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Friday, April 19, 2024

इंदौर की घटना और हिन्दुओं को तालिबानी ठहराने का सेक्युलर दुराग्रह!

मध्य प्रदेश के इंदौर में पिछले दिनों एक वीडियो वायरल हुआ और उसमें था कि एक चूड़ी वाले को कुछ लोग उसका नाम पूछते हुए मार रहे हैं। जैसे ही वह अपना नाम बोलता उसे मारा जाता। वीडियो डराने वाला था, और स्पष्ट है विवाद भी उत्पन्न करने वाला भी। यही वीडियो आने वाले समय में एक मजहब के बच्चों को यह समझाने के लिए प्रयोग किया जाएगा कि काफिर हिन्दू तुम्हारे मजहब के लोगों के साथ क्या करते हैं।

परन्तु उन बच्चों से यह तथ्य छिपा लिया जाएगा कि उस चूड़ी वाले के पास से झूठे नाम से आधार कार्ड भी प्राप्त हुए हैं, और उस पर पॉस्को अधिनियम के अंतर्गत मामला भी दर्ज हुआ है। इंदौर में जब एक व्यक्ति का पिटता हुआ वीडियो वायरल हुआ तो यह पूरी तरह से स्पष्ट था कि उस पर राजनीति होनी ही है।  और तुरंत ही इमरान प्रतापगढ़ी जो कहने के लिए शायर हैं और कांग्रेस के अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, उन्होंने ट्वीट करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी लपेट लिया और जो मार रहे थे, उन्हें आतंकी करार दे दिया। इसके साथ ही तालिबान की आलोचना में किन्तु परन्तु करने वाले एक्टिविस्ट भी कूद पड़े और मुस्लिमों की राजनीति करने वाले भी।

यह वही लोग हैं, जो कभी भी मुस्लिमों द्वारा की जा रही हिंसा पर नहीं बोलते। राजस्थान में पिछले दिनों कुछ मुस्लिम युवकों ने एक दलित युवक कृष्णा वाल्मीकि की पीट पीट कर हत्या कर दी थी। परन्तु इमरान प्रतापगढ़ी के साथ साथ दलित और मुस्लिमों की राजनीति करने वाले शेष लोग मौन रहे थे। दरअसल यह सुविधा की राजनीति होती है, कि जहाँ पर अपने ही दल की सरकार है वहां पर हत्या पर भी मौन रह जाया जाए और उसके बाद जहाँ पर अपनी सरकार नहीं है वहां पर अपने मजहब के अपराधियों के साथ जाकर खड़े हो जाया जाए।

इंदौर में उस चूड़ीवाले के साथ यह हरकत निंदनीय कही जा सकती है, परन्तु यह प्रश्न तो पूछा ही जाना चाहिए कि वह आखिर नाम बदलकर क्या करने गया था? अब पुलिस ने तस्लीम को हिरासत में लिया है। पुलिस के अनुसार “चूड़ी वाले के खिलाफ एक बालिका ने थाना बाणगंगा इंदौर में छेड़छाड़ संबंधी घटना और फर्जी दस्तावेज़ तैयार करने के सम्बन्ध में आवेदन दिया था। इस पर आरोपी के विरुद्ध उचित धाराओं में प्रकरण दर्ज किया गया है, जिसमें आरोपी को गिरफ्तार कर चिकित्सीय परीक्षण कराया गया है।”

तस्लीम पर आरोप लगाते हुए छात्रा ने पुलिस को दी गयी शिकायत में बताया कि दिनांक 22 अगस्त को दोपहर 2 बजे एक लड़का चूड़ी बेचने आया था। उसने अपना नाम गोलू और पिता का नाम मोहन सिंह बताया था। और उसने एक जला हुआ आईडी कार्ड भी दिखाया था। इस बच्ची ने कहा कि वह अपनी माँ के साथ थी।

