spot_img

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

spot_img
Hindu Post is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
37.5 C
Sringeri
Friday, March 29, 2024

अब ‘मेटा’ ने दुष्प्रचार वेबसाइट ‘द वायर’ के झूठ को किया उजागर, लिबरल और सेक्युलर गठजोड़ भी बचाव करने में असहाय

‘द वायर’ ने पिछले कुछ वर्षों में एक बहुत बड़े प्रोपेगेंडा आउटलेट के रूप में ख्याति प्राप्त कर ली है। चाहे केंद्र सरकार के विरुद्ध छद्म जानकारी फैलानी हो, या हिन्दुओं की संस्कृति और त्योहारों पर झूठ फैलाना हो, ‘द वायर’ सब कुछ करता है, वह भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर।सोमवार 11 अक्टूबर को ‘द वायर’ ने एक विस्फोटक कहानी प्रकाशित की: भारत की सत्ताधारी पार्टी के एक शीर्ष अधिकारी के पास वास्तव में एकतरफा इंस्टाग्राम पोस्ट को हटाने की क्षमता थी। द वायर ने इस समाचार में बताया कि फेसबुक ने सत्तारूढ़ भाजपा पार्टी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय को अपने मंच से सामग्री को हटाने की अनियंत्रित क्षमता दे दी है।

द वायर ने भारत की सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा और फेसबुक की मूल कंपनी मेटा के बीच “संबंधों’ का खुलासा करने का दावा किया है। द वायर ने अपने संपादकीय में आरोप लगाया कि भाजपा के अमित मालवीय के पास एक्स-चेक विशेषाधिकार है हैं, और वह फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर किसी भी सोशल मीडिया पोस्ट को हटा सकते हैं। इस समाचार एक आंतरिक दस्तावेज पर आधारित है। यह एक्सचेक नामक एक आंतरिक कंपनी कार्यक्रम पर डब्ल्यूएसजे की रिपोर्ट के बारे में बात करता है, जो फेसबुक कंपनी की सामान्य आवेदन प्रक्रिया से लाखों अतिमहत्वपूर्ण उपयोगकर्ताओं को बचाता है।

द वायर, जिसे भाजपा से द्वेष रखने के लिए जाना जाता है, उसने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मंदिर को लेकर की गई व्यंग्यात्मक पोस्ट को इंस्टाग्राम द्वारा तुरंत कार्यवाही करके हटाया गया था, उसमे अमित मालवीय की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है। इस समाचार एक अनुसार यह आपत्तिजनक पोस्ट मालवीय की शिकायत पर हटाई गई थी, और कथित रूप से उनके क्रॉसचेक वाले विशेषाधिकार के हुआ था।

द वायर ने अमित मालवीय जैसे ‘एक्सचेक’ उपयोगकर्ता द्वारा बायपास की जा रही ‘ऑटो-मॉडरेशन’ प्रक्रिया का स्क्रीनशॉट होने का दावा भी किया था।

Picture credit – Instagram

मेटा ने इन दावों को गलत और भ्रामक बताया

मेटा के प्रवक्ता एंडी स्टोन ने इस मामले में द वायर की रिपोर्ट को ‘गलत और भ्रामक’ बताया है। उन्होंने ट्वीट करके बताया कि ‘विचाराधीन पोस्ट स्वचालित सिस्टम द्वारा समीक्षा के लिए सामने आई थी, और वेबसाइट द्वारा प्रस्तुत दस्तावेज मनगढ़ंत प्रतीत होते हैं। उन्होंने बताया कि मेटा की आंतरिक रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि अमित मालवीय द्वारा एक पोस्ट की रिपोर्ट करने के पश्चात मेटा द्वारा किसी भी मानवीय हस्तक्षेप को आवश्यक नहीं समझा गया। उस पोस्ट को तुरंत प्लेटफ़ॉर्म से हटा दिया गया था, और किसी भी प्रकार की समीक्षा की प्रक्रिया की आवश्यकता ही नहीं पड़ी थी।

मेटा के सूचना सुरक्षा प्रमुख ने इन आरोपों को झूठा बताया

वहीं मेटा के सूचना सुरक्षा प्रमुख गाय रोसेन ने कहा, “ये कहानियां मनगढ़ंत हैं। क्रॉस-चेक कार्यक्रम के बारे में यह अफवाहे गलत हैं, जो संभावित अति-प्रवर्तन गलतियों को रोकने के लिए बनाई गई थी। इसका पोस्ट की रिपोर्ट करने की क्षमता से कोई लेना-देना नहीं है, जैसा कि कथित तौर पर द वायर के लेख में बताया है। ये आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद हैं और झूठ से भरे हुए हैं।

