इश्क के मामलों में मजहब क्या करे,
जो हो गया सो हो गया, अब जमाना क्या करे!
ऐसी ही बेकार शायरी सुना सुना कर न जाने कितनी श्रद्धाएँ आफ्ताबों का शिकार हो जाती हैं, न जाने कितनी लडकियां ऐसी सड़क छाप शायरी का शिकार होकर उस जाल में फंस जाती हैं, जहां से वापस आने का कोई सहज रास्ता नहीं होता, यदि होता है तो केवल मौत का जाल कहने के लिए यह दो तीन ही पंक्तियाँ होती हैं, परन्तु इनका धुंआ बहुत विषैला होता है, हिन्दू लड़कियों के लिए भी और हिन्दू लड़कों के लिए भी।
अभी श्रद्धा और आफताब के मामले में न जाने कितनी अनकही बातें सामने आ रही हैं, न जाने कितने रहस्य सामने आ रहे हैं और न जाने क्या क्या उदघाटन हो रहे हैं, वहीं अब पुलिस ने यह कहा है कि कई हथियारों से श्रद्धा को काटा गया था।
वहीं उसके दोस्त ने अब दावा किया है कि आफताब श्रद्धा को सिगरेट से भी जलाता था। मगर यह बात नहीं समझ आ रही है कि आखिर कथित रूप से स्वतंत्र श्रद्धा आफताब को छोड़ क्यों नहीं पाई, यहाँ तक कि विरोध भी नहीं कर पाई? आखिर ऐसा क्यों हुआ और क्यों होता है? श्रद्धा ने आफताब का विरोध क्यों नहीं किया, उससे बढ़कर जो प्रश्न है वह यह कि आखिर यह लोग क्यों समझ नहीं पा रहे हैं कि लोग इस जाल में फंस कैसे जाते हैं?
यह कैसा प्यार है जो श्रद्धा के तो टुकड़े टुकड़े करता ही है, साथ ही लखनऊ में भी एक लड़की को इसी प्रकार फंसाने की बात सामने आई है। यहाँ पर मामला कुछ अलग है। यहाँ पर इसलिए मामला कुछ अलग है क्योंकि यहाँ पर श्याम नाम रखकर सलमान मिला था। यह कहानी है उस षड्यंत्र की जो एक किशोरी के साथ हुआ, यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि हिन्दू लड़कियों की इज्जत की कोई कीमत नहीं है।
वह हर किसी से प्रताड़ित हो रही हैं। यह समझ ही नहीं आ पा रहा है कि वह कितनी और प्रताड़ित होंगी। मूलत: बिहार के एवं वर्तमान में लखनऊ में रहने वाले सलमान ने अपना नाम श्याम रखा और उसके बाद उसने वहीं की किशोरी को प्यार के जाल में फंसाया एवं हरियाणा में अपहरण करके ले आया।
किशोरी को उसने बंधक बनाकर रखा एवं चाकू की नोक पर निकाह भी पढवाया। पारा थाना क्षेत्र में परिजनों ने अपहरण का मामला दर्ज कराया। उसके बाद सर्विलांस टीम ने पता लगाया तो पता चला कि वह हरियाणा में है। पुलिस ने सलमान को हिरासत में ले लिया है और इस किशोरी को जिस लडकी ने सलमान से मिलवाया था, उससे भी वह श्याम बनकर ही मिला था।
यह घटना २४ नवम्बर की है, जब श्रद्धा का मामला चर्चा में है ही! परन्तु इन सब मामलों पर बात करने पर फेमिनिज्म इन इंडिया जैसे पोर्टल्स इस्लामोफोबिया जैसी बातें करने लगते हैं।
अब आगे बढ़ते हैं एक और मामले पर। इसमें भी हिन्दू लड़की को एक शाह आलम नामक आदमी ने सचिन शर्मा बनकर फंसाया और उसके साथ बलात्कार करने का प्रयास किया।
इसमें बिहार की रहने वाली एक लड़की की फेसबुक पर दोस्ती सचिन शर्मा नामक युवक से हुई। सचिन शर्मा बनकर वह उसे बातें करता रहा और वह लड़की जब उससे मिलने गयी तो उसने उसके साथ बलात्कार का प्रयास किया। लड़की को उसने नौकरी और शादी के लालच में बुलाया था। कानपुर आई लड़की को शहंशाह कानपुर के होटल में लेकर गया। वहां पर जब वह लोग कमरे में गए तो उसने अन्धेरा कर दिया और उसके साथ जबरदस्ती करने का प्रयास किया। लड़की ने बताया कि शहंशाह ने चेहरे पर मास्क लगा रखा था। लड़की ने होटल के रिसेप्शन पर आकर पुलिस को फोन किया।
नांदेड में स्वप्निल नागेश्वर की हत्या
जब इस समय लोग श्रद्धा और आफताब के मामले में उलझे पड़े हैं, उसी समय एक और ऐसी ही घटना हुई है, जिस पर सबसे ज्यादा चर्चा होनी चाहिए महाराष्ट्र के नांदेड़ से स्वप्निल नागेश्वर की हत्या का समाचार आ रहा है। मीडिया के अनुसार स्वप्निल का खून इसलिए किया गया क्योंकि उसे एक मुस्लिम महिला के साथ देखा गया था। मीडिया के अनुसार उसे एक शादीशुदा मुस्लिम औरत से प्यार था और जब उसे कुछ लोगों ने देखा तो उसे नांदेड़ के डंकीन इलाके में लाया गया और फिर आठ से दस लोगों ने उसे पीट पीट कर मार डाला।
चूंकि यह घटना सीसीटीवी में कैद हुई थी तो पुलिस ने सभी आरोपितों को हिरासत में ले लिया है।
यह भी कहा जा रहा है कि स्वप्निल एक दलित युवक था।
ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि स्वप्निल की हत्या पर इतना सन्नाटा क्यों है? एक दलित युवक जब मुस्लिम कट्टरपंथियों के हाथों मारा जाएगा तो कोई नहीं बोलेगा और न ही यह कहा जाएगा कि दलितों के साथ अन्याय एवं अत्याचार हो रहा है? स्वप्निल की हत्या पर एकदम मौन हैं सभी! ऐया क्यों है, यह भी शोध का विषय है कि आखिर कैसे कथित समुदाय के नेता अपने ही समुदाय के लोगों की पीड़ा को इसलिए नहीं बताते हैं जिससे कहीं उनका राजनीतिक समीकरण न बदल जाए!