बच्ची के अनुसार जैसे ही उसकी माँ घर के अन्दर पैसे लेने गईं, तो मौक़ा पाकर युवक ने उसका हाथ पकड़ लिया और जिसके कारण वह डर कर चिल्लाने लगी। इस पर आसपास के लोग इकट्ठे हो गए और युवक की तलाशी ली गयी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उस युवक की थैली से दो आधार कार्ड मिले। एक पर उसका नाम असलम और दुसरे पर तस्लीम पिता मोहर अली लिखा था और उसके साथ ही एक अधजला वोटरआईडी भी था, जिस पर पिता मोहन सिंह लिखा था।  मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इन झूठे दस्तावेजों के आधार पर लोग भड़क गए और उसके साथ पिटाई कर दी।

इस घटना के विरोध में जो प्रदर्शन हुए, उसमें अब पीएफआई का हाथ भी माना जा था है। पुलिस का कहना है कि वह एंगल से जांच कर रही है।

अब प्रश्न यहाँ पर कई उत्पन्न होते हैं कि क्या इस बात की जांच नहीं होनी चाहिए कि वह झूठे दस्तावेज़ लेकर क्यों चल रहा था? और सबसे बड़ी बात कि क्या बच्ची के हाथ में क्या वह तब चूड़ी नहीं पहना सकता था जब उसकी माँ भी आसपास थी? और सबसे महत्वपूर्ण कि क्या हिन्दुओं की छोटी छोटी बच्चियों की यह आवाज़ नहीं सुनी जाएगी कि उनके साथ कुछ गलत हो रहा है? वीडियो में दिख रही पिटाई गलत है, परन्तु एक ऐसा समुदाय जिसकी बेटियों पर रोज नाम बदलकर छेड़छाड़ करने और फिर उन्हें मार ही डालने जैसे वीडियो सामने आते हैं, उसके दर्द को समझा क्यों नहीं जाता है? और उसके ही दर्द को झुठलाने की बार बार कोशिश की जाती है

जुलाई में मध्यप्रदेश में ही एक युवती कशिश परमार की लाश भोपाल के खजूरी क्षेत्र से प्राप्त हुई थी। और उसके पांच दिनों के बाद खजुरी सड़क पुलिस ने अख्तर अली को गिरफ्तार किया था और उससे नुकीला हथियार बरामद किया था। कशिश के घरवालों के अनुसार वह पिछले तीन वर्षों से अख्तर से प्यार करती थी,  हालांकि घरवालों ने इस रिश्ते के साथ जुड़े खतरों के बारे में बताया था, पर उसने ध्यान नहीं दिया था।

मगर दुःख की बात यही है कि इमरान प्रतापगढ़ी, और ओवैसी जैसे लोगों के लिए कशिश जैसी लड़कियों की हत्या कोई मुद्दा नहीं है, और उनके लिए उस नाबालिग लड़की का वह डर भी कोई मुद्दा नहीं है जो तस्लीम द्वारा की गयी छेड़छाड़ के कारण पैदा हुआ था, उनके लिए राजस्थान में कृष्णा वाल्मीकि की मुस्लिमों द्वारा की गयी पीट पीट कर हत्या भी मुद्दा नहीं है, उनके लिए यह भी मुद्दा नहीं है  कि तस्लीम के पास झूठा पहचानपत्र क्यों है?

उनके लिए राजनीति जरूरी है और वही होगी, फिर चाहे वह कितनी ही लड़कियों को छेड़ें या फिर मार डालें! मुस्लिम वोटों की राजनीति करने वालों के लिए इन दिनों केवल तालिबानियों को सुरक्षा शील्ड देना ही महत्वपूर्ण रह गया है और इसके लिए वह किसी भी सीमा तक जाने के लिए तैयार हैं, और हिन्दुओं को तालिबानी भी ठहरा सकते हैं, मगर वह तालिबान की बुराई करने में झिझकते हैं


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