द वायर ने एक और झूठ से किया पलटवार का प्रयास, लेकिन बात नहीं बन पाई

जैसा कि आशा थी, द वायर के प्रमुख सिद्धार्थ वरदराजन अपने झूठ के पकडे जाने से व्यथित हो गए। उन्होंने 12 अक्टूबर को एक विस्तृत ट्वीट सूत्र में कहा कि उनकी रिपोर्ट कई प्रकार के मेटा स्रोतों से आई हैं जिन्हें उन्होंने स्वयं सत्यापित किया है। उन्होंने यह भी कहा कि वे इंस्टाग्राम द्वारा योगी आदित्यनाथ पर की गयी पोस्ट को हटाने के बाद उन्होंने इन मामले की जांच की थी, और कई स्रोतों द्वारा उन्हें यह जानकारी मिली है, और इसे झूठ कहना सही नहीं है।

वरदराजन ने आगे कहा कि एंडी स्टोन द्वारा दस्तावेज़ की सत्यता पर सवाल उठाने के बाद द वायर ने अतिरिक्त जानकारी के लिए अलग मेटा स्रोतों से संपर्क किया था। हम अपनी रिपोर्ट को सत्य मानते हैं, और हम वताये गए तथ्यों के साथ मजबूती से खड़े हैं।

लिबरल और वामपंथी भी ‘द वायर’ का बचाव करने में असफल

भारत का लिबरल और वामपंथी गठजोड़ हमेशा से देश विरोधी मीडिया प्रतिष्ठानों का अंध-समर्थन करते आये हैं। यह प्रतिष्ठान चाहे कितने ही झूठ बोलें, यह लोग किसी ना किसी प्रकार उनका ही समर्थन करते हैं। लेकिन मेटा के साथ हुए इस संघर्ष और इसमें उजागर हुए तथ्यों को देखते हुए अब यह लोग चाह कर भी द वायर का बचाव नहीं कर पा रहे हैं।

एमनेस्टी इंडिया के पूर्व प्रमुख और प्रचारक कार्यकर्ता आकार पटेल, जो अपने भाजपा विरोधी रुख के लिए जाने जाते हैं। जाह्नवी सेन को जवाब देते हुए आकर पटेल ने उस ईमेल की भाषा पर प्रश्नचिन्ह उठाया है, जिसके बारे में ‘द वायर’ ने दावा किया था कि वह मेटा के प्रवक्ता एंडी द्वारा भेजी गई थी। आकर ने कहा कि इस ईमेल में भाषा और विराम चिह्न असामान्य और देसी लग रहे हैं।

Picture credit – Aakar Patel twitter handle

वहीं दूसरी ओर मोज़िला में वरिष्ठ आईपी और उत्पाद परामर्शदाता डैनियल नाज़र ने एक सिस्टम और नेटवर्क सुरक्षा इंजीनियरिंग विशेषज्ञ एलेक मफेट को उत्तर देते हुए ‘द वायर’ द्वारा उजागर किये गए पत्र में “खराब अंग्रेजी” का मज़ाक उड़ाया। उन्होंने इस तरह के झूठे प्रचार द्वारा लोगो के भ्रमित होने पर भी दुःख व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हमें मजबूत स्वतंत्र मीडिया की आवश्यकता है, जो लोकलुभावन सरकारों और बड़ी कंपनियों से टक्कर ले सके, लेकिन ‘द वायर’ के मामले में यह सत्य नहीं है।

यहाँ यह समझना महत्वपूर्ण है कि भारत के मीडिया प्रतिष्ठान इस तरह की झूठी खबरें छपने के अभ्यस्त हो चुके हैं। हमारी सरकार और जनता इनकी असलियत से परिचित है, और यही कारण है इनकी विश्वसनीयता समाप्त हो चुकी है। द वायर इस तरह के झूठे तथ्यों पर आधारित कहानियां परोसने में पारंगत है, लेकिन इस बार उसने शायद एक गलत प्रतिष्ठान से द्वेष ले लिया है।

द वायर पूरी बेशर्मी से अपनी रिपोर्ट के पक्ष में खड़ा है, लेकिन वहीं मेटा ने इस रिपोर्ट में प्रस्तुत किये गए सभी तथ्यों को झूठा बता दिया है, और उसके साक्ष्य भी दिए हैं। ऐसे में यह निश्चित है कि यह विषय जितना लम्बा चलेगा, भारतीय मीडिया की विश्वसनीयता को उतनी ही हानि पहुंचाएगा। आज जब हमारे देश का मीडिया अपनी विश्वसनीयता खो चुके है और अपने अस्तित्व को जैसे तैसे बचाना चाहता है, ऐसे में इस तरह की घटना से इन मीडिया प्रतिष्ठानों को बहुत बड़ा नुकसान होने जा रहा है, और यही कारण है कि लिबरल और वामपंथी तत्व भी इस विषय में ‘द वायर’ के साथ खड़े होने से कतरा रहे हैं।

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

Thanks for Visiting Hindupost

Dear valued reader,
HinduPost.in has been your reliable source for news and perspectives vital to the Hindu community. We strive to amplify diverse voices and broaden understanding, but we can't do it alone. Keeping our platform free and high-quality requires resources. As a non-profit, we rely on reader contributions. Please consider donating to HinduPost.in. Any amount you give can make a real difference. It's simple - click on this button:
By supporting us, you invest in a platform dedicated to truth, understanding, and the voices of the Hindu community. Thank you for standing with us.