गुरुग्राम में कल जो घटना हुई है, उससे एक ऐसा बड़ा हिन्दू वर्ग जो क़ानून को मानता है, जो संविधान को मानता है और जो प्रशासन पर विश्वास करता है, बहुत क्षोभ से भरा हुआ है, और खुले में नमाज पढ़ने का विरोध करने पर जिस प्रकार से हिन्दुओं को गिरफ्तार किया गया है उससे लोग प्रश्न पूछ रहे हैं कि खुले में नमाज क्यों? और लोग यह प्रश्न पूछ रहे हैं कि आखिर हरियाणा में सरकार किस पार्टी की है?
यह प्रश्न इसलिए आज पूछा जा रहा है क्योंकि घटना ही कुछ ऐसी है। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि यह सभी घटनाएं भाजपा सरकार में हो रही हैं। जिस अल्पसंख्यक तुष्टिकरण के लिए भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस का विरोध किया करती थी, और कांग्रेस को तुष्टिकरण का जनक कहती थी, वह क्या आज स्वयं उसी पथ पर चल पड़ी है? यह प्रश्न भी उभर कर आता है क्योंकि गुरुग्राम में पिछले कुछ दिनों से हो रहा है, वह कांग्रेस के स्तर अल्पसंख्यक तुष्टिकरण है या फिर उससे भी एक कदम आगे भाजपा निकल गयी है!
गुरुग्राम में कल अर्थात 29 अक्टूबर को खुले में नमाज पढ़ने का विरोध करने वाले हिन्दुओं को हरियाणा की भाजपा सरकार ने हिरासत में ले लिया। हरियाणा के गुरुग्राम में खुले में नमाज पढ़े जाने का विरोध स्थानीय नागरिक कर रहे हैं। खुले स्थानों पर नमाज क्यों पढ़ी जा रही है, यह प्रश्न सभी का हो सकता है, जैसा उन नागरिकों का है, जिनका जीवन इससे प्रभावित हो रहा है। इस्लाम के अनुसार तो पूरी धरती अल्लाह की है, इसलिए कहीं भी नमाज हो सकती होगी, पर इस तर्क के अनुसार क्या हमारे घरों में भी एक दिन घुसकर नमाज पढ़ी जाएगी? दरअसल पहले भी एक वीडियो वायरल हो चुका है, जिसमें सुदर्शन चैनल की एंकर को एक मौलाना ने धमकाया था कि हम जगह कम होने पर आपके घर में भी नमाज पढ़ेंगे!
गुरुग्राम में कई स्थानों पर खुले में नमाज पढ़ने का विरोध हो रहा है। जहां नागरिकों का यह कहना है कि नमाज घर में या मस्जिद में पढ़ी जानी चाहिए, तो वहीं प्रशासन का यह कहना है कि जिला प्रशासन ने 37 स्थानों पर मुस्लिम समुदाय को वर्ष 2018 में ही नमाज पढ़ने की अनुमति दे दी थी। परन्तु नागरिकों का कहना है कि उन्हें समस्या होती है और नमाज के लिए न जाने कहाँ से लोग आते हैं।
अब यह विवाद गंभीर रूप ले चुका है। क्योंकि जहाँ एक ओर जनता की परेशानी समझने के लिए प्रशासन और सरकार तैयार नहीं है और हिन्दुओं को ही उलटा प्रताड़ित कर रही है तो वहीं मुस्लिम समूह के सदस्यों का कहना था कि पांच निर्धारित स्थानों पर उन्हें पुलिस की सहायता चाहिए। और उन्होंने नूंह और पटौदी गाँव से भी लोगों को समर्थन के लिए बुलाया है। हालांकि यह नहीं पता चला है कि इन गावों से लोग आए हैं या नहीं।
मुस्लिम एकता मंच के हाजी शहजाद खान ने कहा कि अगर हिन्दू समूह हमारे खिलाफ नारे लगाएंगे, तो हम शांत नहीं बैठेंगे। हम शान्ति भंग नहीं करना चाहते हैं, पर अगर हमें निशाना बनाया गया, तो हम शांत नहीं बैठेंगे।”
कई सप्ताह से चल रहे इस विवाद में जब हिन्दू अपने को होने वाली परेशानियों का विरोध करने के लिए पहुंचे तो उनका सामना सरकार द्वारा लगाए गए उस 500 से अधिक संख्या कर्मियों से हुआ, जिनकी नियुक्ति नमाज की सुरक्षा के लिए की गयी थी।
पुलिस कमिश्नर के अनुसार इस मामले पर मुख्यमंत्री श्री खट्टर के निर्देशानुसार ही पुलिस कार्यवाही की जा रही है और मुख्यमंत्री ने यह निर्देश दिए हैं कि नमाज में कोई विघ्न न आए। उन्होंने कहा कि यदि कोई भी नमाज पढ़ने वालों को परेशान करने का प्रयास करता है तो उसके खिलाफ उचित कदम उठाया जाएगा।
और यही कारण है कि इस नमाज का विरोध करने वाले हिन्दुओं को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया
जहाँ पुलिस और प्रशासन नमाज को लेकर चिंतित है तो वहीं स्थानीय नागरिकों के साथ साथ नेट पर भी लोग पूछ रहे हैं कि आखिर खुले में नमाज क्यों? क्या हिन्दुओं को इस प्रकार हर दिन के अनुसार खुले में कीर्तन करने की अनुमति दी जा सकती है?
