएं देश के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं, यह विदेशों से आर्थिक सहायता लेती हैं, उनका कोई लेखा जोखा सरकार को नहीं देती हैं। इनका ध्येय होता है मीडिया का उपयोग कर भारत की गलत छवि बनाना और वामपंथी विचारधारा का प्रचार प्रसार करना। इन संस्थाओं पर साक्ष्यों के आधार पर विधि सम्मत कार्यवाही जरूर होनी चाहिए।