हरियाणा की करनाल पुलिस ने एक बड़े हमले की साजिश को नाकाम कर दिया है। पुलिस ने खालिस्तानी आतंकवाद व आईएसआई से जुड़े पंजाब के रहने वाले चार संदिग्ध आतंकियों को हथियारों व आरडीएक्स के साथ गिरफ्तार किया है। जानकारी के अनुसार करनाल के बसताड़ा टोल से चारों आतंकवादियों की गिरफ्तारी हुई है। चारों लोग इनोवा कार में सवार होकर दिल्ली की तरफ जा रहे थे, और इनका उद्देश्य था जल्दी ही किसी आतंकवादी घटना को क्रियान्वित करना। गिरफ्तार आतंकवादी पंजाब के रहने वाले गुरप्रीत, भूपेंद्र अमनदीप व परविंदर सिंह बताए जा रहे हैं।
करनाल पुलिस के अनुसार, ये चारो लोग पाकिस्तान के रहने वाले हरविंदर सिंह के साथी हैं. करनाल एसपी ने बताया कि आतंकी हरविंदर सिंह रिंडा ने इन लोगो को आईईडी तेलंगाना भेजने के आदेश दिए थे। इनको सारी जानकारी पाकिस्तान में बैठे इनके संचालकों द्वारा भेजी गई थी। इससे पहले ये लोग दो जगहों पर आईईडी और अन्य हथियारों की आपूर्ति कर चुके हैं।
पुलिस को इनके पास से देसी पिस्टल, 31 कारतूस और 3 लोहे के कंटेनर प्राप्त हुए हैं, साथ ही 1 लाख 30 हजार रूपये कैश भी बरामद किए गए हैं। तीन युवक फिरोजपुर के रहने वाले हैं, जबकि एक युवक लुधियाना का रहने वाला है। पुलिस के अनुसार मुख्य आरोपी ने इन सभी से जेल में ही मेल मिलाप किया था, और इन्हे भारत के विरुद्ध आतंकवादी हमले करने के लिए उकसाया था।
पंजाब में खालिस्तान आतंकवाद का इतिहास
पंजाब ऐतिहासिक रूप से बड़ा ही संवेदनशील प्रदेश रहा है, विभाजन के समय भी इस प्रदेश के 2 टुकड़े किये गए थे, तत्पश्चात कभी धर्म के नाम पर, कभी भाषा के नाम पर यहाँ वातावरण हमेशा ही तनावपूर्ण ही रहता था। 1971 के युद्ध में भारत से हारने के बाद पाकिस्तान को ये समझ आ गया था कि वो भारत से कभी भी परंपरागत युद्ध में नहीं जीत सकता, तब पाकिस्तानी सरकार और सेना ने भारत के 2 राज्यों पंजाब एवं जम्मू और कश्मीर को अस्थिर करने की कार्ययोजना बनायी।
70 और 80 के दशक में पाकिस्तानी आईएसआई एजेंसी की सहायता से खालिस्तानी आंदोलन खड़ा किया गया, इसका नेतृत्व जरनैल सिंह भिंडरावाले ने किया। इस आतंकवादी आंदोलन के कारण हजारो हिन्दुओ की नृशंस हत्या हुई, बाद में केंद्र सरकार को स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लू स्टार करने के लिए बाध्य होना पड़ा, जिसमे भिंडरावाले सहित सैकड़ो खालिस्तानी आतंकवादियों का सफाया किया गया। उसके बाद पूरे पंजाब में आतंकवाद का समूल नाश करने के लिए आईपीएस के पी एस गिल को पंजाब पुलिस प्रमुख बनाया गया था, जिनके उठाए गए क़दमों ने खालिस्तानी आतंकवाद को जड़ से उखाड़ दिया गया।
उसके बाद से समय समय पर खालिस्तान आतंकवाद को उभारने की कोशिश की जाती रही हैं, लेकिन वो ज्यादा सफल नहीं हुई । 1984 के दंगो के बाद हजारों सिख भारत छोड़ कर अमेरिका, कनाडा, और ब्रिटैन चले गए थे, वहां कुछ खालिस्तानी मानसिकता के लोगो ने आतंकवादी संगठन और सिख फॉर जस्टिस जैसी संस्थाएं बनायी, जिनका एक ही ध्येय था, भारत में फिर से खालिस्तान आंदोलन को उभारना।
‘आप’ के सहारे खालिस्तान आतंकवाद का उदगमन
पिछले कुछ सालों से खालिस्तानी तत्व रेफेरेंडम 2020 का आयोजन करने का प्रयत्न कर रहे थे, लेकिन इसमें सफलता नहीं प्राप्त हो पा रही थी। 2014 के लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी को 4 लोकसभा सीटें मिली, सभी पंजाब में थी और तभी ये लगने लगा था कि पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार भविष्य में बन सकती है। यही वजह थी कि आम आदमी पार्टी को कनाडा, ब्रिटैन और अमेरिका से बड़े स्तर पर फंडिंग मिलनी शुरू हो गयी थी।
