कभी भारत का अंग रहे बांग्लादेश में हिन्दुओं की स्थिति वैसे ही बहुत अच्छी नहीं थी, परन्तु अभी हाल ही में कई मामले जो सामने आए हैं, उनमें एक नया रुझान देखा जा रहा है और वह हिन्दू शिक्षकों पर मजहब के अपमान को लेकर हमले। अभी भी बांग्लादेश में हिन्दू काफी संख्या में शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं, तो क्या यह इस कारण हो सकता है कि शिक्षा में हिन्दू आगे हैं या फिर वह मजहबी कट्टरता का शिकार हो रहे हैं?
पिछले दिनों बांग्लादेश से ऐसे ही हैरान करने वाले कई मामले सामने आए हैं। एक मामला सामने आया था जिसमें एक हिन्दू कॉलेज के प्रधानाध्यापक स्वप्न बिस्वास को जूते की माला जबरन पहनाई गयी थी। यह माला इसलिए पहनाई गयी थी क्योंकि आरोप लगाया था कि उनके कॉलेज के एक छात्र राहुल डे रॉय ने सोशल मीडिया पर नुपुर शर्मा की तस्वीर को साझा कर दिया था।
opindia की रिपोर्ट के अनुसार यह घटना 17 जून को नरेल सदर उपजिला में मिर्जापुर यूनाइटेड कॉलेज में हुई थी। रिपोर्ट्स के अनुसार एक हिन्दू विद्यार्थी राहुल देव ने नुपुर शर्मा की तस्वीर साझा की और उसकी प्रशंसा कर दी। जबकि नुपुर शर्मा को इस समय सबसे बड़ा खलनायक ही घोषित कर रखा गया है। जैसे ही यह post सोशल मीडिया पर गयी तो कट्टर इस्लामिस्ट तत्वों ने इस पोस्ट को देखकर राहुल से यह पोस्ट डिलीट करने के लिए कहा, परन्तु राहुल ने इंकार कर दिया।
इसके बाद प्रिंसिपल के पास शिकायत गई तो स्वप्न बिस्वास ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राहुल को अपने ऑफिस में बुलाया और फिर पुलिस को कॉल कर दिया। परन्तु कट्टरपंथी मुस्लिमों को इससे भी सब्र नहीं हुआ और वह सब लोग शोर मचाने लगे। यह अफवाह फैला दी गयी कि प्रिंसिपल राहुल को बचा रहे हैं। यह समाचार सुनते ही कट्टरपंथी और एकत्र होने लगे।
हालांकि पुलिस भी आई, परन्तु पुलिस की संख्या कम होने के कारण कुछ नहीं हो सका, बाद में और पुलिस आई, परन्तु उसी अनुपात में कट्टरपंथी भी बढ़ गए। इस घटना के मध्य ही राहुल और प्रिंसिपल स्वप्न बिस्वास को जूते की माला पहनाई गयी।
बाद में शाम को जब पुलिस इतनी आई कि स्थिति को नियंत्रण में कर लेती, उसके बाद स्थिति पर नियंत्रण हुआ, परन्तु तब तक प्रिंसिपल का जितना अपमान हो सकता था हो गया था, जितना डर कट्टरपंथी उनके दिल में भर सकते थे, भर दिया था। पुलिस उन्हें भी राहुल के साथ थाने ले गयी, जहाँ पर उन्हें छोड़ दिया गया, राहुल को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
इस घटना को लेकर वहां के उदार मुस्लिमों के बीच तीखी प्रतिक्रिया हुई थी। कई लोगों ने इस बात को लेकर पुलिस की निंदा की कि जब पुलिस के सामने प्रिंसिपल का अपमान हो रहा था, तो पुलिस ने कुछ किया क्यों नहीं? 27 जून को इस सम्बन्ध में रैली का आयोजन किये जाने की भी योजना थी। रैली के आयोजकों में से एक रोबिन अहसान ने कहा था कि शिक्षक का कोई भी समबन्ध इस घटना से नहीं था, फिर उन्हें क्यों प्रताड़ित किया गया?”
ऐसी ही कई और भी आवाजें उठी हैं। परन्तु उस दिन के बाद से प्रिंसिपल साहब का पता नहीं चला था। वह कहीं चले गए हैं।
कहीं यह उन्हें हटाने का षड्यंत्र तो नहीं था?
यह भी चर्चा हो रही है कि कहीं न कहीं यह प्रिंसिपल साहब को हटाने का भी एक षड्यंत्र हो सकता है।
अशराफुल इस्लाम द्वारा शिक्षक उत्पल कुमार की बैट से पीट पीट कर हत्या
एक और दिल दहला देने वाली घटना बांग्लादेश में तब हुई जब ढाका में हाजी यूनुस अली स्कूल एंड कॉलेज के शिक्षक उत्पल कुमार सरकार की हत्या 19 वर्ष के अशराफुल इस्लाम ने बैट मारकर कर दी थी। इस्लाम उसी विद्यालय में कक्षा १० में पढ़ रहा है।
इस घटना को लेकर अभी स्पष्ट नहीं है कि यह हत्या क्यों की गयी! परन्तु यह अत्यंत दुखद है कि एक ओर जहां पर भारत में भी हिन्दुओं के गले रेते जाने की घटनाएं बढ़ रही हैं तो वहीं, मुस्लिम पड़ोसी देशों में हत्या के साथ साथ कथित ब्लेसफेमी का प्रयोग नौकरी से हटाने तक के लिए प्रयोग किया जा रहा है जैसा कथित रूप से स्वप्न बिस्वास के मामले में दिखाई दिया।
इससे पहले हमने देखा था कि जब नुपुर शर्मा का मामला आरम्भ हुआ था, उस समय पश्चिम बंगाल में नुपुर नामक एक युवती का क्षत विक्षत शव पाया गया था।
फिर भी देखा यह गया है कि अचानक से ही बांग्लादेश में हिन्दू शिक्षकों पर हमले बढ़ गए हैं, उन्हें कथित ब्लेसफेमी के आरोप में फंसाया जाने लगा है। और चूंकि ब्लेसफेमी अर्थात मजहब का मामला होता है तो उसके सम्बन्ध में कोई खुलकर सामने भी नहीं आता है और इसी का लाभ एक बार फिर से कट्टरपंथी उठाते हैं, और हिन्दू शिक्षकों पर पूरे देश में सुनियोजित तरीके से हमले बढ़ रहे हैं, षड्यंत्र हो रहे हैं!
We should start slamming Bangladeshi illegals staying in Bharat.,only solution…