spot_img

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

spot_img
Hindu Post is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
39.1 C
Sringeri
Thursday, March 28, 2024

भारत के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में हिन्दुओं के विरुद्ध असहिष्णुता एवं हिंसा – हिन्दू लिंचिंग पर चुप्पी क्यों?

भारत संविधान और कानून से चलता है। यहाँ के समाज जीवन में हिंसा का कोई स्थान नही होना चाहिए। हर प्रकार की हिंसा, चाहे वह कोई भी करे और वह किसी के भी खिलाफ हो, निंदनीय और अक्षम्य है।

हाल के दिनों में देश के अनेक भागो में कतिपय मुसलमानों के द्वारा हिन्दुओं की मोब लिंचिंग और अन्य प्रकार की हिंसा की अनेक घटनाएँ सामने आई हैं। जिससे स्पष्ट होता है कि मुस्लिम समाज, विशेषतौर पर मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में असहिष्णु होता जा रहा हैं। हिन्दुओं के खिलाफ लिंचिंग द्वारा हत्या, बालात्कार, लूट-पाट, धर्म-स्थानों का अपमान जैसी असंख्य घटनाएँ हो रही है।

हमको बहुत कष्ट देने वाली कुछ घटनाओं का मैं केवल उदाहरणार्थ जिक्र कर रहा हूँI

1. असम

असम के कामरूप जिले में अभी 24 मई को सब्जी बेचने वाले सनातन डेका की कार में सवार 5 लोगों ने हत्या कर दीI बताया जाता है कि इसका कारण सब्जी बेचने वाले की साइकिल का कार से टकरा जाना थाI इनमे से दो फैजुर हक और युसूफुद्दीन अहमद अभी गिरफ्तार हुए हैI

2. बिहार

बिहार के बेगूसराय जिले के नूरपुर में गत 10 जून को रात्रि 1:00 बजे तीन मुस्लिम गुंडे एक दलित के घर में घुसे, पिस्तौल के दम पर एक दलित महिला के साथ दुष्कर्म किया और उसकी बेटी के साथ दुष्कर्म का असफल प्रयास किया। इस परिवार द्वारा इन जिहादियों में से एक अपराधी लड्डू आलम पुत्र फिरोज आलम का नाम बताने पर भी वे अपराधी अभी भी पीड़ितों को धमकाते घूम रहे हैं। वहां का थाना अधिकारी, सुमित कुमार, उल्टे पीड़ित दलितों को धमका रहा है तथा इस बर्बर कांड को सोशल मीडिया के माध्यम से समाज के सामने लाने वालों को कार्यवाही की धमकी दे रहा है।

इस परिवार को अपनी जमीन बेचकर गांव खाली करने की धमकी इन जिहादियों के द्वारा मिलती रही है. इस दलित परिवार द्वारा लगभग 1 माह पहले इन जिहादियों के विरूद्ध शिकायत करने पर भी  पुलिस तथा प्रशासनिक संरक्षण के कारण कोई कार्यवाही नहीं की गई. इसके परिणाम स्वरूप सामूहिक दुष्कर्म का यह कांड घटित हुआ है।

ऐसी ही घटनाएँ एक नहीं अन-गिनत हैं। किशनगंज में 15 वर्षीया हिन्दू दलित लड़की के साथ मुसलमानों द्वारा सामूहिक बलात्कार कर हत्या का मामला हो या बेगूसराय अनुमंडल में सरैया गांव में रामायण पढ़ने वाले युवकों को रमजान के महीने में रामायण नहीं पढ़ने देने हेतु राहुल पोद्दार परिवार से मारपीट, नालंदा मे हिन्दू व्यवसाइयों द्वारा ओउम् ध्वज लगाने पर मुकदमा हो या सीतामढ़ी, बेगूसराय, पूर्णिया, अररिया, कटिहार तथा पूर्वी चम्पारण इत्यादि अनेक स्थानों पर चल रहे सुनियोजित षडयंत्र, सभी में इस्लामिक जिहादियों के अत्याचारों और प्रशासन का उनको कहीं प्रत्यक्ष तो कहीं परोक्ष सहयोग स्पष्ट दीखता है।

3. पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल में हाल ही में, लाक डाउन के दौरान मेडिकल इमरजेन्सी होने के बाद भी हुगली जिला, भद्रेसर तहसील के तेलनी पाड़ा गाँव में तीन दिन तक लगातार  हिन्दूओं पर  हमला किया गया, उनके घर जलाए गए, महिलाओं को निशाना बनाया गया तथा उनके साथ मार पीट भीकी गई लेकिन, पुलिस निष्क्रिय रही।

मालदा के हरिशचंद्र ब्लाक में हिन्दू बस्तीमें लूट-पाट की गई तथा मंदिर तोड़ने का भी प्रयास हुआ।

बशीरहाट के पास गांव में तो पुलिस द्वारा ही महिलाओं के साथ मार-पीट की गई।

हावड़ा में  पुलिस और सशस्त्र दल पर भी मु​स्लिम भीड़ के द्वारा आक्रमण किया गया।

मुर्शिदाबाद जिले में तो हिन्दू ब​​स्तियों को बार बार निशाना बनाया जाता रहा है।

4. झारखण्ड

सीएए के समर्थन में 23 जनवरी को आयोजित रैली में शामिल होने पर लोहरदगा के नीरज प्रजापति को मुस्लिमों की हिंसा का शिकार होना पड़ा था। इस हिंसा में न केवल नीरज ने अपनी जान गवाई थी, बल्कि उनके परिजनों के जीने का सहारा भी खत्म हो गया था।

5. कर्नाटक

कर्नाटक में जिहादी तत्वों द्वारा हिन्दुओं की हत्या के अनेक मामले हुए हैं। इनमे से वर्ष 2017-18 में हुए कुछ मामलों में यह हत्याएं शामिल हैं: (i1) माडिकेरी में कुट्टप्पा (ii2) मुडाबीडेरे में प्रशांत पुजारी (3iii) मैसूरू में राजू (4iv) कुशलनगर में प्रवीण पुजारी (5v) बन्त्वाल में शरद माडिवल (vi6) सुरतकल में दीपक राव (vii7) बेंगलुरु में रुद्रेश और (viii8) कुमाटा में परेश मेश्ठा

 6. हरियाणा

हरियाणा के मेवात क्षेत्र में जिहादियों द्वारा हिन्दू उत्पीडन की अनेको घटनाएँ सामने आई हैI जनरल जी. डी. बक्शी के नेतृत्व में तीन सदस्यों के जांच दल ने अपनी रिपोर्ट दी हैI

मेवात में हिन्दू उत्पीडन के कारण हिन्दुओं को अपना घर छोड़ कर जाने के लिए विवश होना पड़ रहा हैI अनेकों गाँव पूर्णरूप से हिन्दू विहीन हो चुके है और अन्य बहुत से गाँव ऐसे है जहाँ हिन्दू परिवारों की संख्या 5 से भी कम रह गयी हैI

एक मामले में चिरौली पुन्हाना में एक वाल्मीकि परिवार के विवाह उत्सव में मुस्लिम युवकों ने ना केवल मारपीट की बल्कि उनके सोने के  गहने भी छीन कर ले गये। जिसकी पुलिस रिपोर्ट पुन्हाना थाने में कराई।

इसी प्रकार एक मुसलमान द्वारा फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट डाली गयी किन्तु पुलिस रिपोर्ट के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई। उसके विपरीत हिन्दू व्यक्ति के खिलाफ ही उपरोक्त सम्बन्ध में झूठा मुकदमा दर्ज किया गया।

गौकशी के मामलों में भी जब पुलिस को सूचना दी जाती है तो भी पुलिस कोई कार्यवाही नहीं करती है। 28 अप्रैल को पुन्हाना में गौ तस्करों की गोली से रघुवीर नामक एक मजदूर मारा गया। इस मामले की लीपापोती की जा रही है। मजदूर का परिवार भुखमरी के कगार पर है, परन्तु मुआवजे की बात तो दूर, उसकी कोई परवाह नहीं की जा रही है।

