झारखंड में शाहरुख के हाथों जली अंकिता दम तोड़ चुकी है, मगर अब लोगों का गुस्सा फूट रहा है। उसके अंतिम शब्द एवं यह आस कि वह ठीक हो जाएगी, उसके आसपास के लोगों को तोड़ रही होगी, परन्तु न ही अंकिता की न्याय की आस विमर्श में आ पाएगी क्योंकि हमने शाहरुख को देखा था पुलिस की कस्टडी में जाते हुए।। वह कैसे हँसता हुआ जा रहा था, जैसे उसने बहुत बड़ा काम किया है। उसने शाबासी का काम किया है, शायद शाबासी का काम किया ही है, उसने एक ‘काफिर’ कोख को नष्ट जो किया है!
सोशल मीडिया पर देखा जा रहा अंकिता का अंतिम बयान क्षोभ एवं दुःख से भरने वाला है, उसकी पीड़ा को अनुभव करके ही एक अजीब जलन अनुभव की जा सकती है:
उस पर भी सबसे अधिक क्रोध की बात यह है कि अंकिता के मामले की जांच के लिए नूर मोहम्मद नामक पुलिस अधिकारी को नियुक्त किया गया है, जिसके विषय में लोगों का कहना है कि उसीने अंकिता का मामला कमजोर किया था
फिर भी भारत में हिन्दू लड़कियों की इस पीड़ा पर फेमिनिस्टों का मौन बहुत कुछ कह जाता है, बहुत कुछ कह जाता है उन कथित लेखिकाओं का मौन जो दिन भर बैठ बैठ कर बनावटी कविताएँ लिखकर हिन्दू पुरुषों के विरुद्ध हिन्दू लड़कियों को भड़काती रहती हैं।
वह बहुत ही चालाकी से मुस्लिम कट्टरपंथी आदमियों द्वारा हिन्दू लड़कियों के साथ किए गए अत्याचारों को हिन्दू पुरुषों पर हस्तांतरित कर देती हैं और हिन्दू लडकियां कभी भी शाहरुख़ जैसे आदमियों की असलियत नहीं जान पाती हैं। उन्हें यह पता ही नहीं चल पाता है कि दरअसल वह जिस स्त्री विमर्श का गाल बजाने वाली औरतों की “डिज़ाईनर कविताएँ” पढ़ रही हैं, वह उन्हें उस जिहाद के और निकट लेकर जा रही हैं, जो उनका वास्तविक शत्रु है।
ऐसा नहीं है कि केवल भारत में ही हिन्दू लड़कियों की यह स्थिति है, पड़ोसी पाकिस्तान में तो हिन्दू लड़कियों के साथ जो होता है, उसकी कहानी तो बताना भी खतरे से खाली नहीं है! और यही कारण है कि भारत की फेमिनिस्ट हमेशा पाकिस्तानी हिन्दुओं, और या कहें कि पूरी हिन्दू लड़कियों के साथ होने वाले हर उस अत्याचार के समर्थन में जाकर खड़ी होती हैं, जहाँ पर उन पर कट्टरपंथी मुस्लिमों ने हमला किया होता है!
पाकिस्तान, भारत और बांग्लादेश में हिन्दू लड़कियों की क्या स्थिति है, यह कई उदाहरणों से देखा जा सकता है। भारत में भी जहाँ पर हिन्दू अल्पसंख्यक होते हैं, वहां पर वह लड़कियों की क्या स्थिति करते हैं, वह झारखंड के उस उदाहरण से देखा जा सकता है जिसमें एक हिन्दू लड़की से उठक बैठक करवाई गयी थी।
उठक बैठक करवाई गयी थी हिन्दू लड़की से:
लड़की का दोष क्या था? लड़की ने शायद कोई वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया था, जिससे मुस्लिम समुदाय के लोग उग्र हो गए थे और फिर उन्होंने उस लड़की को घर से बाहर निकालकर बारिश में उठक बैठक करवाई! जब वीडियो वायरल हुआ, मामला तूल पकड़ता हुआ नजर आया तो प्रशासन जागा और लड़की के परिवार को सुरक्षा दी। लड़की की माँ ने पुलिस में रिपोर्ट लिखवाई और इस घटना के मुख्य आरोपित मुखिया के बेटे मोहम्मद वसीम अंसारी ने पौक्सो कोर्ट में आत्म समर्पण कर दिया था।
ऐसे एक नहीं कई उदाहरण हैं, जिनमें देखा गया है कि हिन्दू लड़की को न्याय पाने के लिए संघर्ष करना होता है, और यह संघर्ष मात्र एक पक्षीय नहीं होता है, यह संघर्ष कई पक्षों में बंटा हुआ होता है। सबसे पहले तो इस संघर्ष की पहचान ही गलत होती है। जो संघर्ष हिन्दू पहचान का संघर्ष होता है, उसे कानूनी बताकर उस मामले को ही लगभग समाप्त कर दिया जाता है।
झारखंड में अभी वह लड़की न्याय के लिए संघर्ष कर रही है, परन्तु जब वीडियो वायरल हुआ था तो लगा था कि अरे इतनी सीमा तक भी कोई जा सकता है? जब हम अंकिता को देखेंगे तो लगेगा कि अरे कोई इस सीमा तक जा सकता है और अतीत से निकिता तोमर झांकती हुई कहेगी कि “हां, हिन्दू लड़कियों पर इनके अत्याचार की कोई सीमा है ही नहीं!”
उत्तराखंड की अंजलि: यामीन अहमद के हाथों हुई हत्या, शव मिला 24 दिनों के बाद
इसी कड़ी में एक और नाम जुड़ा है और वह नाम है उत्तराखंड की अंजलि का। उत्तराखंड में अंजलि के साथ भी वही हुआ, जो ऐसे सम्बन्धों में होता है। उत्तराखंड में अंजलि आर्य 3 अगस्त से गायब थी। वह अपने घर से कॉलेज जाने की बात कहकर निकली थी। मगर जब वह वापस नहीं आई तो परिजनों ने रिपोर्ट दर्ज कराई! न जाने कब तक पता नहीं चला, और परिवार के हाथों में आई उसकी सड़ी गली लाश!
अंजलि को यामीन अहमद से प्यार था। यामीन अहमद पर जब अंजली शादी की लिए दबाव डालने लगी, तो उसके बाद वह परेशान हो गया और यही कारण था कि उसने अंजलि का गला काटकर सदा सदा के लिए चुप करा दिया। हालांकि पुलिस ने हत्यारोपितों को हिरासत में ले लिया है, परन्तु उसका लाभ नहीं है!
अंजलि की कहानी भी उन लाखों लड़कियों की कहानियों की तरह है जो यह समझती हैं कि जीवन मात्र शाहरुख, सलमान या आमिर खान तक है, उनके दिमाग में वही सॉफ्ट इमेज भरी गयी है, जिसमें शायरी की दुनिया में सब मुस्लिम नायक हैं और हिन्दू खलनायक!
यह सॉफ्ट पावर का युद्ध है, इसे विमर्श के स्तर पर ही जीता जा सकता है, इसे विमर्श के स्तर पर ही लड़ा जा सकता है! नहीं तो हम आसमान में खोजते रहेंगे अंकिता और निकिता के नाम और हमारे सामने आती रहेंगी नित नई अंकिता, नित नई निकिता, किसी और नाम के साथ, परन्तु पहचान वही, हिन्दू!
Situation is grim for Hindus. But, PM Modi does not speak a word unless the victim is a Muslim. Don’t vote for Modi next time. His the real enemy of Hindus.