जेप्टो एप्प द्वारा सामान डिलीवरी करने वाले जिहादी युवक ने एक हिन्दू महिला से छेड़छाड़ की एक चौंकाने वाली घटना सामने आई थी। देखा जाए तो यह अकेली या पहली घटना नहीं थी। यह घटना 30 नवंबर को खार पश्चिम में घटित हुई, इसके पश्चात महिला ने अपने इंस्टाग्राम पेज पर अपने साथ हुई आपबीती सुनाई। उसने आरोप लगाया कि शहजादे शेख नाम के डिलीवरी ब्वॉय ने पहले पार्सल देते समय उसका वीडियो रिकॉर्ड करने का प्रयास किया।
जब महिला ने इसका विरोध किया तो उसने धक्का देकर उसके घर में घुसने की कोशिश की और उसके साथ बदतमीजी करने लगा और गाली गलौज करने लगा। महिला ने सहायता के लिए शोर मचाया, जिस सुनकर सोसाइटी के सुरक्षा कर्मी वहां आये और महिला को बचाया। महिला द्वारा पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है, और उस पर आगे की न्यायायिक कार्यवाही की जा रही है।
महिला ने अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट में लिखा था, “मैं बहुत असहाय महसूस कर रही थी, और मै तुरंत रसोई की ओर भागी एवं खिड़की से सुरक्षा कर्मी को आवाज़ लगाई। वह मेरे पास आ रहा था और वीडियो भी बना रहा था, उसे कोई फर्क नहीं पड़ा जब मैंने सहायता के लिए शोर मचाया। सौभाग्य से सुरक्षा कर्मी आया और उसने उसे पकड़ कर उसका फ़ोन मुझे दे दिया। मैंने वह वीडियो देखा जो उसने रिकॉर्ड किया था, यह किसी भी प्रकार से सामान्य नहीं था।”
इस पूरे मामले में एक और चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। महिला द्वारा इस मामले को सोशल मीडिया में उठाने के पश्चात जेप्टो ने इस मामले पर कड़ी कार्रवाई करने और कानून प्रवर्तन के साथ पूर्ण सहयोग करने का आश्वासन देते हुए एक सार्वजनिक बयान ट्वीट किया था। लेकिन अब यह बताया जा रहा है कि जेप्टो ने वास्तव में 3 प्रतिनिधियों को महिला के घर भेजा, जिन्होंने उसे ‘समझौता’ करने के लिए सहमत करने का प्रयास किया, और महिला पर शिकायत वापस लेने का दबाव भी डाला।
पुणे में जिहादी शेख ने हिन्दू छात्रा पर आक्रमण किया
ऐसी ही एक और घटना सितम्बर में पुणे में हुई थी, जब ज़ोमैटो के डिलीवरी मैन रईस शेख (40) ने कोंढवा में एक इंजीनियरिंग छात्रा के साथ उसके घर पर छेड़छाड़ की थी, जिसके पश्चात उसे गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस के अनुसार कोंढवा में एक किराए के अपार्टमेंट में रहने वाली इंजीनियरिंग की छात्र ने जोमैटो से रात के खाने का ऑर्डर दिया था। शेख ऑर्डर देने के लिए छात्र के आवास पर पहुँचा और उसे एक गिलास पानी देने का अनुरोध किया।
जब वह पानी लेकर आई तो वह उससे घरवालों के बारे में पूछने लगा। जिस पर छात्रा ने बताया कि वह अपनी दो सहेलियों के साथ फ्लैट में रहती है, जो उस समय अपने-अपने घर चली गई थी। फिर उसने छात्रा से एक और गिलास पानी मांगा, और जैसे ही वह पानी ले कर आयी, शेख ने उसे पकड़ लिया और उसका चुम्बन ले लिया। छात्रा ने शोर मचाया और पुलिस को भी सूचित किया, जिसके पश्चात शेख को गिरफ्तार कर लिया गया था।
स्विगी के कर्मचारी शेक आमिर ने खाना बनाने में देरी होने पर शिव प्रसाद की हत्या की
सितम्बर में ऐसी ही घटना में स्विगी डिलीवरी बॉय शेख आमिर ने ऑर्डर देने में देरी के होने के कारण रसोइये के साथ झगड़ा कर लिया था। जब बात बढ़ गयी तो आमिर ने रसोइये शिव प्रसाद को चाकू मार दिया था। यह घटना 15 सितंबर की देर रात को हुई थी। शिव प्रसाद को गंभीर चोट लगने के बाद निम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसकी मृत्यु हो गई थी।
शिव प्रसाद नानकरामगुडा अपार्टमेंट में रसोइये का काम करता था। आमिर ने उस पर अचानक हमला कर दिया, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया था। आमिर घटनास्थल से भाग गया था, जिसे बाद में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। इस मामले में व्हिधिक कार्यवाही चल रही है, लेकिन इतनी छोटी सी बात पर हत्या कर देना बड़ा ही विचलित करता है।
