क्या इंडोनेशिया जैसे मुस्लिम देशों में भी हिजाब को लेकर कट्टरता बढ़ रही है? और स्कूल आदि में भी लड़कियों के लिए हिजाब अनिवार्य हो रहा है? प्रश्न इसलिए उभर कर आ रहा है क्योंकि अभी हाल ही में एक मुस्लिम लड़की को जबरन हिजाब को लेकर कथित रूप से प्रताड़ित किया गया और जिसके कारण उसने स्कूल बदल दिया। यूसीएन्यूज़ के अनुसार राज्य द्वारा संचालित स्कूल में अध्यापकों द्वारा मुस्लिम लड़की को हिजाब पहनने के लिए बाध्य करने का मामला सामने आया है।
यूसीए न्यूज़ के अनुसार योग्याकरता विशेष क्षेत्र के बंटुल जिले के बंगुंतपन में एक सीनियर हाई स्कूल में एक मुस्लिम छात्रा के मामले से देश में हलचल मच गयी थी, जिसने यह कहा था कि उसे हिजाब पहनने के लिए उसे प्रताड़ित किया गया। और जिसके चलते 16 वर्षीय छात्रा ने खुद को एक टॉयलेट में बंद कर लिया था।
विवादास्पद संगठन ह्यूमेन राईट वाच, जिसने भारत में गौ रक्षा को लेकर पक्षपाती रिपोर्ट लिखी थी, उसी ने अब इंडोनेशिया के विषय में लिखा है कि कि वहां पर लड़कियों को हिजाब पहनने को लेकर विवश किया जा रहा है और साथ ही इसके चलते इंडोनेशिया की महिलाओं का जीवन प्रभावित हो रहा है, और इसमें हर वर्ग सम्मिलिया है जैसे स्कूल जाने वाली लडकियां, शिक्षिकाएं, डॉक्टर आदि।
इसी रिपोर्ट के आधार पर यूसीए न्यूज़ ने यह लिखा है कि अनिवार्य हिजाब के कारण गैर मुस्लिम महिलाओं को भी समस्या हो रही है। न्यूयॉर्क आधारित ह्यूमेन राइट्स वाच के लिए इंडोनेशिया के शोधार्थी एन्द्रेअस हार्सू ने कहा कि हिजाब पहनने के जो नियम हैं, वह जारी रहेंगे क्योंकि कई ऐसे नियम हैं, जिनके लिए हिजाब की जरूरत होती है। और साथ ही यह भी कहा कि मजहबी यकीनों के चलते एक ऐसी व्यवस्था लागू हो गयी है जो महिलाओं को बाध्य करती है और साथ ही यह भी कहा कि इसके पीड़ितों में गैर-मुस्लिम हैं।
इसके साथ ही यह भी कहा है कि जो भी लडकियां इन नियमों का पालन नहीं करती हैं, वह या तो स्कूल कॉलेज छोड़ देती हैं या ऐसा भी हुआ है कुछ महिला अधिकारियों जैसे शिक्षिकाओं, चिकित्सकों, स्कूल प्रिंसिपल और यूनिवर्सिटी की लेक्चररर्स को अपनी नौकरी छोडनी पड़ी है या फिर उनकी नौकरी छिन गयी है।
हालांकि सरकार ने इस सम्बन्ध में कदम उठाए थे, परन्तु वहां के न्यायालय ने संशोधनों पर निर्णय देते हुए कहा कि 18 वर्ष से कम उम्र की लडकियां यह नहीं निर्धारित कर सकती हैं कि वह क्या पहें। एन्द्रेअस हार्सू के अनुसार न्यायालय ने सरकार के उन प्रयासों पर विराम लगा दिया, जो मुस्लिम लड़कियों और महिलाओं को अपनी मर्जी से पहनने का अधिकार प्रदान करने के लिए थे। और जब तक वर्तमान कानून बने रहेंगे तब तक लड़कियों पर दमन जारी रहेगा और उसके बाद वह कहते हैं कि स्कूल शैक्षणिक एवं लोगों को सभ्य बनाने की दिशा में एक कदम होते हैं और इनमें अहिंसा तथा शान्ति की संस्कृति होनी चाहिए, और ऐसे में जब लड़कियों पर जबरन हिजाब की बात की जाएगी तो वह इन सिद्धांतों के विरुद्ध है!
