भारत इन दिनों कई मोर्चों पर हमले झेल रहा है, इनमे सबसे दुरूह हैं मजहब और रिलिजन के नाम पर हिन्दुओं को भ्रमित करने वाले इस्लामिक और वेटिकन के एजेंट। यह लोग अपने रिलिजन और मजहब के प्रचार प्रसार के लिए नित नए तौर तरीके अपनाते हैं, ताकि हिन्दुओं का ना सर धर्मांतरण किया जा सके, बल्कि उनका मानसिक और शारीरिक शोषण भी किया जा सके। इस लेख में हम कुछ ऐसे ही समाचार आपको बताना चाहेंगे, जिससे आपको इन पादरियों के कुकृत्यों के बारे में जानकारी मिल पाएगी।
चेन्नई में एक पादरी और उसकी पत्नी को यौन शोषण करने के अपराध में गिरफ्तार किया गया है। यह पादरी श्रीलंका का नागरिक है और कई वर्षों से अवैध रूप से चेन्नई में रह रहा है। ऐसा बताया जा रहा है कि इस पादरी ने अपने चर्च में आने वाली कई युवतियों और बच्चों का यौन उत्पीड़न किया और कई हिन्दुओं को धर्मांतरित करने का प्रयास भी किया। एक 16 वर्षीय युवती और उसकेपरिजनों द्वारा शिकायत दर्ज कराने के उपरान्त उसके विरुद्ध पुलिस ने यह कार्यवाही की।
पुलिस के अनुसार शेरार्ड मनोहर नाम का पेंटेकोस्टल पादरी अपनी पत्नी हेलेन के साथ चेन्नई में एपोस्टल क्राइस्ट असेंबली जीसस मिरेकल्स मिनिस्ट्रीज नाम से एक चर्च चलाते थे। पिछले दिनों एक अवयस्क लड़की की दादी ने पादरी और उसकी पत्नी के विरुद्ध लड़की का यौन शोषण करने का मामला दर्ज कराया है। पुलिस ने अपनी जांच में पाया कि पादरी पिछले छह महीनों से सीधे संपर्क के जरिए और अश्लील व्हाट्सएप मैसेज और कॉल के जरिए लड़की का शोषण कर रहा था।
पुलिस ने जांच में पाया कि सभी आरोप सही हैं, उनके अनुसार पादरी ने लड़की को अपनी नग्न तस्वीरें भेजी थीं और संदेशों के माध्यम से लड़की का यौन उत्पीड़न किया था। अपने एक संदेश में उन्होंने कहा, “गले लगाना और चूमना गलत नहीं है”। मामला सामने आने के बाद उसने लड़कियों को भेजे गए मैसेज को नष्ट कर दिया था।
पुलिस ने यह भी पाया कि पादरी की पत्नी ने उसके यौन अपराधों को छुपाने और उसका बचाव करने में उसकी सहायता की। उसने लड़की को यह कहने के लिए विवश किया कि पादरी एक अच्छा इंसान है और उसने उसके साथ दुर्व्यवहार नहीं किया। पादरी की पत्नी ने एक वीडियो भी रिकॉर्ड करवाया, जिसका दुरूपयोग लोगों को यह समझाने के लिए किया कि पादरी पर लगाए गए आरोप झूठे थे। पुलिस का कहना है कि पादरी ने अपने चर्च में आने वाली कई महिलाओं और बच्चों के साथ दुर्व्यवहार किया लेकिन वे उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए आगे नहीं आए।
पुलिस ने पादरी और उसकी पत्नी दोनों पर पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया है । पुलिस को जांच में यह भी पता चला कि पादरी शेरार्ड मनोहर एक श्रीलंकाई नागरिक है जो अवैध रूप से कई वर्षों से भारत में रह रहा है। वह अवैध प्रकार से श्रीलंका से भारत आया, उसने एक भारतीय नागरिक हेलेन से शादी की और चेन्नई में बस गया।
असम में एक पादरी को हिन्दू युवक की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया
असम के लखीमपुर जिले में आदिवासी युवक बीकी बिशाल की ‘लिंचिंग’ के मामले में एक स्थानीय ईसाई पादरी और उसके सहायक को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस के अनुसार बिशाल ने अपनी ईसाई प्रेमिका से विवाह करने के लिए धर्मांतरण से मना कर दिया था। पुलिस ने गोस्नर इवेंजेलिकल लूथरन चर्च के पादरी और उसके सहायक को बीकी बिशाल की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था। दोनों आरोपियों की पहचान पादरी इस्माइल शब्बर (44) और उनके सहायक निरंजन अयान के रूप में हुई है। इनके अतिरिक्त पुलिस ने लड़की के पिता और चाचा को भी गिरफ्तार किया था।
पाठकों की जानकारी के लिए बता दें कि 11 सितंबर की रात बिशाल की हत्या कर दी गई थी और अगली सुबह उसका शव उसके घर के पास एक पेड़ से लटका मिला था। पुलिस के अनुसार बिशाल के धर्मांतरण से मन करने के पश्चात स्थानीय चर्च के पादरी और उसके सहयोगियों ने लाठियों से पीट कर बिशाल की हत्या कर दी गई थी।
इस बीच, मानवाधिकार संगठन लीगल राइट्स ऑब्जर्वेटरी ने ट्वीट किया कि एक स्थानीय कैथोलिक स्कूल के प्रधानाचार्य और स्थानीय ईसाई नेताओं ने आरोपी पादरी को मुक्त करने के लिए प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए एक चर्च में सामूहिक सभा का आयोजन भी किया। इससे यह प्रतीत होता है कि समूचा मिशनरी तंत्र इस प्रकार के अपराधी पादरियों को खुल कर समर्थन देता है, और उनकी हर प्रकार की विधिक सहायता भी करता है।
असम में मिशनरी का गिरोह पकड़ा गया
पिछले महीने 26 अक्टूबर को, असम पुलिस ने 10 विदेशी नागरिकों को हिरासत में लिया था। पुलिस के अनुसार ऊपरी असम के डिब्रूगढ़ जिले के कई चाय बागानों वाले शहर नामरूप में तीन स्वीडिश नागरिकों को पकड़ा गया था, यह लोग एक रिलिजन की सभा को संबोधित कर अपने वीजा नियमों का उल्लंघन कर रहे थे।
विशेष पुलिस महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) जीपी सिंह ने यह भी कहा कि पुलिस को सूचना मिली थी कि “ईसाई मिशनरी के सदस्य बाहरी लोगों को चाय बागानों और आदिवासी क्षेत्रों में भेज रहे थे”। उन्होंने तुरंत कार्यवाही करते हुए इन स्वीडिश नागरिकों को हिरासत में लिया। पुलिस ने इस गिरोह के अन्य दो सदस्यों 35 वर्षीय मुकुट बोदरा और 55 वर्षीय बोर्नबास तेरांग (चर्च नेता) को भी गिरफ्तार किया। यह लोग इस क्षेत्र में सामूहिक धर्मांतरण कराने का प्रयास कर रहे थे।
इसी विषय पर कार्यवाही करते हुए असम पुलिस ने 28 अक्टूबर को सात जर्मन नागरिकों को वीज़ा मानदंडों का उल्लंघन करके मिशनरी गतिविधियों में लिप्त होने के आरोपों में गिरफ्तार किया था। पुलिस के अनुसार इन जर्मन नागरिकों के पास एम्-१ या मिशनरी वीजा नहीं था जो धार्मिक गतिविधियों की अनुमति देता हो। पुलिस ने इस गिरोह को निर्वासित करने से पहले सभी सदियों पर 500 डॉलर का जुर्माना भी लगाया गया था। उन पर भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिनमें धारा 153A (धर्म के आधार पर समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 120B (आपराधिक साजिश) और 295A (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) हैं।