एक ऐसा राज्य, जिसे कथित रूप से सबसे “साक्षर” कहा जाता है, पढ़ाई के आंकड़ों में आगे है और वहां पर जिस दल की सत्ता है, उसे ब्रह्माण्ड क्या जितने भी ब्रह्माण्ड हो सकते हैं, उनमें सबसे लिबरल माना जाता है, क्योंकि यदि कोई मानता नहीं है तो वह उसे हिंसा, उपेक्षा आदि आदि के माध्यम से स्वीकार करवा ही देते हैं।
खैर, अंब बात करते हैं कि पूरे अखंड ब्रह्माण्ड के सबसे “साक्षर” राज्य में कैसे मुहम्मद शफी और वाम समर्थक दंपत्ति भगवाल सिंह और उसकी बीवी लैला ने कैसे अमीर होने के लिए या आर्थिक लाभ की लालसा में दो औरतों की कुर्बानी दी। और सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि यह औरतें कैसे शिकार बनीं? वह औरतें शिकार बनी अपने लालच का! उन्हें पोर्न फिल्म में काम करने का लालच दिया गया। और यह औरतें दस लाख रूपए के लालच में आ गईं और अपनी जान से हाथ धो बैठीं।
यह कहानी अपने आप में अत्यंत हैरान करने वाली कहानी तो है ही, साथ ही उस राज्य की आम मानसिकता की भी कलई खोलती है, जिसे कथित रूप से सबसे साक्षर राज्य कहा जाता है। और उससे भी डराने वाली बात यह है कि शफी जो मुख्य आरोपी है, उस पर पहले से कई मामले दर्ज हैं और वह जमानत पर बाहर है! आखिर यह जनता के साथ कैसा मजाक है कि एक खतरनाक व्यक्ति को जमानत पर छोड़ दिया जाता है! क्या आम जनता किसी के लिए कोई मायने नहीं रखती है?
जानते हैं क्या है कहानी?
कहानी में शफी है, जिसने श्रीदेवी के नाम से एक फेसबुक खाता बनाया था और वह तिरुवल्ला के पास एलेंथूर से दम्पत्तियों को आकर्षित करता था। भगवाल सिंह, जो फेसबुक पर हाइकू (जापानी कविताएँ) लिखता है, और उसकी फेसबुक पोस्ट पर सीपीएम के प्रति समर्थन भी है, वह श्रीदेवी के सम्पर्क में आया और फिर श्रीदेवी ने उसे रशीद नामक एक ऐसे सिद्दन (जादूटोने वाले) के विषय में बताया जो उनकी समस्या को दूर कर सकता है। शफी ने उन दोनों से अनुरोध किया कि वह एक बार रशीद से मिले! भगवाल सिंह की फेसबुक पोस्ट इस बात का संकेत देती हैं कि वह किस विचारधारा का है!
अब कहानी आगे बढ़ती है! यह कहानी बेहद रोचक है! शफी फेसबुक पर अपना मोबाइल नंबर देता है और कहता है कि यह रशीद का नंबर है। सिंह उस नंबर पर सम्पर्क करता है और फिर शफी उर्फ रशीद भगवाल सिंह के घर जाता है, उसके परिवार के साथ परिचित होता है और फिर दोनों में दोस्ती हो जाती है। शफी अब दोनों को अपने पूरे विश्वास में लेते हुए कहता है कि अगर लैला उसके साथ यौन संबंध रखेगी तो धन आएगा। पति उन दोनों को सेक्स करते हुए देखेगा और फिर पैसा आएगा। सिंह इस बात पर सहमत हो जाता है, यह डेढ़ वर्ष पुरानी बात है!
मगर लगातार शारीरिक संबंध बनाने के बाद भी कुछ नहीं हुआ। इसके बाद शफी ने कहा कि अब उन्हें इंसानों की कुर्बानी देनी होगी!
