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Friday, April 19, 2024

लॉक-अप: हिन्दुओं से घृणा करने वाले मुनव्वर फारुकी की छवि बदलने के लिए शो?

इन दिनों लॉक-अप नाम से एक शो आ रहा है जिसमें मेजबान की भूमिका में कंगना रनावत हैं। कंगना रनावत राष्ट्रवादी और हिन्दुओं के मामले में बहुत मुखर रहती हैं एवं जहां पर आम लोग बोलने से डरते हैं, वह बोलती हैं, अपनी बात रखती हैं। परन्तु यह देखना बहुत अपने आप में हैरान करने वाला है कि इस शो के माध्यम से हिन्दुओं से घृणा करने वाले कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी के प्रति सहानुभूति उत्पन्न की जा रही है।

हाल ही में मुनव्वर फारुकी ने अपनी माँ के साथ हुए दुर्व्यवहार के विषय में बताया और यह भी बताया कि कैसे मुनव्वर की अम्मी के साथ उसी के परिवार वाले बुरा व्यवहार करते थे। और कैसे मुनव्वर की अम्मी ने आत्महत्या कर ली थी। मुनव्वर को शो से बाहर निकलने से बचने के लिए एक सीक्रेट बताना था और फिर उसने यह बताया। altbalaji ने ट्वीट किया और लिखा कि मुनव्वर की दिल छू लेने वाली कहानी जानकर कोई भी अपनी आँखों से बहते हुए आंसू नहीं रोक सकता:

कंगना रनावत को भी रोता हुआ दिखाया जा रहा है। परन्तु प्रश्न यहाँ पर यह उठता है कि ऐसा क्यों किया जा रहा है? और इसके पीछे मुख्य कारण क्या है? मुनव्वर की अम्मी के साथ जो भी कथित दुर्व्यवहार हुआ है क्या वह किसी हिन्दू ने किया? क्या किसी हिन्दू परम्परा का उसके पीछे हाथ था या फिर क्या किसी हिन्दू ने उसके साथ गलत किया? ऐसा कुछ मुनव्वर फारुकी ने नहीं बताया है, परन्तु फिर भी मुनव्वर ने हिन्दुओं के प्रति घृणा फैलाई है।

मुनव्वर की अम्मी की खुदकुशी में हिन्दुओं का तो कोई योगदान नहीं था, फिर ऐसा क्यों है कि हिन्दुओं से हद तक घृणा करने वाले मुनव्वर की निजी ज़िन्दगी को इस प्रकार प्रस्तुत किया जा रहा है जैसे उसके साथ बहुत बड़ा अन्याय समाज ने किया? यह कथित अन्याय उसके साथ किसने किया है? सबसे बड़ा प्रश्न यही है? और क्यों हिन्दुओं की सीता माता और लक्ष्मण जी पर घटिया से घटिया टिप्पणी करने वाले मुनव्वर के प्रति एक बहुत ही बड़ा सॉफ्ट कार्नर पैदा किया जा रहा है?

आप वीडियो में देखिये कि कैसे वह प्रभु श्री राम और सीता माता के लिए अपमानजनक तरीके से बोल रहा है:

फिर भी कथित रूप से आस्थावान एकता कपूर और कंगना रनावत हिन्दुओं के देवी देवताओं के प्रति घृणा फैलाने वाले और उनका उपहास उड़ाने वाले मुनव्वर के प्रति सहानुभूति उत्पन्न कर रही हैं? क्यों? एकता कपूर की विवशता को समझा जा सकता है, परन्तु कंगना रनावत? कंगना रनावत ने अपनी एक ऐसी छवि बनाई थी, जिसमें हिन्दू धर्म के देवी देवताओं पर मजाक उन्हें बर्दाश्त नहीं था, और कथित रूप से हिन्दुओं का पक्ष रखना उन्होंने आरंभ किया था। फिर ऐसी क्या व्यावसायिक विवशता है कि वह हिन्दुओं से अंतहीन घृणा करने वाले के प्रति आम जनता में सहानुभूति पैदा कर रही हैं?

क्या मुनव्वर के यह कहने से कि उसकी माँ ने तेज़ाब पी लिया था, और परिवार वालों ने यह कहा था कि वह किसी को कुछ न बताए क्योंकि परिवार वाले समस्या में आ सकते हैं, उसने जो हिन्दुओं के प्रति घृणा दिखाई है, वह धुल सकती है? कंगना से लोगों को यह आशा थी कि वह मुनव्वर से कठोर प्रश्न पूछेंगी और कम से कम हिन्दू घृणा पर बात तो करेंगी? परन्तु ऐसा नहीं हुआ, बल्कि इसके स्थान पर मुनव्वर को एक ऐसा नायक बनाकर प्रस्तुत किया जा रहा है जिसकी अम्मी के साथ बहुत गलत हो रहा था? जिसके कारण उन्हें तेज़ाब पीना पड़ा और फिर उनकी ज़िन्दगी की डोर टूट गयी?

फिर से वही प्रश्न है कि जो भी मुनव्वर के साथ हुआ वह दुखद है, परन्तु उसमें क्या किसी हिन्दू का योगदान था? क्या किसी हिन्दू ने उसकी अम्मी की जान ली? उसकी अम्मी की जान उसकी परिवार व्यवस्था ने ली थी, फिर वह अपनी ही परिवार व्यवस्था की घृणा हिन्दुओं पर क्यों निकालता है?

उसे अपनी अम्मी की चीखें याद हैं, परन्तु उसने उन चीखों का उपहास उड़ाया जो गोधरा रेलवे स्टेशन पर उन मासूमों की निकल रही थीं, जिन्हें बिना किसी दोष के जलाया जा रहा था! उनका क्या दोष था? उनकी चीखें क्या चीखें नहीं थीं? क्या उनका दर्द दर्द नहीं था, जो मुनव्वर ने उनका उपहास अपने कॉमेडी शो में उड़ाते हुए “बर्निंग ट्रेन” से तुलना की?

लॉक-अप नामक शो में किया गया यह कृत्य जिसमें मुनव्वर की निजी ज़िन्दगी को इस आधार पर बेचा जा रहा है कि यह उसके उन पापों को धो देगी जो उसने हिन्दुओं के देवी देवताओं का अपमान करने के कारण किए हैं, हिन्दुओं के साथ किया जा रहा बहुत बड़ा छल है और यह कभी सम्भव नहीं होगा। मुनव्वर की निजी ज़िन्दगी निजी है और उसके द्वारा हिन्दुओं की मातासीता का किया गया अपमान सार्वजनिक है। यह आस्था पर हमला है और लॉक-अप और कंगना का यह कुकृत्य अक्षम्य है!

कंगना के इस कृत्य को भी हिन्दू समाज के लिए छल की ही संज्ञा दी जानी चाहिए

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1 COMMENT

  1. ये लोग कवि हो कलाकार हो डॉक्टर इंजीनियर कुछ भी हो पर इनकी सोच सबकी एक जैसी अनपढ़ों जैसी ही होती है

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