केरल में एक मदरसे के टीचर को ऐसी सजा सुनाई गयी है जो ऐसे अपराधों के लिए उदाहरण बनेगी और साथ ही कहीं न कहीं न्याय व्यवस्था पर भी विश्वास स्थापित करती है। परन्तु इतनी बड़ी सजा और इतने महत्वपूर्ण समाचार का विमर्श में न आना कहीं न कहीं कई प्रश्न उन लोगों पर उठाता है, जो कथित रूप से स्त्री अधिकार के लिए लड़ते हैं!
जो कथित रूप से पितृसत्ता का विरोध करते हैं। जिनके लिए हर पुरुष एक संभावित बलात्कारी है! वह पूरी लॉबी केरल से आए इस समाचार पर ऐसे मौन है, जैसे कुछ नहीं हुआ! परन्तु जो होना था वह हो गया है और इस चुप्पी पर उस लॉबी की पोल भी खुल गयी है, जिसकी दृष्टि में केरल सबसे शिक्षित और सभ्य राज्य है!
दिनांक 30 जनवरी को, केरल के मलप्पुरम जिले के नीलांबुर तालुक के वाझिक्कदावु गांव से एक मदरसा के टीचर द्वारा की गयी एक घिनौनी हरकत का एक बहुत ही घिनौना मामला सामने आया। पॉक्सो कोर्ट ने आरोपी को तीन उम्रकैद और 6.60 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। अब वह जब तक जिंदा है, तब तक जेल में ही रहेगा।
विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) ए सोमसुंदरन के अनुसार, मंजेरी फास्ट ट्रैक विशेष अदालत के न्यायाधीश राजेश के ने मदरसा के मौलवी को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम अर्थात (पॉक्सो) अधिनियम के अंतर्गत बलात्कार, गंभीर यौन उत्पीड़न, यौन उत्पीड़न और पीड़िता को डराने-धमकाने का दोषी पाया।
यह काली कहानी शुरू होती है मार्च 2021 में, जब पीड़िता की मां कथित तौर पर घर पर नहीं थीं। उस समय 14 वर्षीय पीड़िता कोविड-19 के कारण ऑनलाइन कक्षाओं में भाग ले रही थी। और उसी समय पूर्व मदरसा उस्ताद ने अपनी बेटी को उसके कमरे से बाहर खींच लिया और उसके साथ बलात्कार किया।
जब नाबालिग ने इसका विरोध किया तो दुराचारी पिता ने उसे बहुत मारा और उसे थप्पड़ मारकर उस पर हावी हो गया। उसने धमकी दी कि अगर उसने किसी को भी प्रताड़ना के बारे में बताया तो वह उसकी मां को जान से मार देगा। अक्टूबर 2021 तक जब घर में कोई नहीं था तब मदरसा टीचर ने अपनी बेटी के साथ कई बार रेप किया.
पीड़िता ने नवंबर 2021 में कक्षाएं आरम्भ होने के बाद जब स्कूल जाना आरम्भ किया तो उसके पेट में दर्द हुआ! जब उसे डॉक्टर के पास लेकर जाया गया, तो यह बहुत ही हैरानी भरी बात है कि उसे कुछ पता ही नहीं चला और फिर उसे जब फिर से जनवरी 2022 में बेचैनी लगी तो सरकारी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया।
यहां उनके गर्भवती होने की पुष्टि हुई। तब तक वह पांच माह की गर्भवती थी। उसके बाद बाहरी दुनिया को पता चला कि आखिर उसके साथ हो क्या रहा था? अस्पताल के अधिकारियों ने पुलिस को सूचित किया, और लड़की ने खुलासा किया कि उसके अब्बा ने उसके साथ यह किया है। पुलिस ने लड़की की शिकायत के आधार पर पॉस्को का मामला दर्ज किया और आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
बाद में कोर्ट ने पीड़िता को गर्भपात की इजाजत दे दी। कोर्ट ने डीएनए टेस्ट का भी आदेश दिया जिससे पता चला कि मदरसा शिक्षक का अजन्मा बच्चा उनकी बेटी के अंदर पल रहा है. सोमसुंदरन ने कहा कि आरोपी की दोषसिद्धि काफी हद तक डीएनए सबूतों और पीड़िता और उसकी मां की गवाही पर निर्भर करती है।
