spot_img

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

spot_img
Hindu Post is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
23.5 C
Sringeri
Thursday, March 28, 2024

लालू प्रसाद यादव: मसखरी छवि के बहाने दर्द को नकारने वाले व्यक्ति का नाम

11 जून का दिन भारतीय राजनीति में विशेष है क्योंकि इस दिन एक ऐसे राजनेता का जन्म हुआ था, जिन्होनें सामाजिक न्याय एवं मसखरे पन की चादर के नीचे दर्द को नकारने का कार्य किया था। आज वह अपना 74वां जन्मदिन मना रहे हैं। वह बिहार की राजनीति का ऐसा पक्ष हैं, जिन्होनें बिहार की पहचान ही बदल कर रख दी थी।

एक किसान परिवार में जन्मे लालू प्रसाद यादव की पहचान जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रान्ति आन्दोलन के एक मुख्य कार्यकर्ता के रूप में उभरी थी। और वह तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के विरोध में जेल तक गए थे। कांग्रेस का विरोध कर उन्होंने अपनी राजनीति में धार पैदा की, परन्तु यह अत्यंत रोचक है कि बाद में वह कांग्रेस के साथ आ गए। और जिस इंदिरा गांधी के कारण उनका राजनीतिक कैरियर आरम्भ हुआ था, उनकी बहू के नेतृत्व में कांग्रेस के पक्के साथी रहे और अब उनके पुत्र एवं सोनिया गांधी के पुत्र भी अपने अपने दल के लिए नई उम्मीद की तरह है।

बहरहाल बात आज चौहत्तर वर्ष के हुए लालू प्रसाद यादव की। लालू प्रसाद यादव का बिहार का राज जंगल राज कहा गया। वह क्यों कहा गया, इसके कई उदाहरण हैं एवं उसके कई भुक्तभोगी भी हैं। वर्ष 1990 में उन्हें बिहार के मुख्यमंत्री बनने का अवसर प्राप्त हुआ। उन्हें मुस्लिम समुदाय का प्रेम प्राप्त हुआ और उस प्रेम को बनाए रखने के लिए उन्होंने भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा भी रोकी थी। इसके कारण उनका कद मुस्लिमों की निगाह में बहुत बढ़ गया था।

फिर भी एक और कदम था, जो उन्होंने अपने मुस्लिम वोट बैंक को बनाए रखने के लिए उठाया था। और वह था गोधरा कांड की जांच कराना। यह एक ऐसा कदम था, जो उन कारसेवकों के दर्द को नकारने के लिए था। प्रत्यक्षदर्शियों के वक्तव्यों को संज्ञान में न लेते हुए एक एजेंडे के अंतर्गत रिपोर्ट बनवाई गयी।

क्या हुआ था गोधरा में और कब हुआ था?

27 फरवरी 2002 को गुजरात में गोधरा शहर में एक ट्रेन आकर रुकी। उस में एक बोगी में अयोध्या से प्रभु श्री रामजन्मभूमि से कारसेवा कर लौट रहे थे। उस डिब्बे में मुस्लिम उपद्रवियों ने एक षड्यंत्र के अंतर्गत आग लगा दी थी और इसमें 59 से अधिक कारसेवक जलकर मारे गए थे। इस जघन्य हत्याकांड से पूरा देश दहल गया था और इसी के परिणामस्वरूप गुजरात में दंगे भड़क गए थे।

इस घटना के आरोपियों पर पोटा लगाया गया था। परन्तु बाद में केंद्र सरकार के दबाव के कार सभी आरोपियों पर से पोटा हटा दिया गया था।

उसके बाद सबसे रोचक और दर्दनाक कदम था, इतने लोगों की षड्यंत्र पूर्वक की गयी मृत्यु को दुर्घटना ठहरा देना और यह कहना कि आग किसी ने बाहर से नहीं लगाई थी।

वर्ष 2004 में लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे और उन्होंने जस्टिस यूसी बनर्जी समिति का गठन किया था, जिससे इस काण्ड की सच्चाई पता लग सके। परन्तु इस समिति के गठन का उद्देश्य कभी भी सत्य का पता लगाने का नहीं था। उसका उद्देश्य मुस्लिमों को प्रसन्न करना था।

यूसी बनर्जी ने यह रिपोर्ट दी थी कि उस बोगी में आग बाहर से नहीं लगी थी, आग भीतर से ही लगी थी। इस रिपोर्ट के आते ही जैसे हिन्दुओं के घाव हरे हो गए थे और एक आक्रोश की लहर दौड़ गयी थी। परन्तु वर्ष 2006 में गुजरात उच्च न्यायालय ने यूसी बनर्जी समिति के गठन को ही अवैध और असंवैधानिक करार दे दिया था क्योंकि नानावटी-शाह आयोग पहले से ही दंगे से सम्बन्धित मामलों की जांच कर रहा था।

और सामाजिक न्याय के मसीहा कहे जाने वाले लालू प्रसाद यादव का हिन्दुओं के घावों के साथ किया गया छल तब खुलकर सामने आया जब नानावटी आयोग ने गोधरा काण्ड की जांच रिपोर्ट सौंपी और कहा कि यह कोई आकस्मिक दुर्घटना नहीं थी बल्कि सुनियोजित षड्यंत्र था।

और वर्ष 2011 में विशेष अदालत ने गोधरा काण्ड में 11 लोगों को फांसी दी गयी थी तो वहीं 20 को उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। और उसके बाद वर्ष 2017 में गुजरात उच्च न्यायालय ने 11 दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था।

इस पूरे प्रकरण ने एक बात सिद्ध की थी कि लालू प्रसाद यादव को चाहे मीडिया का एक विशेष वर्ग या लेखकों का एक विशेष वर्ग उनकी ख़ास संवाद शैली के कारण गरीबों का मसीहा घोषित कर रहा था, तो वहीं लालू प्रसाद यादव अपने राजनीतिक लाभ के लिए एक ऐसी त्रासदी के सत्य को झुठलाने का प्रयास कर रहे थे, और वह भी इसलिए जिससे उनका मुस्लिम वोट बैंक कहीं न जाए!

हालाँकि आज पूरा मीडिया उनकी उस क्रांतिकारी छवि पर ही लहालोट है, परन्तु सत्य क्या है, यह उम्र के इस पड़ाव पर लालू प्रसाद यादव स्वयं जानते होंगे! क्योंकि मीडिया द्वारा देशी लवर बॉय से कहीं अलग उनकी छवि कुछ और ही है!


क्या आप को यह  लेख उपयोगी लगा? हम एक गैर-लाभ (non-profit) संस्था हैं। एक दान करें और हमारी पत्रकारिता के लिए अपना योगदान दें।

हिन्दुपोस्ट अब Telegram पर भी उपलब्ध है. हिन्दू समाज से सम्बंधित श्रेष्ठतम लेखों और समाचार समावेशन के लिए  Telegram पर हिन्दुपोस्ट से जुड़ें .

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

Thanks for Visiting Hindupost

Dear valued reader,
HinduPost.in has been your reliable source for news and perspectives vital to the Hindu community. We strive to amplify diverse voices and broaden understanding, but we can't do it alone. Keeping our platform free and high-quality requires resources. As a non-profit, we rely on reader contributions. Please consider donating to HinduPost.in. Any amount you give can make a real difference. It's simple - click on this button:
By supporting us, you invest in a platform dedicated to truth, understanding, and the voices of the Hindu community. Thank you for standing with us.