500 मकानों वाले गाँव कुलैटा (नगीना) में जहाँ केवल 10 मकान हिंदुओं के हैं, हिन्दुओं का घर से निकलना दूभर हो रहा है। बहू-बेटियाँ भी सुरक्षित नहीं हैं।

12 मई को एक हिन्दू बालक की शिखा पर अभद्र टिपण्णी की गयी। विरोध करने पर उसके परिवार की लगभग 200 लोगों ने बुरी तरह पिटाई करी।

7. दिल्ली

हौज़ काजी में पार्किंग के विषय पर हुए व्यक्तिगत झगडे की प्रतिक्रिया में मुस्लिम गुटों द्वारा हमला करके वहां के मंदिर की मूर्तियाँ तोड़ने का प्रयत्न किया गया और उसकी पवित्रता को नुक्सान पहुचाया गया।

मुस्लिम प्रेमिका के परिवार वालों ने जिसे दिल्ली के टैगोर गार्डन की एक गली में सबके सामने मौत के घाट उतारा, उस अंकित शर्मा को भुला पाना नमुमकिन हैं। साल 2018 की 1 फरवरी की वो घटना जिसमें दिल्ली सरकार ने खूब राजनीति की रोटियाँ सेकीं थी। उसमें मुस्लिम लड़की ने खुद बताया था कि उसके परिवारवालों ने उसके प्रेमी अंकित को मारा।

साल 2017 में दिल्ली में रहकर एयर होस्टेस की ट्रेनिंग ले रही रिया गौतम नाम की लड़की की हत्या की गई। इस वारदात को अंजाम देने वाले का नाम आदिल था। रिया का जुर्म सिर्फ़ ये था कि वे आदिल की पड़ोसी थी और उसकी उससे कई साल से दोस्ती थी। लेकिन एक दिन उसने आदिल से मिलने से मना कर दिया जिसके बाद आदिल ने उसे एक दिन चाकू से गोद डाला। इस मामले में पुलिस ने आदिल के साथ उसके 2 दोस्तों को भी गिरफ्तार किया था। जिनका नाम जुने सलीम अंसारी और फाजिल राजू अंसारी था।

बेटी के साथ छेड़खानी का विरोध करने पर 51 वर्षीय ध्रुव त्यागी को सरेआम सबके सामने मोहम्मद आलम और जहाँगीर खान ने धारदार हथियारों से राष्ट्रीय राजधानी के मोती नगर में मौत के घाट उतारा था। इसके बाद इन हत्यारों ने ध्रुव त्यागी के बेटे पर भी हमला किया। पुलिस  को पड़ताल से पता चला कि उस दिन उन्हें 11 लोगों ने घेर कर मारा।

साल 2016 में दिल्ली के विकासपुरी में पंकज नारंग की हत्या की गई। इसमें 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें 4 नाबालिग थे। उनकी मौत का कारण सिर्फ ये था कि उन्होंने अपने भांजे के साथ क्रिकेट खेलने के दौरान कुछ लोगों को मना किया था कि वे गाड़ी तेज न चलाएँ। जिसके बाद उन लोगों ने पंकज नारंग पर हमला कर दिया।

24 वर्षीय प्रीति माथुर उस लड़की का नाम है जिसे उसके सिरफिरे आशिक ने निजामुद्दीन इलाके में सरेआम चाकूओं से घोंपकर मार डाला।

8. उत्तर प्रदेश

16 मई 2019 को यूपी के गोंडा जिले में इमरान, तुफैल, रमज़ान और निज़ामुद्दीन ने विष्णु गोस्वामी को पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया। विष्णु की गलती बस ये थी कि वे अपने पिता के साथ लौटते हुए सड़क के किनारे लगे नल पर पानी पीने लगा था। बस इसी दौरान इन्होंने विष्णु व उसके पिता से विवाद बढ़ाया और बात खिंचने पर उसे पेट्रोल डालकर आग के हवाले झोंक दिया।