जोमाटो के ‘डिलीवरी ब्वॉय’ नदीम ने छेड़छाड़ करने से रोकने पर दी धमकी
ऐसी ही एक घटना अक्टूबर में दिल्ली में घटित हुई थी, जहां एक जिहादी ने पुलिस थाने के सामने अपनी बाइक में आग लगा दी थी। इस घटना में थाने को भी आंशिक रूप से हानि पहुंची थी। जोमाटो में डिलीवरी का काम करने वाले नदीम ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया और उसने मौके पर मौजूद सभी लोगों को यह कहते हुए धमकाया, ‘मैं सबके घर, पत्नियों और बच्चों को जानता हूं’।
समाचार पत्रों के अनुसार, मोहम्मद नदीम दिल्ली के हौजरानी का रहने वाला है। इस घटना के दो दिन पहले एक महिला ने नदीम के विरुद्ध खान मार्केट में उसे घूरने का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। जिसके पश्चात पुलिस ने नदीम को फटकार लगाकर और समझा कर छोड़ दिया था। वहीं नदीम ने पुलिस पर आरोप लगाया कि उन्होंने उसे थप्पड़ मारा था।
अगले दिन नदीम ने थाने के सामने ही अपनी बाइक में पेट्रोल डाल कर आग लगा दी थी। उसने आस पास रहने वाले हिन्दुओं को देख लेने की धमकी भी दी थी। इससे यह साफ़ हो जाता है कि उसके इरादे कुछ और ही थी। इस घटना के पश्चात नदीम को गिरफ्तार कर लिया गया है और पुलिस इस मामले की आगे की जांच कर रही है।
इसी प्रकार दिसंबर 2020 में, फूड डिलीवरी एजेंट नज़ीर मोहम्मद को मंगलुरु में हिंदुओं को धमकी देने वाले और इस्लामिक आतंकवाद का समर्थन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। ऐसे ही इसी वर्ष अगस्त में, दो मुस्लिम भाइयों ने यूपी में पिज्जा डिलीवरी एक्जीक्यूटिव सचिन कश्यप को 200 रुपये का फटा हुआ नोट स्वीकार नहीं करने पर गोली मार दी थी। ऐसी घटनाएं निरंतर बढ़ रही हैं।
क्या ‘अत्यधिक कट्टर’ अल्पसंख्यक समुदाय बना समाज के लिए खतरा बन रहा है?
इन घटनाओं से एक बात स्पष्ट होती है कि कहीं न कहीं कथित अल्पसंख्यक समाज के कुछ कट्टर लोग अब शायद खतरा बन रहे हैं। कोरोना महामारी के चरम के समय भी हमने देखा था कैसे मुस्लिम विक्रेता हिंदू ग्राहकों को सामान या फल सब्जी आदि बेचने से पहले उन पर जानबूझकर थूकते थे या पेशाब करते थे। ऐसा करने के लिए सोच क्या थी, यह भी नहीं पता है!
इसके बाद जब हिंदू ग्राहक अपनी और प्रियजनों की सुरक्षा के लिए निवारक कार्रवाई करने का प्रयास करते हैं, तो वामपंथी-उदारवादी-इस्लामवादी पारिस्थितिकी तंत्र उन्हें ‘धर्मांध’ के रूप में चित्रित करता है। यह लोग मुस्लिमो से आत्मनिरीक्षण करने के बजाय हिन्दुओं को ही गिरफ्तार करने और उन्हें हतोत्साहित करने का प्रयास करते हैं। इनके अनुसार हिन्दुओं का आक्रामक व्यवहार ही जिहादियों को इस तरह के अनुचित व्यवहार के लिए प्रेरित कर रहा है।
इस्लामवादी मौलवियों और समुदाय के नेताओं से कभी यह प्रश्न नहीं पूछा जाता कि उनके समुदाय के लोग इस प्रकार के घृणित कृत्य क्यों कर रहे हैं। कौन हैं वह लोग को मुस्लिमों के दिमाग में वर्चस्ववाद, कुप्रथा, हिंदू-विरोधी घृणा और अवैज्ञानिक कट्टरता की धारणाओं से भर रहे हैं। इस विषय को हमारे धर्मनिरपेक्ष-उदारवादी अभिजात वर्ग द्वारा वर्जित घोषित किया गया है, और यहां तक कि इस प्रकार की घटनाओं को उजागर करने पर ‘सांप्रदायिकता’ और ‘इस्लामोफोबिया’ का जोरदार हाहाकार मचाया जाता है।
वहीं स्विगी, ज़ोमैटो जैसी डिलीवरी कंपनियाँ अपने कर्मचारियों की पृष्ठभूमि सत्यापन और व्यवहार प्रशिक्षण की प्रक्रियाओं को कड़ा करने के बजाय, झूठे सेकुलरिज्म और हिंदुओं को नीचा दिखाने से कभी नहीं थकतीं। यहां तक कि हिजाब पहनने वाली लड़कियां या बुर्का पहनी शिक्षिकाएं भी इस कट्टरपंथी सोच से सुरक्षित नहीं हैं। यह एक ऐसा मुद्दा है जो सभी को प्रभावित करता है, और यहां तक कि युवा, तर्कसंगत मुस्लिम आवाजें जो अपने समुदाय के भीतर इन मुद्दों को संबोधित करना चाहती हैं, उन्हें भी हमारे हिंदूफोबिक अभिजात वर्ग द्वारा अनदेखा या दबा दिया जा रहा है।
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