तृणमूल कांग्रेस की सर्वेसर्वा और अपने आप को प्रधानमंत्री मोदी का स्वाभाविक प्रतिद्वंदी मानकर चल रही ममता बनर्जी इन दिनों भारत के भ्रमण पर हैं। दिल्ली के बाद अब वह महाराष्ट्र के दौरे पर हैं और उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि अब यूपीए शेष नहीं है। पश्चिम बंगाल के चुनाव परिणामों के बाद से ही यह चर्चाएँ होने लगी थीं कि भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला अगर कोई कर सकता है तो वह केवल और केवल ममता बनर्जी ही हैं।
वहीं इसके कारण कांग्रेस में बेचैनी है। एक वह समय था जब सोनिया गांधी और कांग्रेस ही विपक्ष और सरकार की धुरी होते थे तो इस बार की दिल्ली यात्रा में ममता बनर्जी सोनिया गांधी से मिलने नहीं गईं। कांग्रेस के कई नेता टीएमसी में शामिल हुए और ममता बनर्जी ने यह स्पष्ट कर दिया कि वह अपनी ही पार्टी के विस्तार पर ध्यान देंगी। जब उनसे यह पूछा गया कि उन्होंने सोनिया गांधी से मुलाक़ात क्यों नहीं की तो उन्होंने कहा कि इस बार मैंने मुलाकात के लिए सिर्फ प्रधानमंत्री का समय मांगा था। सभी नेता पंजाब के चुनाव में व्यस्त हैं। काम पहले है।।हर बार हमें सोनिया गांधी से क्यो मिलना चाहिए? यह संवैधानिक रूप से बाध्यकारी थोड़े ही है?”
वहीं शरद पवार के साथ मुलाक़ात के बाद ममता बनर्जी ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि “अब कोई यूपीए नहीं है!”

यह वाक्य संभवतया आने वाले समय की राजनीति की दिशा का निर्धारण करता है। इस पर शरद पवार ने कहा कि जो भी भारतीय जनता पार्टी का विरोध करने वाली पार्टी हों, वह साथ आएंगी, इसमें किसी का नाम क्या लेना।
भारतीय जनता पार्टी का विरोध करने वाले सभी दल यदि साथ आएँगे तो क्या भारतीय जनता पार्टी पराजित होगी? यह अपने आप में एक यक्ष प्रश्न है! क्योंकि यहाँ पर विरोध भारतीय जनता पार्टी का नहीं हो रहा है, यहाँ पर विरोध उस जागृत हिन्दू भारत का हो रहा है, जो भारतीय जनता पार्टी की सरकार के बहाने अपनी पहचान खोज रहा है और प्रश्न कर रहा है। वह मन्दिरों पर प्रश्न कर रहा है, वह अब तक चली आ रही कुव्यवस्थाओं पर प्रश्न कर रहा है, वह हिन्दुओं पर आतंकवाद का ठप्पा लगाने वाले नेताओं से प्रश्न कर रहा है और वह अपने इतिहास को पढ़ और समझ रहा है!
स्पष्ट है कि ऐसा हिन्दू और ऐसा जागृत हिन्दू समाज किसी को पसंद नहीं है, इसलिए अब भारतीय जनता पार्टी को हराने के बहाने हिन्दुओं के मनोबल को तोड़ने वाले फिर से एक साथ आ रहे हैं। देखना होगा कि यह कितना सफल हो पाता है!
वहीं इस बात को लेकर कांग्रेस की प्रतिक्रया भी सामने आई है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि पश्चिम बंगाल ने कांग्रेस ने अपना बलिदान देकर भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से दूर रखने के लिए तृणमूल कांग्रेस में अपना वोट हस्तांतरित कर दिया था। ऐसा भी कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि कांग्रेस ने सही से लड़ाई लड़ी होती तो पश्चिम बंगाल में कांग्रेस गायब नहीं हुई होती और तृणमूल कांग्रेस की सरकार नहीं बनी होती। परन्तु कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से दूर करने के लिए अपना बलिदान दे दिया था।
इससे भारतीय जनता पार्टी को जो नुकसान हुआ, वह तो हुआ ही, इसके साथ ही कांग्रेस के सामने खतरा उत्पन्न हो गया है। यह सभी को पता है कि कांग्रेस का लक्ष्य राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाना है और अब जब ममता बनर्जी स्वयं को प्रधानमंत्री पद का दावेदार घोषित कर रही हैं, तो कांग्रेस क्या कदम उठाएगी!
परन्तु उससे भी अधिक बड़ी समस्या उन एक्टिविस्ट के लिए है जिनके लिए अब तक राहुल गांधी ही सर्वेसर्वा थे और अब वह अपना उद्धारक ममता बनर्जी में देखने लगी हैं। यह वही ममता बनर्जी हैं जिन्होनें अपने विरोधियों के प्रति जमकर यूएपीए का प्रयोग किया था और उन्ही ममता बनर्जी का भाषण स्वर भास्कर ने साझा किया कि ममता बनर्जी यूएपीए पर क्या कह रही हैं?
इस पर लेखक आनन्द रंगनाथन ने स्वरा को याद दिलाते हुए लिखा कि क्या यह मजाक है? या आप अपने ही कामरेड शंकर दास को भूल गयी हैं, जिन्हें ममता बनर्जी के द्वारा पीटा गया और जेल में डाला गया।
वहीं ममता बनर्जी के यूपीए पर दिए गए वक्तव्य पर कांग्रेस आग बबूला है और ममता बनर्जी पर नरेंद्र मोदी के इशारों पर चलने का आरोप लगा रहे हैं। कांग्रेस के नेता ए आर चौधरी ने कहा कि क्या ममता बनर्जी को यूपीए के बारे में नहीं पता है? क्या वह पागल हो गयी है? क्या उन्हें लगता है कि पूरा देश ममता ममता का नारा लगा रहा है? परन्तु बंगाल भारत नहीं है और केवल बंगाल,ही भारत का अर्थ नहीं हो सकता है!
ममता बनर्जी जरूर पूरे भारत का नेता होने का सपना देख रही हैं, परन्तु मूल में मुद्दा यही है कि यह लोग किसके विरोध में एक साथ आ रहे हैं। यह लोग उस हिन्दू चेतना के विरोध में सामने आ रहे हैं, जो अब जाग रही है और जो ममता बनर्जी के अत्याचारों के सामने भी झुकने से इंकार करती है और जो ममता बनर्जी द्वारा राष्ट्रगान के अपमान पर प्रश्न पूछती है:
भारतीय जनता पार्टी बहाना है, निशाना हिन्दू और हिन्दू चेतना है क्योंकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा का दृष्टिकोण हिन्दू हितों को लेकर स्पष्ट है! और जो कथित एक्टिविस्ट ममता से गुहार लगा रहे हैं, उनकी प्रतिबद्धता भी स्पष्ट है!