यूसीए न्यूज़ के भारत के लिए मापदंड क्या हैं?
सबसे पहले तो यूसीए न्यूज़ का पूरा नाम जानते हैं और फिर देखते हैं कि जिन मुद्दों पर वह इंडोनेशिया में हिजाब का विरोध कर रहा है, एकदम वैसे ही मामलों में भारत के प्रति उसका दृष्टिकोण क्या है। यूसीए का पूरा नाम है Union of Catholic Asian News, अर्थात नाम से स्पष्ट हो रहा है कि यह एक रिलीजियस दृष्टिकोण वाला ही न्यूज़ पोर्टल है और इनका प्रोपोगैंडा “धरती पर प्रभु के साम्राज्य” को स्थापित करना ही प्रतीत होता है।
हिजाब के विषय में यह सर्वज्ञात तथ्य है कि मुस्लिम महिलाओं के लिए यह तनिक भी पसंद का मामला है ही नहीं, ऐसा हो ही नहीं सकता है कि मुस्लिम लडकियां मर्जी से हिजाब पहनें, या तो वह कंडिशनिंग के वशीभूत होकर पहनती है या फिर जबरन और इस जबरन का विरोध कितना तेज होता है, वह ईरान में दिख रहा है।
परन्तु अब यदि बात करें कि यूसीए न्यूज़ जो इस बात को लेकर इंडोनेशिया में दुखी है कि गैर मुस्लिम को हिजाब पहनने पर विवश किया जा रहा है या फिर मुसलमानों पर अत्याचार हो रहे है, वही यूसीए न्यूज़ भारत में जब कर्नाटक में हिजाब का मामला चल रहा था, तब यह कहा जाना कि सभी विद्यार्थियों को स्कूल की यूनिफार्म पहननी चाहिए, इन्हें भारतीय जनता पार्टी द्वारा की गयी राजनीति लग रही थी। जो यूसीए न्यूज़ इंडोनेशिया में अनिवार्य हिजाब पर यह कहते हुए विलाप कर रहा है कि अनिवार्य हिजाब का नियम गलत है, वही यूसीए न्यूज़ भारत में मुस्लिम लड़कियों के लिए हिजाब को अनिवार्य करने के अभियान को सही ठहरा रहा था और इस बहाने वही एजेंडा फैला रहा था कि भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश के चुनावों के लिए यह सब कर रही है।
अर्थात यूसीए न्यूज़ के लिए जो इंडोनेशिया में मुस्लिम महिलाओं का शोषण है वही मामला भारत में मुस्लिम महिलाओं का अधिकार है? और इसका विरोध करने वाले लोग दरअसल घृणा की राजनीति कर रहे हैं? यह कैसा दोगलापन है?
वह भारत में कहते हैं कि मुस्लिम बच्चियों के लिए स्कूल में अनिवार्य हिजाब की जंग एकदम जरूरी है और फिर वही लोग इंडोनेशिया में यह कहते हैं कि मुस्लिम बच्चियों को स्कूल में हिजाब की अनिवार्यता एक प्रकार की हिंसा है!
पश्चिमी गैर सरकारी संगठनों, पश्चिमी सरकारों और ईसाई संगठनों का दृष्टिकोण भारत में हिजाब के मामले को लेकर अत्यंत संकुचित रहा है और साथ ही उनके मस्तिष्क की संकीर्णता दिखाने के लिए पर्याप्त है। या कहें उनका हिन्दूफोबिया दिखाने के लिए पर्याप्त है!
Indenesia is gradually being seized by Islamic Jihadists. As their grip tightens, the society will get ancondazied to ‘death’. So DARK days loom ahead. Govt. must be aware that ISIS has done no good to Syria, Iraq, Afghanistan, parts of Africa and also in Pakistan. Their only ideology is rampant killing to instill a fear psychosis in heart of the teeming millions and thereby forcing an avalanche of disaster on the country’s economy, social stability & upliftment. All other cultures will be badly mauled and wiped out. So it is time to take ACTION!