हिंदू नेता कमलेश तिवारी की मौत ने साल 2019 में सबको झकझोर दिया। जब जाँच हुई तो इसके पीछे न एक लंबी साजिश का खुलासा हुआ बल्कि कट्टरपंथियों की उस हकीकत का भी जो अहमदाबाद से लेकर यूपी तक फैली थी।

कासगंज जनपद में चंदन गुप्ता की महज इसलिए हत्या कर दी गई थी कि क्योंकि वह 26 जनवरी को तिरंगा फहराने के लिए निकाले जा रहे जुलूस में शामिल थे। वह विहिप और एबीवीपी की तिरंगा यात्रा में भारत माता जय के नारे लगा रहा था। मुस्लिम बहुल इलाके से निकली तिरंगा यात्रा के दौरान कुछ मुसलमानों ने पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए। तिरंगा यात्रा निकाल रहे लोगों पर पथराव किया गया। मुस्लिम बहुल इलाके में उनपर छत से गोली चला दी गई। घटना में चंदन की मौत हो गई और बाद में पुलिस ने मुख्य आरोपित सलीम को गिरफ्तार किया।

साल 2017 में 5 जुलाई को हिना तलरेजा का शव बरामद हुआ। जिसके बाद उनकी हत्या की खबरे सुर्खियों में आई। पड़ताल के बाद मालूम हुआ कि हिना के पति अदनान ने पहले अपनी आँखों के सामने अपने दोस्तों से उसका गैंगरेप करवाया और फिर उसे गोली मारकर हत्या कर दी। बाद में शव को कौशांबी जिले के एक हाइवे पर फेंककर फरार हो गया।

अलीगढ़ के टप्पल में हुआ ये हत्याकांड वो घटना है जिसने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया कि अब इंसानियत समाज में बाकी बची भी है या नहीं। इस घटना के आरोपितों का नाम मोहम्मद जाहिद और मोहम्मद असलम था। जिन्होंने केवल 10 हजार के लिए बच्ची के साथ बेरहमी की हर हद पार की। उन्होंने बच्ची को मारने से पहले 8 घंटे उसे इतना मारा था उसकी आँख तक डैमेज हो गई। बाद में उसका शव भी ऐसी जगह फेंका जहाँ उसे कुत्तों ने बुरी तरह नोचा था।

आगरा में एक हिंदू दलित नेता अरुण कुमार की लिंचिंग शाहरुख, राजा, इम्तियाज, अबीद और दिलशाद नाम के मुसलमानों ने की।

9. पंजाब

3 दिसंबर 2018 को स्याना के चिंगरावठी में हुई हिंसा में सुबोध सिंह की हत्या हुई। उनके अलावा इस घटना में 2 और लोगों को मारा गया।

निवेदन

यह एक त्वरित सूची है। इसमें देश भर की कुछ ही घटनाओं का जिक्र किया है। यह उदाहरण मात्र है।

यह उदाहरण स्पष्ट करते है कि बहुसंख्य हिन्दू समाज हिंसा और मोब लिंचिंग का बड़ा शिकार होता है। अन्य समुदायों से ज्यादा ही होता है। पर वह घटनाएँ बड़े अख़बारों और दृश्य मीडिया में नही आतीं। इनपर बहस नही होती। हिन्दुओं पर हुए अत्याचार समाचार का विषय ही नही बनते। तथाकथित धर्मनिरपेक्षो का गिरोह आतंकवादी, जिहादी या अन्य किसी अल्पसंख्यक के आहत होने पर जैसा बोलता है वैसा आक्रोश हिन्दुओं पर वैसा ही कष्ट आने पर नही होता।

