spot_img

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

spot_img
Hindu Post is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
33.7 C
Sringeri
Tuesday, March 19, 2024

लाल सिंह चड्ढा फिल्म को लेकर लोगों में हैं गुस्सा तो वहीं उसे लेकर अब प्रोपोगैंडा भी हो रहे है और मीडिया का खेल जारी है

आमिर खान की बहुप्रतीक्षित फिल्म लाल सिंह चड्ढा, 11 अगस्त को अंतत: रिलीज होने ही जा रही है। इस फिल्म का काफी समय से इंतज़ार हो रहा था, क्योंकि एक बड़ा वर्ग है जो इस फिल्म का बॉयकाट कर रहा है तो वहीं आमिर खान के प्रशंसक एवं कथित सेक्युलर वर्ग इस फिल्म की प्रतीक्षा में है। पहले आमिर खान ने लोगों से अपील की थी कि वह उनकी फिल्म का बॉयकाट न करें, परन्तु अब फिल्म को लेकर प्रमोशन को लेकर सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का सहारा लिया जा रहा है और फेसबुक पर कई पेज ऐसे बन गए हैं, जो आमिर खान की फिल्म के बहाने हिन्दुओं को ट्रोलर या हेटर कह रहे हैं।

ध्रुव राठी जैसों की सहायता लेकर लोगों को और चिढ़ा रहे हैं, वैसे ध्रुव राठी जैसे लोग इसका प्रमोशन करने के लिए आ गए हैं:

फिर भी यह लोग यह बताने में असमर्थ हैं कि कथित हेटर्स के दिल में इतनी घृणा या चिढ क्यों है? दरअसल इसी प्रश्न से बचने के लिए अब मानसिक खेल खेला जा रहा है और यह कहा जा रहा है कि फिल्म में कई लोगों की मेहनत होती है, इसलिए बॉयकाट क्यों किया जाए? परन्तु लोगों के दिल में इस फिल्म को लेकर मोह उत्पन्न नहीं हो पा रहा है और यही कारण है कि लोग अब एडवांस बुकिंग में भी घोटाले का आरोप लगा रहे हैं!

वहीं कुछ लोग तो ऐसे हैं जो अपने व्यक्तिगत खर्च पर लोगों को बॉयकाट के लिए जागरूक कर रहे हैं:

फिर इसे कुछ लोग हिन्दू और मुस्लिम भी बना रहे हैं। परन्तु यह भी महत्वपूर्ण है कि यदि हिन्दू मुस्लिम मामला ही होता तो क्यों सम्राट पृथ्वीराज फ्लॉप होती और क्यों शमशेरा फ्लॉप होती और क्यों रक्षाबंधन फिल्म को बॉयकाट करने की बात होती? दरअसल यह एक सामूहिक प्रतिकार है, और इसकी चपेट में वह सब आ रहे हैं, जिन्होनें हिन्दू धर्म चोट पहुंचाई है। इसके दायरे में वह सभी हैं जो समय समय पर हिन्दू नाम के नीचे हिन्दू विरोध में दबे हुए हैं।

जैसे लाल सिंह चड्ढा से ही जुड़े हुए अतुल कुलकर्णी, जिनके नाम को लेकर यह कहा जा रहा था कि फिल्म में आमिर खान ही नहीं है बल्कि अतुल कुलकर्णी भी है, वही अतुल कुलकर्णी जिन्होनें फिल्म रंग दे बसंती में भगवा वस्त्र पहनकर गुंडे की भूमिका निभाई थी, और जो स्वयं को हिन्दू नहीं मानते हैं:

यही जो हिन्दू न मानने वाली प्रवृति और उसके बाद हिन्दू धर्म को कथित रूप से सुधारने की बात करने वालों से हिन्दुओं को चिढ है। हिन्दुओं से घृणा करके हिन्दुओं के प्रति घृणा भरने वाले पूरे बॉलीवुड गैंग से चिढ है। आमिर खान, सलमान खान आदि की बात ही नहीं है, बस लोगों को नहीं देखनी है ऐसी फ़िल्में!

दरअसल बॉलीवुड को लेकर लोगों में इसलिए भी आक्रोश है कि वह लोग सिलेक्टिव गुस्सा दिखाते हैं, प्रोपोगैंडा गुस्सा दिखाते हैं, वह ऐसा दिखाते हैं जैसे कि भारत में ही और विशेषकर हिन्दुओं में सबसे अधिक कमियाँ हैं। कठुआ और उन्नाव काण्ड को लेकर एक झूठा आक्रोश लोगों ने फैलाया और उसे हिन्दुओं के विरुद्ध घृणा फैलाने के लिए प्रयोग किया गया।