और क्या प्रशासन इतना मौन रहेगा कि वह आम हिन्दुओं की समस्याओं को समझने से भी इंकार करेगा? यह भी ध्यान में रखा जाए कि गुरुग्राम से मात्र 50 किलोमीटर पर ही नुह है, और जो बहुसंख्यक मुस्लिम मेवात क्षेत्र का केंद्र है। नुह में मुसलमानों की जनसंख्या 80% है और वहां पर धार्मिक आधार पर हिन्दुओं का अंतहीन शोषण होता है। सच्चे इस्लाम को स्थापित करने के लिए और सभी कुफ्र आदतों (हिन्दू प्रभावों) से इसे मुक्त करने के लिए वर्ष 1926 में मेवात में तबलीगी जमात की स्थापना की गयी। मेवात में कई ऐसे मामले आते हैं, जब हिन्दुओं को न ही अपनी पूजा करने की आजादी होती है और न ही त्यौहार मनाने की।
मेवात के विषय में यह कहा जा रहा है कि वह हिन्दुओं का कब्रगाह बन कर रहा है और हिन्दू महिलाओं के अपहरण, बलात्कार और जबरन धर्मांतरण के न जाने कितने किस्से गुरुग्राम से कुछ ही दूरी पर स्थित मेवात से आते हैं।
यही कारण है कि आम हिन्दू नमाज के इस सार्वजनिक प्रदर्शन से डरता है। उन्नीस सौ नब्बे के दशक में कश्मीर में हिन्दुओं के साथ जो हुआ, वह सभी ने देखा और जुम्मे की नमाज के बाद हिन्दुओं के साथ हिंसा होती थी। ऐसे कई समाचार हैं। और हाल ही में बांग्लादेश में हिन्दुओं के साथ जो हिंसा का नंगा नाच खेला गया, वह जुम्मे की नमाज के बाद और बढ़ गया था।
इतना ही नहीं कुछ दिनों पहले येरुशलम में भी जुमे की नमाज के बाद अचानक से ही हिंसा भड़क उठी थी।
देश और विदेश में होने वाली इन सभी घटनाओं ने आम लोगों के मन में भय व्याप्त किया ही है और साथ ही सड़क पर होने वाली नमाज या खुले स्थानों पर होने वाली नमाज से आवागमन के साथ ही कई और समस्याएं होती हैं, जैसा स्थानीय नागरिक कहते हैं। ऐसा नहीं है कि केवल हिन्दू ही इस खुले में पढ़ी जाने वाली नमाज से परेशान हैं, मुस्लिम व्यापारी भी परेशान हैं।
गुरूवार को सेक्टर बारह में फर्नीचर दुकान के मालिक महमूद खान ने पुलिस के पास रिपोर्ट लिखवाई कि उनकी दुकान के सामने कुछ मुस्लिम नमाज पढ़ते आ रहे हैं, और इससे उन्हें परेशानी हो रही है। उन्होंने कई बार मौलवी से अनुरोध किया कि वहां पर नमाज न करवाएं, पर वह उन्होंने कहा कि वह सरकारी जमीन पर नमाज करवा रहे हैं। हालांकि महमूद खान ने पुलिस में शिकायत दर्ज की थी, पर गुरुवार तक कोई भी मामला दर्ज नहीं हुआ था।
वहीं, खुले में पढ़ी जा रही इस नमाज का विरोध करते हुए हिन्दुओं को ही प्रशासन ने हिरासत में ले लिया है। इस बात को लेकर जनता में भारी आक्रोश है और नेट पर तरह तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
दरअसल नमाज उनके लिए शक्ति का प्रदर्शन होती है, फिर चाहे वह गुरुग्राम का मैदान हो या फिर दुबई में क्रिकेट का मैदान! हमें अभी हाल ही में पाकिस्तानी खिलाड़ी वकार यूनुस ने भी नमाज को लेकर बात कही थी, कि “हिन्दुओं के बीच रिजवान ने मैदान में नमाज पढ़ी, वह मेरे लिए खास लम्हा था!”
हालांकि चौतरफा आलोचना के बाद उन्होंने इसके लिए अब क्षमा मांग ली है, पर चाहे गुरुग्राम में खुले स्थान हों, या फिर कोई भी सरकारी स्थान, या मौलाना के अनुसार हिन्दुओं का घर, और वकार यूनुस के अनुसार क्रिकेट का मैदान, या फिर अब पश्चिम में भी सड़कों पर नमाज पढ़ा जाना, यह सब एक मानसिकता है जैसा वकार यूनुस ने कहा “हिन्दुओं के बीच नमाज पढ़ना!”।
Namaj is a religious practice of devoted Muslims. Good. But the best place for namaj is Masjid not the road.