अब असली कहानी आरम्भ होती है! जहाँ पर यह दावा किया जाता है, कि यहाँ पर शिक्षा का स्तर अत्यधिक है, यदि कहीं के लोगों के भीतर चेतना है तो केवल और केवल केरल में है, उस राज्य में एक जमानत पर छूटे शफी ने भगवाल और उसकी बीवी लैला को यह यकीन दिलाया कि अगर वह इंसानों की कुर्बानी दे देते हैं तो वह मालामाल हो जाएँगे। इस्लामिक टोना करने वाले शफी ने उन्हें बताया कि श्रीदेवी दरअसल वही औरत थी, जिसे इंसानी कुर्बानी के बाद फायदा हुआ था। सिंह ने श्रीदेवी के अकाउंट में यह पता लगाने के लिए एक संदेश भेजा कि क्या यह सच है और जब श्रीदेवी ने इसकी पुष्टि कर दी तो उन्हें यह यकीन हो गया कि जो कुछ भी शफी कह रहा है, वह पूरी तरह से सच है!
शफी ने उन दोनों को यह यकीन दिलाया कि वह उन दोनों के लिए कुर्बानी के लिए औरतों की व्यवस्था कर सकता है।
इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि इस मामले को मीडिया बार बार मानव बलि कहकर मामले को हिन्दू घोषित करने का कुप्रयास कर रहा है, जबकि यह केवल और केवल इस्लामिक जादू टोना था, क्योंकि शफी एक मुस्लिम है!
अब गरीबी, लालच और मूल्यों के पतन का वह पन्ना खुलता है, और वह पन्ना है देह से जुड़े काम का! जिसे कथित प्रगतिशील समाज में “पेशा” माना जाता है और जो यदि व्यक्तिगत स्तर पर किया जाए तो अपराध नहीं है और पेशे की तरह ही इसे देखा जाना चाहिए!
मगर यह भी बात सच है कि इस पेशे में लालच एक बहुत बड़ा कारक होता है और जो समाज इसे “मात्र एक पेशा” मानता है, वह उस लालच के दुष्परिणामों के साथ नहीं होता है!
इसमें फंसने के लिए “औरतें” तैयार भी हो जाती हैं, यह और भी अधिक दुखद है! अब कहानी आगे बढ़ती है और पहुँचती है कलाडी के एक गरीब लॉटरी विक्रेता रोजलिन (50) के पास! जिसे एक पोर्न फिल्म में काम करने का ऑफर शफी देता है और उसे 10 लाख रूपए देने की पेशकश करता है!
जाहिर यह यह पेशा है तो पेशकश भी शानदार ही होगी! अब वह उसे लेकर सिंह और लैला के घर जाता है। वहां पर उसके हाथ पैर बांध दिए जाते हैं और शफी उसके साथ बलात्कार करता है। रोजलिन को तब तक शायद नहीं पता होगा कि वह उसके जीवन का आखिरी दिन था!
इंडिया टुडे के अनुसार रोजलिन के स्तन काटे जाते हैं, उसकी गर्दन काटी जाती है और फिर यह भी कहा जाता है कि वह लोग मांस भी खाएं! और उसने इस खूनी कुर्बानी के लिए 2.5 लाख रूपए लिए।
अभी भी भगवाल सिंह और लैला की प्यास नहीं बुझी थी! क्योंकि अभी तक पैसा नहीं मिला था! अब एक महीने बाद सिंह ने शफी से कहा कि उसे कुछ फायदा नहीं हुआ। शफी ने जवाब दिया कि परिवार में एक श्राप था। उनसे कहा कि एक और इंसानी कुर्बानी देनी होगी! इसके बाद शफी एर्नाकुलम के एक अन्य लॉटरी विक्रेता पद्मा (52) को सिंह के घर ले गया।
रोसलिन की कुर्बानी जून में तो वहीं पद्मा की कुर्बानी सितम्बर में दी गयी! पद्मा की निर्मम हत्या के बाद उनके शवों को टुकड़ों में काट दिया गया और कई जगहों पर दफना दिया गया। केरल में किसी भी महिला का परिवार नहीं था।
पद्मा को भी पोर्न फिल्म में भूमिका का लालच दिया गया और उसे भी उसी भयावह तरीके से मारा गया! पुलिस को दिए शफी के बयान से इस क्रूरता का पता चला। हालांकि पुलिस इस बात पर पूरी तरह विश्वास नहीं कर पाई है, लेकिन इसे संभव माना जा रहा है। दक्षिण क्षेत्र के पुलिस आईजी पी प्रकाश ने कहा कि वे इस बात की जांच कर रहे हैं कि कहीं और पीड़ित तो नहीं हैं।
पीड़िता पद्मा के बेटे सेल्वराज ने कहा कि उसकी मां उसे रोज फोन करती थी, लेकिन 26 सितंबर को अचानक उसका फोन बंद हो गया। वह अगले दिन केरल पहुंचा और उसे हर जगह खोजा लेकिन वह नहीं मिली। इसके बाद सेल्वराज ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने कॉल सूचियों और सीसीटीवी फुटेज की जांच की जिसके चलते जांच करने वाली टीम “शफी” तक पहुँची!
