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Monday, December 8, 2025

वैश्विक उथल-पुथल के बीच भारत-रूस संबंध हुए और मजबूत

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा ने दोनों देशों की विशेष रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत कर दिया। यह दौरा ऐसे समय हुआ, जब यूरोप-रूस तनाव बढ़ रहा है और वैश्विक व्यवस्था तेज बदलाव देख रही है। भारत और रूस ने इस माहौल में अपने रिश्तों को नई ऊर्जा दी और अगले दशक के रोडमैप को तय किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन ने बैठक में रोजगार, व्यापार, ऊर्जा, तकनीक, स्वास्थ्य, रक्षा और कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों में कई अहम फैसले किए। दोनों नेताओं ने मैनपावर मोबिलिटी एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए, जिससे भारतीय युवाओं के लिए रूस में नौकरी के अवसर बढ़ेंगे। रूस ने भारतीय नागरिकों के लिए 30 दिन का फ्री वीजा लागू करने का फैसला भी किया। दोनों देश राष्ट्रीय मुद्रा में लेन-देन बढ़ाकर व्यापार को आसान बनाने पर सहमत हुए।

दोनों देशों ने 2030 तक आर्थिक रोडमैप पर काम करने की योजना पेश की, जिसमें व्यापार, निवेश, लॉजिस्टिक्स, ऊर्जा, तकनीक और कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्र शामिल हैं। कृषि और उर्वरक क्षेत्र में संयुक्त यूरिया उत्पादन, ऊर्जा क्षेत्र में निर्बाध ईंधन आपूर्ति और स्वास्थ्य सहयोग पर भी समझौते हुए। पोत निर्माण, वैज्ञानिक शिक्षा, ध्रुवीय जल पोत प्रशिक्षण और डाक सेवाओं पर भी समझौते संपन्न हुए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत मंडपम में आयोजित भारत-रूस ट्रेड फोरम को संबोधित किया।

प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक की शुरुआत रूसी भाषा में स्वागत कर की, जिससे दोनों देशों के दशकों पुराने भरोसे और मित्रता का संदेश गया। पुतिन ने कहा कि भारत-रूस संबंध बहुत मजबूत हैं और दोनों देश न्यूक्लियर प्लांट समेत कई परियोजनाओं पर तेजी से काम कर रहे हैं। बैठक के बाद दोनों नेताओं ने संयुक्त बयान जारी किया और स्थिर साझेदारी को वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच विश्वसनीय बताया।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर रूस के अपने समकक्षों के साथ 2+2 मंत्रीस्तरीय वार्ता के दौरान।

भारत-रूस संबंधों की यह निरंतरता वर्ष 2000 की रणनीतिक साझेदारी से शुरू हुई थी। वार्षिक शिखर बैठकें, 2+2 संवाद और इंटर गवर्नमेंटल कमिशन ने इस रिश्ते को संस्थागत आधार दिया। दोनों देश अब तक 23 शिखर बैठकें कर चुके हैं। 2024 के मॉस्को शिखर सम्मेलन में 2030 की रणनीतिक योजना को भी मंजूरी मिली थी।

यूरोप-रूस युद्ध और पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद भारत-रूस साझेदारी पर कुछ यूरोपीय देशों ने सवाल उठाए। भारत ने स्पष्ट कहा कि उसकी विदेश नीति स्वायत्त है और किसी दबाव में नहीं चलती। भारत ने यह भी साफ किया कि क्षेत्रीय संघर्ष उसके रणनीतिक हितों और साझेदारियों को प्रभावित नहीं करेंगे।

ऊर्जा क्षेत्र में रूस भारत का प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन चुका है। रूस ने भारत को स्थिर तेल आपूर्ति दी, जिससे महंगाई और उत्पादन लागत पर नियंत्रण रहा। दोनों देश अब भुगतान प्रणाली और शिपिंग के वैकल्पिक ढांचे पर काम कर रहे हैं ताकि ऊर्जा व्यापार बाधित न हो। परमाणु ऊर्जा, छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर और हाइड्रोजन ऊर्जा पर भी संयुक्त चर्चा जारी है।

व्यापार 2024-25 में 68 अरब डॉलर के करीब पहुंचा, लेकिन व्यापार संतुलन अभी भी भारत के खिलाफ है। दोनों देश 2030 तक व्यापार को 100 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रख रहे हैं। इसके लिए भारत को निर्यात बढ़ाने और लॉजिस्टिक ढांचे को मजबूत करने की जरूरत है।

सुखोई SU-30MKI (L) & T-90 टैंक (R)

रक्षा क्षेत्र दोनों देशों के रिश्ते का सबसे मजबूत स्तंभ है। T-90 टैंक, सुखोई SU-30MKI, ब्रहमोस मिसाइल और नौसैनिक प्लेटफॉर्म इस सहयोग का आधार हैं। दोनों देश नियमित सैन्य अभ्यास भी करते हैं और संयुक्त उत्पादन पर काम आगे बढ़ा रहे हैं।

पुतिन की यह यात्रा साबित करती है कि भारत और रूस आने वाले वर्षों में ऊर्जा, रक्षा, तकनीक, व्यापार और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में और गहराई से सहयोग बढ़ाएंगे। दोनों देशों की साझेदारी बदलती वैश्विक व्यवस्था में संतुलन और स्थिरता का आधार बन रही है।

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Shomen Chandra
Shomen Chandra
Shomen Chandra is a writer and columnist who contributes articles and opinion pieces to various media organisations. He previously served as the Editor of News4Fact and is currently pursuing a postgraduate degree in Journalism and Mass Communication.

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