प्राथमिकी दर्ज करने के एक साल के भीतर अभियोजकों ने अपराध साबित कर दिया। दोषी को कभी जमानत नहीं मिली और वह वर्तमान में मंजेरी उप-जेल में बंद है। अधिकारियों ने पुष्टि की कि उन्हें कन्नूर सेंट्रल जेल स्थानांतरित किया जाएगा।
यह स्पष्ट नहीं है कि क्या केरल पुलिस ने इस बात की जांच की कि क्या इस उस्ताद ने मदरसे में अन्य छात्रों को परेशान किया था जहां वह पढ़ाता था।
ऐसा नहीं है कि किसी मदरसा उस्ताद ने पहली ही बार अपनी बेटियों के साथ ऐसा कुछ किया हो! हिन्दूपोस्ट ने अगस्त 2021 में बताया था कि इसी मंजेरी अदालत ने अपनी दो नाबालिग बेटियों के साथ बार-बार बलात्कार करने के लिए 55 वर्षीय मदरसा उस्ताद को दोहरे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। यह दोनों ही सजाएं एक के बाद एक चलेंगी, अर्थात वह भी मदरसा उस्ताद अपने जीवन भर जेल से बाहर नहीं आएगा। पीड़ितों की उम्र महज 15 और 17 साल थी। जब लड़कियों ने अपनी मां से शिकायत की तो मदरसा टीचर ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी।
आरोपी के आठ बच्चे हैं और वह रात में उनकी अम्मी से झगड़ा करने के बाद अपनी बेटियों के साथ दुष्कर्म करता था। नीचता ऐसी कि जब उसकी अपनी बेटी और उसकी बीवी उसके ही द्वारा गर्भवती थीं, तो उसने अपनी छोटी बेटी के साथ बलात्कार किया। मलप्पुरम बच्चों के खिलाफ इस तरह के अत्याचार का केंद्र है।
वर्ष 2012 में ही यह पाया गया था कि केरल पूरे भारत में सबसे अधिक व्याभिचारी समाज है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2001 से 2011 के मध्य कुल 132 मामले बलात्कार के मामले केरल में दर्ज किए गए थे। और यह प्रति व्यक्ति यह हमारे देश में सबसे अधिक था।
केरल ऐसा भी राज्य है जो उस क्षेत्र में भी पहले नंबर पर है, जहां पर अन्य राज्यों की तुलना में पिछले कुछ वर्षों में अनाचार बलात्कार के मामलों में लगातार वृद्धि हुई। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा दशक भर में एकत्र किए गए आंकड़े जारी करने के बाद ये आंकड़े सामने आए हैं। इस सूची में तमिलनाडु दूसरे स्थान पर था, लेकिन संख्या में लगातार गिरावट आई थी, और पिछले दो वर्षों में शून्य मामले दर्ज किए गए थे।
विडंबना यह है कि जहाँ जागरूकता बढ़ाने के लिए इन मामलों को सार्वजनिक रूप से सामने लाया जाना चाहिए था, मगर दुःख यह है कि इन्हें विमर्श से गायब कर दिया गया। यह कथित रूप से तुष्टिकरण की नीतियों के कारण था क्योंकि केवल एक विशेष समुदाय ही मुख्य रूप से व्यभिचार में लिप्त पाया गया था। मदरसा उस्ताद लड़कियों का ही नहीं बल्कि अवयस्क लड़कों का भी यौन शोषण करते हैं।
वर्ष 2015 में, यह पाया गया कि राज्य में बच्चों के खिलाफ होने वाले 70 प्रतिशत यौन अपराध यौनाचार के थे। केरल में वर्ष 2021 में पॉस्को के 3,559 मामले, 3,640 (2019), 3056 (2020) मामले दर्ज किए गए थे। ये संख्या 2014 में 1,375 मामलों से कहीं अधिक थी।
इससे पहले केंद्र सरकार ने (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन अगेंस्ट सेक्सुअल ऑफेंस) पॉक्सो एक्ट में संशोधन कर बच्चों के यौन शोषण के लिए मौत की सजा को शामिल किया था। अब यह जानकारी तो न्यायाधीशों को ही होगी कि उन्होंने अब तक इस विकल्प का प्रयोग क्यों नहीं किया है?