HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
22 C
Sringeri
Saturday, June 3, 2023

वाम फेमिनिज्म और तालिबान द्वारा औरतों को परदे में कैद करना

जब से तालिबान ने काबुल पर अधिकार किया था, तभी से भारत में वाम फेमिनिस्ट के बीच तालिबान को स्वीकार करने की जैसे एक होड़ मच गयी थी. तालिबान को नया बदला हुआ तालिबान बताया जाने लगा था. और यह बार बार कहा गया कि इस बार तालिबान सुधर गया है, पर कैसे सुधरा है? क्या सुधरा है?

अब बात करते हैं कल की एक महत्वपूर्ण खबर की, जो अफगानिस्तान से ही आई है और जहाँ पर बुर्का पहने औरतों ने तालिबान के समर्थन में प्रदर्शन किया. और उन्होंने तालिबान की शिक्षा नीति की प्रशंसा की.

लगभग 300 अफगान औरतें, जो पूरी तरह से काले और नीले बुर्के में थीं और कईयों की आँखें भी ढकी थीं, उन सभी ने पश्चिम के खिलाफ रैली की और तालिबान की इस्लामी नीतियों का समर्थन किया. सबसे मजे की बात यह थी कि उन्होंने एक बैनर के माध्यम से यह तक कह दिया कि “जो औरतें अफगानिस्तान छोड़ गयी हैं, वह हमारी प्रतिनिधि नहीं हैं.”

और तालिबानियों के पक्ष में आने के  बाद उन्होंने कहा कि “इसके बाद हमें बिहिजाबी दिखाई नहीं देगी! ( बिहिजाबी अर्थात, वह जो हिजाब नहीं पहनती हैं.)

याद रहे यह वही मानसिकता है जो हर हिन्दू लड़की को बेहिजाबी के रूप में देखती है. और यही कारण है कि वह हिजाब दिवस मनाते हुए हिन्दू लड़कियों को भी हिजाब पहना देती हैं. और कथित रूप से समाज सुधारक संस्थाएं मजहबी पहचान के नाम पर स्वीकृत करती हैं और हिजाब को औरतों की मजबूती का प्रतीक बताती हैं.

हिन्दुओं के खिलाफ मोर्चा खोलने वाली फेमिनिज्मइनइंडिया नामक वेबसाईट तो हिजाब के पक्ष में जाकर खडी है, याद रखा जाए कि जो औरतें हिजाब के पक्ष में खड़ी होती हैं, वही मंगलसूत्र के विरोध में खड़ी होती है. हिजाब जिसमें आपके बाल तक सांस नहीं ले पाते हैं, उसे बहुत ही ख़ूबसूरती से कथित पैट्रिआर्की से लड़ने का नाम दे दिया गया.

अब जब तालिबान के पक्ष में औरतें आकर कह रही हैं कि “जो औरतें हिजाब नहीं पहनती हैं, वह हमें नुकसान पहुंचा रही हैं.” और वही औरतें आगे जो कहती हैं वह महत्वपूर्ण है, वह कहती हैं कि “हिजाब कोई व्यक्तिगत चीज़ नहीं है.”

इससे समझा जा सकता है कि हिजाब पूरी तरह से एक मजहबी पहचान को कायम रखने के लिए है.  यहाँ तक तालिबान का समर्थन करने वाली यह औरतें उन औरतों के खिलाफ हैं, जो तालिबान का विरोध कर रही हैं और वह उन्हें अपना प्रतिनिधि ही नहीं मान रही हैं.  सिर से अंगूठे तक ढकी हुई पहली वक्ता ने कहा “हम उन औरतों के विरोध में हैं, जो सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रही हैं और जो दावा कर रही हैं, कि वह हमारी प्रतिनिधि हैं.”

फेमिनिज्मइनइंडिया पर एक लेख है कि “मैंने हिजाब पहनना क्यों चुना: एक परेशान मुस्लिम फेमिनिस्ट का खुला पत्र”! इसमें उस मुस्लिम फेमिनिस्ट ने लिखा है कि “लोग मुझे कट्टरवादी कहते है, पर कहते रहेंगे! पर यह मेरी ज़िन्दगी है! है न!”

https://feminisminindia.com/2018/10/05/why-hijab-muslim-feminist/

यहाँ पर वह मुस्लिम फेमिनिस्ट और तालिबान का समर्थन करने वाली औरतें स्पष्ट हैं, कि यह उनकी ज़िन्दगी है और इसमें बोलने का अधिकार किसी को नहीं है. दरअसल यही धार्मिक स्वतंत्रता है. मगर समस्या तब आती है जब हिजाब को तो मजहबी अधिकार का नाम लेकर आज़ादी का प्रतीक बना दिया गया, मगर पश्चिमी और इस्लामी कथित फेमिनिज्म ने हिन्दू स्त्री की साड़ी तक को कट्टर बना दिया. उन्होंने सिन्दूर को पिछड़ा बता दिया, कितनी बार हमने वह तस्वीर देखी होगी जिसमें एक बच्ची के एक पैर में पायल है और जो बंधा हुआ है, और एक पैर में पायल आदि कुछ नहीं है और वह स्कूल के जूते मोज़े पहनी है और उसे आज़ादी बना दिया. क्या पायल किसी का धार्मिक अधिकार नहीं हो सकता? क्या बिछिया धार्मिक अधिकार नहीं है? क्या सिन्दूर धार्मिक अधिकार नहीं है?

