तमिलनाडु से ग्रूमिंग या कहें लव जिहाद का मामला सामने आ रहा है। इसमें छोटे परदे पर अभिनेत्री दिव्या वही कहानी दोहराती हुई दिखाई दे रही हैं, जो इस समय न जाने कितनी लडकियां कहती हैं कि उनके साथ नाम बदलकर धोखा किया गया। परन्तु आम लड़कियों और दिव्या जैसी लड़कियों के मामले में कुछ अंतर होता है। दिव्या जैसी लडकियां इन दिनों कई लड़कियों के लिए रोल मॉडल बन जाती हैं और फिर उनके द्वारा पहना गया फैशन एवं उनकी जीवनशैली उनके लिए आदर्श बन जाती हैं।
दिव्या जैसे मामले इसलिए और भी अधिक चर्चा का विषय बनने चाहिए, जिससे उन लड़कियों के समक्ष वह रूमानी तस्वीर स्पष्ट हो सके, जो वह दिव्या जैसी लड़की के रोमांटिक जीवन को देखकर बनाती हैं। उन्हें पता चल सके कि दरअसल दिव्या के साथ भी वही होता है जो किसी आम ऐसी लड़की के साथ होता है, जो नाम बदलकर इन जिहादी मानसिकता वाले लोगों का शिकार बनती है।
बहुत आवश्यक है कि ऐसी कहानियों पर बात हो और यह भी बात हो कि कैसे “ससुराल सिमर की” की दीपिका कक्कड़, निकाह के बाद धर्म बदलने के बाद भी दीपिका नाम से अपना यूट्यूब चैनल चलाकर उस पर उस रूमानियत की कहानियां पोस्ट करती हैं, जो उन्हें उनकी धार्मिक पहचान को मिटाकर मिली है।
दीपिका एक पक्की मुस्लिम बनकर दीपिका के ही नाम से अपनी कहानियों को उन कच्चे दिमाग की लड़कियों को बेच रही हैं, जो अपने सपनों का राजकुमार शोएब जैसों में देखती हैं और फिर उनके हाथ बाद में पछतावे के अतिरिक्त कुछ नहीं रहता, यहाँ तक कि अपने लोग भी नहीं, अपनी पहचान भी नहीं! यही कारण है कि दिव्या की कहानी पर अधिक बात और चर्चा होनी ही चाहिए।
दिव्या के अनुसार वह अर्णव के साथ लिव इन में थीं। अर्थात बिना शादी के वह साथ रह रहे थे। यह कतई भी गैर कानूनी कार्य नहीं है और दिव्या ने सितम्बर में अपने इन्स्टाग्राम पर यह घोषणा की थी कि उन्होंने अर्णव से शादी कर ली है और अब वह गर्भवती हैं।
परन्तु एक ही महीने बाद वह कह रही हैं कि उनके साथ अर्णव मारपीट कर रहा है। दिव्या का आरोप है कि गर्भवती होने के बाद अर्णव ने उन्हें छोड़ दिया है और दिव्या का यह भी कहना है कि यह शादी तभी हुई थी, जब अर्णव के अनुसार उसने अपना धर्म बदल दिया था। दिव्या का कहना है कि उन्होंने फरवरी में अपना धर्म बदला और फिर उन्होंने निकाह किया। उन्होंने हिन्दू धर्म के अनुसार पहले विवाह किया और फिर निकाह किया। दिव्या का कहना है कि उन्होंने तो अपने अभिभावकों को इस बात को बता दिया, मगर अर्णव ने यह नहीं किया। और दिव्या के अभिभावकों ने उन्हें अस्वीकार कर दिया।
इसके बाद यह भी कहना है कि अर्णव को एक मुस्लिम अभिनेत्री अन्शिथा अकबरशाह के साथ नया काम मिला और दिव्या को यह पता चला कि वह दोनों करीब आ रहे हैं और अर्णव उसे अनदेखा कर रहा है। दिव्या ने अर्णव से कहा कि वह अपनी शादी की घोषणा करे, मगर अर्णव ने इंकार कर दिया और कहा कि उसके घरवाले नहीं मांगेंगे।