यह दुर्भाग्य की बात है कि भारत में कुछ गिरोह है जिनमे वकील है, सिविल सोसाइटी कहलाने वाली संस्थाएं है, मानवाधिकारों के नाम पर चल रहे टोले है जो सब किसी आतंकवादी के मारे जाने पर या जहाँ दुर्भाग्य से मरने वाला यदि किसी अल्पसंख्यक समुदाय से हो तो आसमान सिर पे उठा लेते हैं। मीडिया, सड़क और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में भारत को बदनाम करने के लिए तुल जाते है। और वहीं, जब अन्याय से पीड़ित व्यक्ति अगर हिन्दू हो तो इनको वह दीखता भी नही है।

इस षड़यंत्र का पर्दाफाश होना चाहिए। इसलिए कुछ मामलों का वर्णन किया है, जहाँ पीड़ित हिन्दू है, उसके खिलाफ का अपराध जघन्य है और जो इन गिरोहों को दिखाई नही दिया, इनमे से किसी ने भी मोमबत्ती नहीं जलाई; सहानुभूति का एक शब्द नही कहा और न ही अपराध की निंदा की। मुस्लिम नेतृत्व ने भी इनमे से किसी घटना की कभी निंदा नही करी। इस दोगले व्यव्हार को समझना चाहिए।

पिछले कुछ वर्षों से देश में अल्पसंख्यकों को गुमराह करने का सोचा समझा षड़यंत्र चल रहा है। जैसे नागरिकता संशोधन कानून के बारे में यह झूठ फैलाया गया कि इसके लागु होने पर मुसलमानों से तीन पीढ़ीयों के जमीन के कागज मांगे जायेंगे और न होने पर डिटेंशन कैंप में भेज दिया जायेगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा रामजन्मभूमि के निर्णय के बाद भी मुसलमानों में दुष्प्रचार किया गया। झूठ का यह अभियान कुछ क्षेत्रों में चिंता व तनाव उत्पन्न करता है।

इसी वातावरण में से हिंसा की यह घटनाएँ जन्म लेती हैं। देश में अलगाव और तनाव का यह वातावरण बनाने वालो की पहचान होनी चाहिए। वह सब लोग इसके लिए जिम्मेवार है जो देशहित के मुद्दों पर भारत के विरुद्ध बोलते है और बहुसंख्य हिन्दू समाज के प्रति विद्वेष का निर्माण करते है।

विश्व हिन्दू परिषद समाज का आह्वान करती है कि इस तरह की सब घटनाओं के खिलाफ खड़े होकर एक समरस समाज के निर्माण के लिए काम करें।

हम भारत सरकार और राज्यों की सरकारों से यह आह्वान करते है कि वह देश विरोधी इन तत्वों का पता लगायें, उनके लिए मुक़दमे और सजा की व्यवस्था करें और यह व्यवस्था करें कि देश में और विशेषतौर पर अल्पसंख्यकों में सांप्रदायिक विद्वेष फ़ैलाने के षड़यंत्र बंद हों।

(उपरोक्त प्रेस विज्ञप्ति श्री विनोद बंसल, राष्ट्रीय प्रवक्ता, विश्व हिंदू परिषद द्वारा 29 मई को प्रदान की गई है)


क्या आप को यह  लेख उपयोगी लगा? हम एक गैर-लाभ (non-profit) संस्था हैं। एक दान करें और हमारी पत्रकारिता के लिए अपना योगदान दें।

हिन्दुपोस्ट अब Telegram पर भी उपलब्ध है। हिन्दू समाज से सम्बंधित श्रेष्ठतम लेखों और समाचार समावेशन के लिए  Telegram पर हिन्दुपोस्ट से जुड़ें ।

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

Thanks for Visiting Hindupost

Dear valued reader,
HinduPost.in has been your reliable source for news and perspectives vital to the Hindu community. We strive to amplify diverse voices and broaden understanding, but we can't do it alone. Keeping our platform free and high-quality requires resources. As a non-profit, we rely on reader contributions. Please consider donating to HinduPost.in. Any amount you give can make a real difference. It's simple - click on this button:
By supporting us, you invest in a platform dedicated to truth, understanding, and the voices of the Hindu community. Thank you for standing with us.