कांग्रेस ने रविवार को एक सूची जारी की , जिसमे 10 उम्मीवारों के नाम थे जिन्हे राज्यसभा भेजने की तैयारी हो रही है। यूं तो इस सूची में पहले से तय नाम थे, लेकिन कुछ प्रबल उम्मीदवारों को इसमें स्थान नहीं मिला, वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे नाम भी थे जिनके होने से पार्टी में विरोध फूट पड़ा है, और कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने खुलकर इस पर छींटाकशी करनी शुरू कर दी है।
ऐसे ही एक उम्मीदवार का नाम है इमरान प्रतापगढ़ी का, जो कहने के लिए तो एक शायर और लेखक हैं, लेकिन वैसे बस अपने कट्टर इस्लामिक और हिन्दू विरोधी विचारो के लिए कुख्यात हैं। जैसे ही उनका नाम सामने आया, कांग्रेस में बगावती सुर भी सुनाई देने लग गए हैं। सबसे पहले कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने रात 11 बजे के बाद ट्वीट करते हुए लिखा कि शायद मेरी तपस्या में कुछ कमी रह गई। हालांकि उन्होंने न तो इसके आगे और न ही पीछे कुछ लिखा लेकिन इससे साफ़ समझ आ गया कि उनका इशारा किस ओर था।
भूतपूर्ण अभिनेत्री और कांग्रेस नेत्री नगमा भी इस निर्णय से खुश नज़र नहीं आ रही हैं, उन्होंने भी अपना आक्रोश व्यक्त करते पवन खेड़ा के ही ट्वीट को आगे जोडते हुए हुए लिखा कि हमारी भी 18 साल की तपस्या कम पड़ गई इमरान भाई के आगे।
नगमा यहीं नहीं रुकीं, उन्होंने एक और ट्वीट किया और लिखा कि, “हमारी कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया जी ने मुझे निजी रुप से राज्यसभा में भेजने का वादा किया था, ये 2003-04 की बात है, तब कांग्रेस सत्ता में नहीं थी और उन्हीं के कहने पर कांग्रेस में आई थी। तब से लेकर 18 साल गुजर गए, इन्हें अबतक वो मौका नहीं मिला। मिस्टर इमरान को महाराष्ट्र से राज्यसभा में ले लिया जाता है, मैं पूछती हूं कि क्या मैं कम काबिल हूं।”
कांग्रेस में इमरान प्रतापगढ़ी के राज्यसभा टिकट पर पड़ी फूट
महाराष्ट्र के काटोल से पूर्व विधायक डॉ आशीषराव आर देशमुख ने आज महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया। पत्र में उन्होंने कहा, “राज्यसभा के लिए महाराष्ट्र से इमरान प्रतापगढ़ी को भेजे जाने कारण मैं एमपीसीसी के महासचिव पद से इस्तीफा दे रहा हूं। बाहरी उम्मीदवार को थोपने से पार्टी को विकास के मामले में लाभ नहीं होगा। इस विषय में महाराष्ट्र कांग्रेस के आम कार्यकर्ताओं के साथ अन्याय हुआ है।
वहीं एआईसीसी सदस्य विश्वबंधु राय ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर इमरान प्रतापगढ़ी (कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष) को राज्यसभा चुनाव के लिए महाराष्ट्र कोटे से भेजने पर नाराजगी जताई है।
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि इमरान प्रतापगढ़ी के नामांकन कर कांग्रेस नेतृत्व ने एक बड़े विद्रोह को आमंत्रण दे दिया है, इसका परिणाम क्या निकलेगा यह अभी कहना मुश्किल है, लेकिन यह तय है कि कांग्रेस से कुछ नेताओं की छुट्टी कर दी जायेगी, अन्यथा वह स्वयं ही कांग्रेस छोड़ कर जा सकते हैं।
कौन हैं इमरान प्रतापगढ़ी, जिनके कारण कांग्रेस में मचा हुआ है घमासान?
इमरान प्रतापगढ़ी कहने के लिए तो एक शायर या लेखक हैं, लेकिन वह कुख्यात हैं हिन्दू विरोधी शायरियों और भाषणों के लिए, जो उन्होंने कांग्रेस के लिए चुनाव प्रचार करते हुए दिए थे। 2019 में उन्हें मुसलमानों को अपने लोगों की मौत का बदला लेने के लिए कम से कम 4-6 लोगों को मारने के लिए प्रोत्साहित करते देखा गया था। उन्होंने अपने मुस्लिम अनुयायियों को यह कहते हुए उकसाया कि “कायरतापूर्ण तरीके से मरना स्वीकार्य नहीं है। लिंचिंग का बदला लेने के लिए मरने से पहले कम से कम 4 से 6 लोगों को मार डालो।”
वहीं उन्हें एक अन्य वीडियो में, मुसलमानो को “जो हिटलर की चाल चलेगा, वो हिटलर की मौत मरेगा”, और ‘आजादी’ के नारे लगाने को प्रोत्साहित करते हुए भी देखा गया था। मुरादाबाद में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) विरोधी प्रदर्शन में भाग लेने और शहर के ईदगाह परिसर में प्रदर्शनकारियों को कथित रूप से उकसाने के लिए उन पर 1.04 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था।
प्रतापगढ़ी 2019 में कांग्रेस में शामिल हुए थे और उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से संसदीय चुनाव लड़ने में असफल रहे थे, वह समाजवादी पार्टी के एसटी हसन से हार गए थे। उत्तर प्रदेश, प्रतापगढ़ी के गृह राज्य पर ध्यान देना शुरू करने के बाद वह कथित तौर पर प्रियंका गांधी वाड्रा के पसंदीदा बन गए।
वैसे इमरान कांग्रेस के नेतृत्व के आँखों के तारे बने हुए हैं, और इसका कारण उनकी उग्र इस्लामिक और कठोर हिन्दू विरोधी छवि भी हो सकती है। हमे पूरा विश्वास है कि कांग्रेस नेतृत्व पार्टी में उठ रहे विरोध के स्वरों को दरकिनार कर उन्हें राज्यसभा में अवश्य ही भेजेगी, और अपने वोट बैंक को एक सकारात्मक सन्देश जरूर देगी।