कट्टर इस्लामिक आतंकी सगठन पीएफआई पर पिछले दिनों केंद्र सरकार ने कड़ी कार्यवाही की है, इस संगठन को ना सिर्फ प्रतिबंधित कर दिया गया है, बल्कि इसके सैंकड़ो कार्यकर्ताओं और इसके सम्पूर्ण नेतृत्व को भी गिरफ्तार कर लिया है। इस कार्यवाही के पश्चात केरल और तमिलनाडु सहित कई राज्यों ने भी पीएफआई को प्रतिबंधित कर दिया है। देश भर में पीएफआई के जिहादियों को पकड़ा जा रहा है, वहीं उनकी सम्पत्तियों को भी जब्त किया जा रहा है।
ऐसे में अगर आपको यह पता लगे कि किसी राज्य की पुलिस खुलेआम पीएफआई का समर्थन कर रही है, तो आपको कैसा लगेगा?
पीएफआई का गढ़ रहा है केरल, और इस संगठन पर प्रतिबन्ध लगाने के पश्चात भी केरल पुलिस कथित तौर पर पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का समर्थन कर रही है, और उसने पीएफआई के विरुद्ध कार्रवाई को अवरुद्ध कर दिया है। केरल पुलिस में ऐसे कई तत्व हैं, जो पीएफआई के सदस्यों पर कड़ी कानूनी कार्यवाही को संभव ही नहीं होने दे रहे हैं। एक सूचना के अनुसार एक पुलिस अधिकारी ने पीएफआई द्वारा किये गए केरल बंद के समय हिंसा के लिए उत्तरदायी लोगों की खुलकर सहायता की थी।
पीएफआई ने अपने ऊपर प्रतिबन्ध लगने के पश्चात राज्य में बंद का आयोजन किया था, जिसमे व्यापक स्तर पर हिंसा भी की थी। पीएफआई के सदस्य हिंसा और तोड़फोड़ की घटनाओं में संलिप्त थे, यही कारण था कि केरल उच्च न्यायालय ने भी पीएफआई को हानि पहुंचाने के लिए आर्थिक दंड देने का आदेश दिया था।
सूत्रों से यह भी पता चला है कि केरल पुलिस ने लगभग छह महीने पहले पीएफआई के मार्शल-आर्ट शिविर पर छापा मारा था, लेकिन कोई गिरफ्तारी नहीं हुई थी, और मामले को दबा दिया गया था। यहाँ यह जानना महत्वपूर्ण है कि पीएफआई ने केरल राज्य में जगह जगह इस तरह के मार्शल आर्ट शिविर खोले हुए हैं, जहाँ मुस्लिम युवाओं को आत्मरक्षा के नाम पर आतंकवाद का प्रशिक्षण दिया जाता है।
इस तरह के शिविरों में केरल और अन्य राज्यों के लगभग 200 आतंकियों ने भाग लिया था। पीएफआई ने अगस्त के अंत में एक शस्त्र-शिविर भी आयोजित किया था, लेकिन केरल पुलिस ने कथित तौर पर इस घटना का भी संज्ञान नहीं लिया, ना ही किसी प्रकार की कार्यवाही की।
पिछले कुछ महीनों में केरल में नशा और सोने की तस्करी के मामलों में कमी आई है, लेकिन पुलिस ने अभी तक इस तरह की घटनाओं में लिप्त संदिग्ध जिहादियों को गिरफ्तार नहीं किया है, ना उनके हथियार ही जब्त किये हैं। वहीं दूसरी ओर पीएफआई की राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) अभी तक किसी भी प्रकार के प्रतिबंध से अछूती है। एसडीपीआई पर प्रतिबंध लगाने से सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट शासन प्रभावित हो सकता है, क्योंकि दोनों संगठनों का एक अकथित गठबंधन है और वह कई क्षेत्रों में साझा शासन भी करते हैं। यही कारण है कि मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने केरल पुलिस को इन आतंकियों पर शिकंजा कसने में कोई जल्दबाजी नहीं दिखाने का आदेश दिया है।
पेरुम्बवूर पुलिस ने पिछले शुक्रवार को पीएफआई द्वारा घोषित हड़ताल के दौरान केरल राज्य (केएसआरटीसी) की एक बस में तोड़फोड़ करने वाले पीएफआई के तीन कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है। ऐसा बताया जाता है कि कलाडी पुलिस थाने से संबद्ध वरिष्ठ पुलिस अधिकारी (सीपीओ) सी.ए. जियाद पेरुंबवूर पुलिस थाने पहुंचे और तीनों आतंकवादियों को आवश्यक सहायता प्रदान की।
स्टेशन पर अन्य पुलिस अधिकारियों ने उसे रोकने का प्रयास किया, लेकिन ज़ियाद ने उन्हें इस मामले से दूर रहने की चेतावनी दे दी। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को जब जियाद के विरुद्ध शिकायत मिली, तब यह मामला सामने आया और तुरंत ही एनआईए अधिकारियों को भी सोचित किया गया। प्राप्त सूचना के अनुसार इस पुलिसकर्मी से पूछ्ताछ की गयी और उसका मोबाइल फोन और अन्य साक्ष्य भी जब्त कर लिए गए हैं।