आम आदमी पार्टी के कई नेताओ ने विदेशी यात्राएं भी की थी और कई संदिग्ध खालिस्तानी तत्वों से इनके सम्बन्ध भी हैं। किसान आंदोलन के बहाने से खालिस्तानी तत्वों ने पुनः भारत में सर उठाना शुरू कर दिया था। आंदोलन के नाम पर बाहर से कई लोग आये, करोडो रूपए की फंडिंग आयी, बड़े कलाकार, व्यवसायी और अन्य विख्यात लोगो ने भारत में नकारात्मक विचार फैलाने शुरू कर दिए थे। आंदोलन के समय भी कई घटनाएं हुई, जिसमे निहंगों और खालिस्तानी आतंकवादियों ने लोगो की हत्या की, बेअदबी के नाम पर गुरुद्वारों और यहाँ तक की स्वर्ण मंदिर में लोगो की हत्याएं की गयी।
जैसे जैसे पंजाब विधानसभा के चुनाव का समय आता रहा, पंजाब में खालिस्तानी तत्वों ने हिंसक घटनाओ की संख्या बढ़ा दी। प्रधानमंत्री मोदी की पंजाब यात्रा भी खालिस्तानी आतंकवादियों के लक्ष्य पर थी, और प्रधानमंत्री के दल के सामने किसानो के रूप में खालिस्तानी तत्वों ने आंदोलन शुरू कर दिया था, जिस वजह से प्रधानमंत्री एक पुल के ऊपर काफी देर तक अटके रहे, और एक बड़ा सुरक्षा का विवाद उत्पन्न हो गया था। खालिस्तानी तत्वों ने आम आदमी पार्टी को पूर्ण समर्थन दिया, उनके लिए फंडिंग की व्यवस्था की, और यही वजह थी आम आदमी पार्टी की एकतरफा विजय के पीछे।
‘आम आदमी पार्टी की सरकार बनते ही खालिस्तान का खेल हुआ आरंभ
जैसे ही आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है, खालिस्तानी आतंकवादियों की जैसे जीवन की एक नयी आशा मिल गयी है। पिछले दिनों में आप देखेंगे तो पाएंगे कि पंजाब में खालिस्तानी तत्वों ने उपद्रव करना शुरू कर दिया है। पिछले ही महीने हिमाचल प्रदेश में भिंडरावाले के झंडे और पोस्टर लगाने के मुद्दे पर पंजाब और हिमाचल प्रदेश के बीच तनाव उत्पन्न हो गया था, बाद में खालिस्तानी तत्वों ने पंजाब से हिमाचल जाने वाली सड़क पर अस्थायी चेकपोस्ट लगा दी थी, और हिमाचल की गाड़ियों को पंजाब में आने से रोक दिया था।
पिछले ही हफ्ते पंजाब की शिवसेना ने पटियाला में खालिस्तानी मुर्दाबाद दिवस मनाया था, उससे चिढ कर खालिस्तानी तत्वों ने उनके आयोजन पर हथियारि से हमला कर दिया था, और उनमे कई लोग घायल हुए थे। खालिस्तानियों ने वहां के प्रसिद्ध काली मंदिर पर भी हमला किया, और कई निहंगों ने काली माता के बारे में अपशब्द भी बोले थे। आम आदमी पार्टी द्वारा खालिस्तानियों को पूर्ण समर्थन को आप इसी बात से समझ सकते हैं, कि सैंकड़ो हिंसक लोगो के सीसीटीवी फुटेज पंजाब पुलिस को मिले हैं, लेकिन अभी तक मात्र 9 लोगो को ही हिरासत में लिया गया है।
अरविन्द केजरीवाल और भगवंत मान एक रणनीतिक तरीके से खालिस्तानी अजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं। पहले ही दिन से ये दोनों येन केन प्रकारेण पंजाब और देश के मध्य मतभेद पैदा कर रहे हैं। भगवंत मान ने केंद्र सरकार द्वारा पठानकोट हमले के बाद सेना भेजने के बदले पैसा वसूलने के विषय पर पंजाब को अलग देश बताने का प्रयास किया। हर दूसरे दिन पंजाब में किसी न किसी की हत्या की जा रही है, वहीं विधि और व्यवस्था की दशा भी बिगड़ती जा रही है।
यहाँ हम केंद्र सरकार से आशा करते हैं कि वो आम आदमी पार्टी और खालिस्तानियों के इस गठजोड़ पर नज़र रखें, और इसका निवारण जल्दी ही निकालें। पंजाब इतने दशकों से पीड़ा ही सहन करता आ रहा है, पिछले कुछ वर्षो में ही कुछ शान्ति आयी थी, लेकिन अब इन आतंकवादी तत्वों ने पंजाब को पुनः आतंकवाद की ज्वाला में झोंकने का आयोजन कर दिया है। अब हमारी सरकार, हमारी सुरक्षा बल और हम नागरिको का उत्तरदायित्व है कि हम इन तत्वों का अवलोकन करते रहे, जागरूकता बढाए और इनके गलत आशय को सफल ना होने दें।