ये जो इस्लाम का समर्थन करने वाली वामपंथी फेमिनिस्ट हैं, यह कभी हिन्दुओं को धार्मिक स्वतंत्रता देने की बात नहीं करतीं! हिजाब का समर्थन कर दिया, और यहाँ तक कि तालिबान का भी गुणगान गा दिया, मगर जिस समाज ने समय के साथ आई अपनी हर कुरीति को खुद त्याग दिया, उसे यह फेमिनिस्ट नीचा दिखाती हैं. यहाँ तक कि हमारे समाज की लड़कियों को हिजाब, नकाब और बुर्के का अंतर भी यह कथित वेबसाइट्स बताती हैं.

क्यों? किसलिए हमें जानना है? क्या यह हमारी लड़कियों को मानसिक रूप से तैयार करती हैं कि एक दिन वह इसे सहजता से अपना लें? जितनी भी कथित मुस्लिम फेमिनिस्ट हैं, जो हिजाब को पहनती हैं, वह साफ़ कहती हैं कि यह उन्हें उनके अल्लाह के साथ जोड़ता है, और यह आज़ादी का प्रतीक है. 

अमेरिका में पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप का विरोध करने के लिए हिजाब को माध्यम बना लिया गया.  युवा मुस्लिम समीहा ने कहा था “मुझे लगता है कि हिजाब फेमिनिज्म को सपोर्ट करता है. जब आप इसे मजहबी दृष्टि से देखते हैं तो आप पाएँगे कि यह आपको अल्लाह के साथ जोड़ता है! यह आपको आपके मजहब के और नज़दीक लाता है!”

अर्थात जो लड़की अमेरिका में पढ़ रही है वह भी बिहिजाबी नहीं चाहती है, वही बिहिजाबी जिसका विरोध तालिबान का समर्थन करने वाली औरतें कर रही हैं, यहाँ तक कि हिंदी जगत की वामपंथी लेखिकाएं भी हिजाब पहनने को बुरा नहीं मानतीं, वह भी छोटी छोटी उन बच्चियों की हिजाब पहले हुए तस्वीर पोस्ट करती हैं, जिन्हें अभी कुछ पता ही नहीं है!

मगर यह सभी पिछड़े मिलकर उन औरतों के खिलाफ खड़े हैं, जो स्वतंत्र रहना चाहती हैं.

हिन्दी की वामपंथी लेखिकाएं दरअसल उन्हीं काली पोशाकों में छिपी हुई औरतें हैं, जो हर हिन्दू स्त्री को इसी काले टेंट में दबा देना चाहती हैं, तभी कथित रूप से बदले हुए तालिबान की तारीफ कर रही हैं! वह औरतों को आज़ादी देने वाले ट्रंप के खिलाफ हैं और अफगानिस्तान की करोड़ों औरतों को काले बुर्के में कैद करने वाले जो बिडेन के पक्ष में है, और उन औरतों के पक्ष में नहीं लिख रही हैं, जो अपनी जान बचाकर, स्वतंत्र आवाज़ करके बाहर निकल रही हैं, बल्कि इस बात पर ताली बजा रही है कि “कम से कम तालिबान उन्हें काले बुर्के में ही सही पढ़ने तो दे रहा है!”

अफगानिस्तान की वह काली दुनिया की औरतें हो, भारत की कट्टर इस्लाम प्रेमी वामपंथी लेखिकाएं हों या फिर अमेरिका में वोक लेफ्ट फेमिनिस्ट, यह सभी औरतों को उसी काली दुनिया में फेंक देना चाहती हैं, जहां से बाहर आने के लिए यह औरतें संघर्ष कर रही हैं और हिन्दू लड़कियों का ब्रेनवाश करके वह उन्हें उस दुनिया में धकेल रही हैं, जहाँ से वापस आना असंभव नहीं तो कठिन तो अवश्य हो जाता है!   


क्या आप को यह  लेख उपयोगी लगाहम एक गैर-लाभ (non-profit) संस्था हैं। एक दान करें और हमारी पत्रकारिता के लिए अपना योगदान दें।

हिन्दुपोस्ट अब Telegram पर भी उपलब्ध है. हिन्दू समाज से सम्बंधित श्रेष्ठतम लेखों और समाचार समावेशन के लिए Telegram पर हिन्दुपोस्ट से जुड़ें .

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.