यहाँ यह जानना महत्वपूर्ण है कि सीपीओ जियाद का इस्लामी अपराधियों की सहायता करने का इतिहास रहा है। दो वर्ष पहले पेरुम्बवूर पुलिस स्टेशन में काम करते हुए जियाद ने बंदूक के साथ पकड़े गए एक कुख्यात गैंगस्टर की सहायता की थी। तब अनुशासनात्मक कार्यवाही करते हुए उसे परावुर थाने स्थानांतरित कर दिया गया था, और लगभग तीन महीने पहले उसे वापस कलाडी स्टेशन भेज दिया गया था, लेकिन उसके व्यवहार में कोई भी सुधार नहीं देखा गया।
यहाँ हैरान करने वाली बात यह है, कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 सितंबर को ही कलाडी के आदि शंकर जन्म भूमि क्षेत्रम (ऋषि और दार्शनिक की जन्मस्थली) का दौरा किया। यह ज्ञात नहीं है कि ज़ियाद तब हमारे प्रधानमंत्री के संपर्क में आया था या नहीं, और ऐसे देशविरोधी व्यक्ति को प्रधानमंत्री की सुरक्षा में सम्मिलित करना कितना खतरनाक हो सकता है, यह कोई स्वयं भी अनुमान लगा सकता है।
इससे पहले खुफिया रिपोर्टों में पुष्टि की गई थी कि इस्लामी आतंकवादियों ने केरल पुलिस में गहरे स्तर तक घुसपैठ कर ली है। ऐसे तत्व पाचा वेलिचम (ग्रीन लाइट) नामक एक समूह का प्रबंधन और नियंत्रण करते हैं। यह अधिकारी पीएफआई आतंकवादियों से जुड़ी जांच में हस्तक्षेप करते हैं और आतंकियों को कानूनी कार्यवाही से बचाने में सहायता भी करते हैं।
पीएफआई और एसडीपीआई नेताओं ने पिछले ही दिनों एक विरोध प्रदर्शन किया था, जब अनस नाम के एक पुलिसकर्मी ने पुलिस डेटाबेस से संघ परिवार के नेताओं की निजी जानकारियां लीक कर दी थीं। सूचना लीक करने वाले थोडुपुझा करिमन्नूर पुलिस स्टेशन के सीपीओ अनस को निलंबित कर दिया गया था, लेकिन वह किसी प्रकार आपराधिक अभियोजन की कार्यवाही से बच गए थे। इस मामले में यह आरोप है कि पीएफआई और एसडीपीआई को केरल पुलिस के नेतृत्व से गुप्त सहायता मिली थी।
जुलाई में कोट्टायम के कांजीरापल्ली स्टेशन से जुड़ी सहायक उप निरीक्षक (एएसआई) रामला इस्माइल ने न्यायालयों और केरल पुलिस के विरुद्ध पीएफआई के नेताओं के सोशल मीडिया पोस्ट साझा किए थे। उसी महीने मुन्नार पुलिस स्टेशन के तीन पुलिसकर्मियों की आतंकी संगठनों को जानकारी देने के आरोप में जांच की गई थी। वहीं मुन्नार पुलिस थाने में कंप्यूटर के माध्यम से आतंकी संगठनों को गुप्त जानकारी देने के आरोप में इडुक्की जिले के पुलिस अधिकारी पीवी अलियार, पीएस रियास और अब्दुल समद की जांच की जा रही है।
11 मई को केरल अग्निशमन और बचाव सेवा के कर्मी जीशाद बदरुद्दीन को आरएसएस कार्यकर्ता श्रीनिवासन की हत्या में भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था। आरएसएस के पलक्कड़ जिले के शिक्षण प्रमुख पूर्व ब्रिगेडियर श्रीनिवासन की पीएफआई के आतंकवादियों ने 16 अप्रैल को हत्या कर दी थी। केरल फायर ब्रिगेड कर्मियों ने आपदा राहत अभियानों के नाम पर पीएफआई कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित किया और अप्रैल में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शनों का आयोजन भी किया।
अपनी अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की नीति के लिए कुख्यात मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, जो केरल का गृह मंत्रालय भी संभालते हैं, उन पर यह प्रश्न तो उठता ही है, कि वह ऐसी घटनाओं और अपराधियों के प्रति हमेशा ही आंखें क्यों मूंद लेते हैं? उपरोक्त अधिकारियों में से किसी के भी विरुद्ध उचित और सार्वजनिक कानूनी कार्रवाई शुरू नहीं की गई है। केरल पुलिस प्रतिबंधित संगठन के कार्यकर्ताओं के विरुद्ध उनकी देशद्रोही गतिविधियों के लिए निर्णायक कार्रवाई करने के लिए ना तो तैयार है, और ना ही उन्हें ऊपर से ऐसे आदेश ही मिलते हैं।
इससे पहले पुलिस स्पेशल ब्रांच ने बताया था कि केरल पुलिस के कई थानों में पीएफआई के सदस्य तैनात हैं। आज यह परिस्थिति है कि प्रतिबन्ध लगने के पश्चात भी पीएफआई के आतंकियों को पुलिस खुलकर सहायता कर रही है। यह बड़ी ही गंभीर परिस्थिति है और अगर इस पर राज्य सरकार और प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की गयी तो इस्लामिक आतंकवाद केरल में बड़े स्तर पर फ़ैल सकता है।