उन्नाव काण्ड पर तो आर्टिकल 15 जैसी फिल्म तक बना दी गयी थी, जिसमें झूठ ही झूठ था। पीके तो उस हिन्दू घृणा का चरम थी, जिसे लेकर सबसे अधिक गुस्सा है, परन्तु यह न ही एक फिल्म तक सीमित है और न ही एक व्यक्ति तक! यह सहज प्रश्न उठता है कि आखिर ऐसी क्या बात है कि हिन्दुओं के प्रति घृणा ही बॉलीवुड का आधार है, जिस समय आमिर खान यह दुहाई दे रहे हैं कि वह देशभक्त हैं, उसी समय आमिर खान उस फैजू का समर्थन कर रहे हैं, जो तबरेज अंसारी के बहाने आतंक का समर्थन कर रहा है,

यह गुस्सा उस बात को लेकर है कि कैसे गोधरा काण्ड को लेकर मुनव्वर फारुकी ठहाके लेता है और फिर वही मुनव्वर फारुकी फ़िल्मी कलाकारों द्वारा सराहा ही नहीं जाता है, बल्कि उसका प्रचार तक किया जाता है। उसे रियल्टी शो भी जितवाया जाता है।

और वह भी ऐसी अभिनेत्री द्वारा जिन्हें राष्ट्रवादी माना जाता है और उस प्रोडक्शन हाउस द्वारा जिसकी मालकिन को भारत सरकार के सर्वोच्च पद्म पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया गया है,

इसलिए यह सामूहिक क्रोध है, जो कंगना की धाकड़ को भी फ्लॉप कराता है और तापसी पन्नू की “शाबास मिट्ठू” सहित 1983 की क्रिकेट विश्वकप की जीत की फिल्म को भी।

इसे सामूहिक प्रतिकार के रूप में देखा जाना चाहिए, जो हिन्दू विरोधी बॉलीवुड गैंग का आम हिन्दू के द्वारा किया जा रहा है और अब यह देखा गया है कि बुकिंग में भी घालमेल किया जा रहा है।

इस पर लोग तरह तरह के वीडियो साझा किए जा रहे हैं कि कैसे झूठ फैलाया जा रहा है:

आमिर खान की इस फिल्म का समर्थन कथित सेक्युलर लोग इसकारण कर रहे हैं क्योंकि राष्ट्रभक्त लोग इसका विरोध कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस फिल्म का विरोध नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि एक धर्म अपनी आलोचना को लेकर अधिक उदार होता है, इसलिए बुरा नहीं मानना चाहिए। यही बात तो परेशान करने वाली है कि जो धर्म अपनी आलोचनाओं को लेकर उदार है, उसी को लेकर क्यों घृणा के बीज क्यों बोए गए?

और आज तक घृणा फैलाई जा रही है, इतना ही नहीं इस फिल्म में तो सेना की छवि के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है:

लोग आमिर खान की पाकिस्तानियों के साथ खिंचाई गयी तस्वीर को भूले नहीं हैं: वह उन तस्वीरों को याद रखे हुए हैं:

लोग सत्यमेव जयते को नहीं भूले हैं, जिसमें हिन्दुओं के हर पर्व का उपहास उड़ाया गया था। लोगों को अभी तक याद है, दरअसल इस सेयुलारिज्म की एकतरफा बात से लोग चिढ़े हुए हैं

एवं यह किसी संस्थान या संगठन द्वारा समर्थित न होकर एक स्वत: स्फूर्त अभियान है, जिसमें लोगों का वह आक्रोश सम्मिलित है जिसके चलते हिन्दू साधु संतों की ऐसी छवि बॉलीवुड ने बनाई है कि पालघर में साधुओं को मार डाला जाता है, परन्तु लोग इसलिए चुप रह जाते हैं क्योंकि उनके मस्तिष्क में गेरुआ वस्त्रों के प्रति घृणा इस हद तक भर दी गयी है कि वह यह समझ ही नहीं पा रहे हैं कि यह उनका ही संहार है!

परन्तु अब लोग समझ रहे हैं, कन्हैया लाल की हत्या के बाद जिस प्रकार से हत्याओं का दौर चालू है, उस समय भी फिल्म उद्योग द्वारा हिन्दुओं को ही कट्टर, हिन्दुओं को पिछड़ा एवं हिन्दुओं को ही हिंसक दिखाने की जो जिद्द और सनक है, यह प्रतिकार उसका है!

यह देखना होगा कि लाल सिंह चड्ढा को इस बॉयकाट का लाभ होता है या हानि?

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

Thanks for Visiting Hindupost

Dear valued reader,
HinduPost.in has been your reliable source for news and perspectives vital to the Hindu community. We strive to amplify diverse voices and broaden understanding, but we can't do it alone. Keeping our platform free and high-quality requires resources. As a non-profit, we rely on reader contributions. Please consider donating to HinduPost.in. Any amount you give can make a real difference. It's simple - click on this button:
By supporting us, you invest in a platform dedicated to truth, understanding, and the voices of the Hindu community. Thank you for standing with us.