दिव्या का यह भी कहना है कि वह लोग जिस घर में रह रहे हैं। उसका डाउन पेमेंट उन्होंने ही किया था और वही ईएमआई भी देती हैं। इतना ही नहीं दिव्या के अनुसार घर का सारा सामान उन्होंने ही खरीदा है। दिव्या के वकील का कहना है कि अर्णव का परिवार पुदुकोत्तई में बहुत प्रख्यात है, इसलिए वह इस शादी को सार्वजनिक नहीं कर सकते हैं।
इसके पीछे यह कारण बताया जा रहा है कि दिव्या की शादी पहले भी हो चुकी है और उसकी एक बेटी भी है। दिव्या के अनुसार वह यह बात कई इंटरव्यू में बता चुकी हैं और यह लोगों के संज्ञान में भी है। परन्तु अर्णव ने इन आरोपों से इंकार किया है, और कहा है कि उन्हें नहीं पता था कि दिव्या के एक बेटी भी है और दिव्या ने उस बच्ची को अपनी भतीजी बताया है।
अर्णव ने एक और शिकायत दर्ज कराते हुए कहा कि दिव्या उनके बच्चे को मारने की योजना बना रही है। वहीं दिव्या पर उसने मानसिक रूप से अस्थिर होने का भी आरोप लगा दिया है, क्योंकि कुछ ऐसे वीडियो साझा किए गए हैं, जिसमें वह गुस्सा दिखा रही हैं और अर्णव ने कुछ मेडिकल बिल भी दिखाए हैं। तो क्या यह माना जाए कि वह एक मानसिक रूप से अस्थिर महिला का शारीरिक शोषण कर रहा था?
हालांकि अर्णव की ओर से रोज ही आरोप आ रहे हैं, तो वहीं दिव्या की ओर से खंडन! फिर भी ऐसा नहीं हो रहा कि इस चमक दमक वाली दुनिया से कोई बड़ी आवाज ऐसी हो, जो दिव्या के पक्ष में आई हो!
दिव्या जैसी लड़कियों का चकाचौंध से प्रभावित होकर अपने मुस्लिम सहकलाकारों की ओर आकर्षित होना न ही नई घटना है और न ही अनोखी, परन्तु इन घटनाओं पर और ऐसी लड़कियों की दुर्गति पर इसलिए बात लगातार होनी चाहिए, जिससे वह बुरी हिन्दू और अच्छी मुस्लिम बनकर उन लड़कियों पर गलत प्रभाव न डाल सकें, जो इन जैसी लड़कियों से प्रभावित होती हैं।
चूंकि कथित कला के क्षेत्र में हाल ही में शरद पवार तक ने कह दिया है कि अगर हम कला, कविता और लेखन की बात आज करते हैं तो “अल्पसंख्यकों” का योगदान सबसे ज्यादा है, और बॉलीवुड में सबसे ज्यादा योगदान किसका है, यह हमें नहीं भूलना चाहिए!
जब इस प्रकार से एक वर्ग विशेष की प्रशंसा की जाती है, तो उसकी तमाम व्यक्तिगत धूर्तताएं दब जाती हैं एवं शेष रह जाता है केवल और केवल तहों में दबा हुआ शोषण, जो न ही दिखाई देता है और न ही उस दृष्टि से सामने आ पाता है, जिस दृष्टि से आना चाहिए। इस “तुष्टिकरण एवं तृप्तिकरण” के चलते तमाम शोषण एवं मजहबी कट्टरता की कहानियां इस हद तक दब जाती हैं कि फिर कोई साहस भी नहीं कर पाता,
परन्तु दिव्या और दीपिका जैसी लड़कियों के चलते, नई लडकियां अवश्य भ्रमित हो कर अपने जीवन को नरक बना लेती हैं! एवं तभी आवश्यक है इन कहानियों का सामने आना और चर्चा करना!