हालांकि केरल सरकार ने इस घटना पर दुःख व्यक्त करते हुए इसे जघन्य घटना बताया है, परन्तु फिर भी उन्होंने इसके इस्लामिक जादूटोने की बात न करते हुए “अन्धविश्वास” ठहराया है!
इस्लामवादी टोना परंपराओं और अपने स्वयं के वैचारिक अनुयायी की भागीदारी को सीधे दोष दिए बिना, पिनाराई विजयन ने इस तरह की प्रथाओं को सभ्य समाज के लिए एक चुनौती कहा। पार्टी ने भी कहा कि वह सदस्य नहीं था!
“इस बारे में जानकारी देते हुए सीपीआई(एम) के एक प्रवक्ता पीआर प्रदीप ने कहा कि उन्होंने हमारे साथ काम किया, लेकिन हमारी पार्टी के सदस्य नहीं थे। वह एक समय में प्रगतिशील व्यक्ति थे, लेकिन दूसरी शादी के बाद वह एक धार्मिक व्यक्ति बन गए। यह उनकी पत्नी का प्रभाव हो सकता है।“
न्यायालय ने भी इस घटना पर अविश्वास व्यक्त किया
केरल उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राज्य में दो महिलाओं के क्षत-विक्षत शव मिलने के बाद इंसानी कुर्बानी की खबर सामने आने पर हैरानी और अविश्वास व्यक्त किया। न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन ने टिप्पणी की कि “तथ्य यह है कि केरल में जब हम इंसानी कुर्बानी की खबरें सुन रहे हैं तो यह चौंकाने वाला है और मुझे आश्चर्य है कि केरल कहाँ जा रहा है?”
परन्तु शफी तो इसी व्यवस्था के चलते जमानत पर बाहर है
एक ओर पुलिस से लेकर मंत्री तक इस मामले पर चौंक रहे हैं, परन्तु सबसे हैरान करने वाली बात यही है कि शफी जो कि खुद जमानत पर बाहर है, उसे एक 75 वर्षीय महिला के साथ कथित रूप से बलात्कार के बाद हिरासत में लिया गया था। एक ऐसा मनोरोगी, विक्षिप्त व्यक्ति जो एक वृद्धा के साथ यह कर सकता है, उसे कैसे जमानत पर छोड़ा जा सकता है, यह समझ से ही परे है!
यद्यपि अभी न्यायालय द्वारा तीनों ही आरोपियों को 24 अक्टूबर तक पुलिस हिरासत में भेजा जा चुका है!
केरल में जो कुछ भी हुआ है, वह जघन्य अपराध है, परन्तु इस मामले पर विमर्श न होना सबसे अधिक हैरान करता है, संभवतया इसका मुख्य कारण मुख्य आरोपी का नाम शफी होना है! वहीं लिबरल एवं फेमिनिस्ट “रोजलिन” की हत्या पर भी आवाज नहीं उठा रहे हैं क्योंकि आरोपी “शफी” है! इतने जघन्य कांड पर चुप्पी अत्यंत घातक है, यह वही चुप्पी है जो उत्तराखंड की अंकिता की हत्या के बहाने संघ और भाजपा के नेताओं को लपेटने के बहाने आम हिन्दुओं को बदनाम करना चाहती है, जो अपने धर्म पथ पर चलते हैं!
उत्तराखंड में अंकिता की हत्या में उन्हें अवसर मिला था कि वह हिन्दुओं के उस वर्ग को वासना से भरा एवं काम लोलुप प्रमाणित कर दे और यहाँ पर शफी पूरी तरह से लिप्त दिखाई दे रहा है, जो एक 75 वर्षीय वृद्धा के बलात्कार के आरोप में हिरासत में जा चुका है और अभी भी दो औरतों की हत्या में आरोपी है, उसपर वह पूरी तरह से मौन है!
यही चुप्पी उन्हें बेशर्म बनाती है!