उत्तर प्रदेश के बहराइच में दो नाबालिग बहनों के अपहरण का मामला सामने आया है। आरोपी दोनों लड़कियों को लेकर तेलंगाना भाग गया था और आखिरकार उत्तर प्रदेश पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लड़कियों को तेलंगाना से बरामद कर लिया है।
11 मार्च को बहराइच जिले के रानीपुर थाना क्षेत्र के जिगनिया महिपाल सिंह गांव निवासी दो नाबालिग बहनों को इंतियाज (25) और वसीम (20) उर्फ छोटकाऊ ने चार पहिया वाहन से अगवा कर लिया था। पीड़ितों के पिताओं ने पुलिस में चार लोगों के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें एक महिला भी शामिल है: जो हैं इंतियाज, वसीम, मोइन (40) और वसीम की बहन गूजा (19), सभी एक ही गांव के निवासी हैं। बताया जा रहा है कि एसपी प्रशांत वर्मा ने 12 मार्च को गांव का दौरा किया था और दोनों मुख्य आरोपियों पर 15 हजार का इनाम घोषित किया था।
पत्रकार सुभी विश्वकर्मा ने प्राथमिकी (पृष्ठ 1, पृष्ठ 2) की एक प्रति साझा की, जिसमें कहा गया है कि नाबालिगों का अपहरण शाम 7 बजे के आसपास किया गया था, जब वे शौच के लिए बाहर गयी थीं। पिता किसी काम से बाहर थे और जब उन्होंने सुबह आरोपी नंबर 2 (मोइन) से अपनी बेटी के बारे में पूछताछ करने के लिए बात की तो मोइन ने फोन किया और बेशर्मी से कहा कि “लड़कियों को 12 घंटे में वापस लाया जाएगा”।
उत्तर प्रदेश पुलिस इस मामले के लिए विशेष टीम का गठन किया था। 3 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था लेकिन इंतियाज, वसीम और दो नाबालिग बहनों का पता नहीं लग पाया था। पुलिस को पता चला कि वह लोग तेलंगाना में है। इसकी सूचना मिलने पर एसओजी प्रभारी अनुज त्रिपाठी व प्रभारी निरीक्षक शिवनाथ गुप्ता, अपराध निरीक्षक कमला शंकर चतुर्वेदी, उपनिरीक्षक सूरज कुमार सहित अन्य महिला सिपाही तेलंगाना पहुंची।
उन्होंने आरोपी को तेलंगाना के करीमनगर जिले के कोथापल्ली थाना क्षेत्र के कुर्थी गांव से गिरफ्तार किया और दोनों लड़कियों को भी बरामद कर लिया गया। दोनों बहनों को वन स्टॉप सेंटर भेजा गया जबकि आरोपियों को जेल भेज दिया गया है।
पुलिस ने इस चौंकाने वाले मामले में कुल 5 लोगों को गिरफ्तार किया है, और मजे की बात यह है कि यह खबर पूरी तरह से सेक्युलर खेमे से गायब है। इस्लामवादी गिरोहों और मानव तस्करों के पूरे देश में नेटवर्क होने का एक स्पष्ट पैटर्न है, जिसके माध्यम से वे अपराध करने के बाद दूसरे राज्यों में भाग जाते हैं। हाल ही में, झारखंड का एक मुस्लिम मानव तस्कर जिसने एक आदिवासी लड़की सुशीला हांसदा की हत्या की थी, अपनी पत्नी के साथ केरल भाग गया था और जब उसे गिरफ्तार किया गया था तो उसके पास से दो अन्य नाबालिग लड़कियों को बरामद किया गया।
दुर्भाग्य की बात यह है कि वोटबैंक की राजनीति के लिए मासूम लड़कियों के इस तरह के शिकार पर ‘सेक्युलर’ और नाममात्र के हिंदू नेतृत्व वाले राजनीतिक दल आंखें मूंद लेते हैं। लुटियंस एनजीओ-एक्टिविस्ट का गिरोह भी ऐसे अपराधियों के लिए बौद्धिक कवर-फायर और कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है।
एक राष्ट्र के रूप में, हम अपने बच्चों को सुरक्षित रखने में असफल हो रहे हैं। बड़े पैमाने पर हिन्दुओं की स्थिति बहुत दुखद है और पाकिस्तान या बांग्लादेश में सताए गए हिंदुओं की स्थिति की तुलना में स्थिति बहुत बेहतर नहीं है।