मालेगांव विस्फोट का मामला एक बार फिर से चर्चा में है। वर्ष 2008 में हुए मालेगांव विस्फोट में एक गवाह ने विशेष एनआईए न्यायालय को बताया कि उस समय मामले की जांच करने वाली संस्था एटीएस ने उस पर अत्याचार किए थे और उसने यह भी न्यायालय को बताया कि एटीएस ने ही उसे जबरन योगी आदित्यनाथ और आरएसएस से 4 लोगों के नाम लेने के लिए कहा था।
हालंकि इस पर तुरंत ही राजनीति आरम्भ हो गयी थी, और एएमआईएम के विधायक मुफ्ती मोहम्मद इस्माइल ए खालिक ने इस बयान को पांच राज्यों के चुनावों के साथ जोड़ा और कहा कि अब बारह वर्ष के बाद किसी आरोपी का ऐसे दावा करना कहीं न कहीं राजनीति से प्रेरित है
परन्तु कहीं न कहीं यह बात भी बार बार उठ ही रही है कि जानते बूझते हुए हिन्दू आतंकवाद का जो सिद्धांत गढ़ा गया था, उसकी एक एक परत खुल रही है। गवाह ने जो भी कहा है, उसे बार बार भोपाल से सांसद साध्वी प्रज्ञा ने भी कहा है। 29 दिसंबर को भी उन्होंने एक बार फिर से अपने साथ हुए अत्याचारों को बताया।
जैसे ही यह समाचार आया कि गवाह को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम लेने के लिए विवश किया गया था, वैसे ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि कांग्रेस को हिन्दू संगठनों पर झूठे मामले गढ़ने के लिए माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का यह कृत्य पूरे देश के खिलाफ एक अपराध है और उसके नेताओं को लोगों से माफी मांगनी चाहिए। और फिर उन्होंने कहा कि देश के साथ कांग्रेस ने कैसे खेल किया है, वह किसी से भी छिपा हुआ नहीं है। जब वह सरकार में होती है तो वह आतंकवादियों को प्रश्रय देती है और हिन्दू संगठनों के खिलाफ झूठे मुक़दमे दर्ज करती है।”
महाराष्ट्र पुलिस के पूर्व एडीजी पीके जैन का खतरनाक खुलासा
महाराष्ट्र पुलिस के पूर्व एडीजी पीके जैन ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि 2006 में नासिक बम धमाकों में उन्होंने जिन लोगों को पकड़ा था, वह लोग इसमें इन्वोल्व थे। मगर बाद में सरकार के प्रेशर के चलते उन्हें छोड़ दिया गया और एकदम से नए लोगों को इसमें शामिल कर दिय गया। उन्होंने कहा कि उन लोगों ने अधिकारियों से पूछा कि वह पूरी जांच को कैसे बदल रहे हैं और बाद में पता चला कि यह सब तत्कालीन केंद्र सरकार के कारण हो रहा है।
उन्होंने यह भी कहा कि तैंतीस लोगों के मारे जाने और कई लोगों के घायल होने के बावजूद 2006 के नासिक बम धमाकों में कुछ नहीं होना है क्योंकि जो लोग शामिल थे, उन्हें सरकार द्वारा छोड़ दिया गया है, तो वहीं जो लोग नए आरोपी बनाए उनके खिलाफ सबूत नहीं है। और यही हाल मालेगांव बम धमाकों का भी होना है।
मालेगांव बम धमाकों में हिन्दू संगठनों का नाम लेकर कांग्रेस ने जो हिन्दू आतंकवाद या भगवा आतंकवाद का षड्यंत्र रचा था, उसकी जैसे अंतिम कड़ी अब अब कांग्रेस हिन्दू और हिंदुत्व का नैरेटिव गढ़कर पूरी कर रही है। ऐसा लग रहा है जैसे कांग्रेस अब खुलकर हिन्दू विरोध में आ गयी है। हालांकि हिन्दू आतंकवाद का सिद्धांत गढ़ने वाले आज पूरी तरह से झूठे प्रमाणित हो गए हैं, परन्तु फिर भी बार बार प्रयास जारी हैं।
राहुल गांधी से लेकर सुशील शिंडे और पी चिदंबरम तक हिन्दू आतंकवाद को गढ़ने में लग गए थे
जैसे ही राहुल गांधी ने अमेरिका के राजदूत से कहा था कि लश्करे तैयबा खतरनाक नहीं है, पर हिन्दू हैं, तो उसके बाद ही सुशील कुमार शिंडे और पी चिदम्बरम जैसे नेताओं ने हिन्दू आतंकवाद या भगवा आतंकवाद का सिद्धांत गढ़ दिया था और फिर इसे सही साबित करने के लिए हर प्रकार के कुचक्र रचे जाने लगे थे।
उन्हीं में से मालेगांव बम धमाकों में हिन्दू नेताओं का नाम लेना सम्मिलित था।
कसाब के हाथ में कलावे को भी नहीं भुलाया जा सकता है
और इस कड़ी में सबसे नया था कसाब के हाथ में कलावा होना। मुम्बई में जब पाकिस्तान से आए आतंकवादी भारतीयों पर गोलियां चला रहे थे, वह सभी हिन्दू नाम के साथ आए थे और कसाब ने तो कलावा आदि सभी बांधा हुआ था।
परन्तु हिन्दू धर्म को बदनाम करने का इतना बड़ा षड्यंत्र एक हिन्दू तुकाराम ओम्ब्ले ने ही विफल कर दिया था और स्वयं गोली खाकर, और जीवन का बलिदान देकर हिन्दुओं को लांछित होने से बचा लिया था।
आज जब धीरे धीरे यह सच्चाई सामने आ रही है कि यह सब हिन्दुओं को बदनाम करने के लिए और वैश्विक मुस्लिम आतंकवाद को कवर देने के लिए कांग्रेस का रचा हुआ षड्यंत्र था, तो क्या कांग्रेस हिन्दुओं से इस षड्यंत्र के लिए क्षमा मांगेगी या फिर हिन्दू और हिंदुत्व के बहाने हिन्दुओं को बांटना जारी रखेगी?