spot_img

HinduPost is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma

Will you help us hit our goal?

spot_img
Hindu Post is the voice of Hindus. Support us. Protect Dharma
33.2 C
Sringeri
Friday, March 29, 2024

सरकार के प्रयासों से हम सुरक्षित वापस आ रहे हैं: युक्रेन से सुरक्षित लौटी आगरा की छात्रा साक्षी

भारत के प्रयासों से अब धीरे धीरे यूक्रेन में फंसे हुए छात्र वापस आ रहे हैं। परन्तु साथ ही यह भी सच है कि कुछ मीडिया हाउस जो भारत की छवि को खराब करते रहे हैं, वह अभी तक भारत की छवि को प्रभावित करने के लिए अपना जी तोड़ प्रयास कर रहे हैं। हालांकि वह यह नहीं जानते हैं कि अब सोशल मीडिया के जमाने में उनका झूठ और एक तरफा एजेंडा नहीं चल पाएगा।

जो बच्चे आ रहे हैं, उनसे चैनल कई प्रकार के प्रश्न पूछकर इस सरकार को ही कठघरे में खड़े करने के लिए नाना प्रकार के उपाय कर रहे हैं। परन्तु एक बार भी ये चैनल इस बात की प्रशंसा नहीं कर रहे हैं कि जब अमेरिका ने अपने नागरिकों को अपने आप आने की सलाह दी है तो ऐसे में भारत सरकार न केवल विद्यार्थियों को सफलतापूर्वक ला रही है, बल्कि उनके पालतू पशुओं को भी ला रही है। अपने खर्च पर ला रही है, क्योंकि यह भारत सरकार का सदा प्रयास रहता है कि उसके नागरिक कहीं पर फंसे न रह जाएं।

आज ही सुबह 210 यात्री रोमानिया और हंगरी होते हुए आए हैं।

फिर ऐसे में यह कैसी मानसिकता है कि जब युद्धग्रस्त क्षेत्र में से यात्रियों को सुरक्षित लाया जा रहा है, ऐसे में कुछ मीडिया चैनल्स और विपक्ष सरकार के साथ न खड़ा होकर अफवाह फैलाने में व्यस्त है कि किसी भी प्रकार से असंतोष फैलाया जा सके! एनडीटीवी ने एक ऐसे व्यक्ति का इंटरव्यू लिया जिसमें वह कह रहा है कि अमेरिका ने तो इतने पहले एडवाइजरी जारी कर दी थी, पर हमारी सरकार ने कुछ नहीं किया।

ऐसे में वह पत्रकार नहीं टोक रही है कि यदि अमेरिका ने एडवाईजरी जारी की थी तो आपकी सरकार ने भी तो एडवाईजरी जारी की थी? भारत सरकार फरवरी में युद्ध आरम्भ होने से पहले से ही एडवाईजरी जारी कर रही थी और मीडिया में भी युद्ध की खबरें आ रही थीं, फिर भी अब वीडियो उभर कर आ रहे हैं कि किस प्रकार कुछ व्यक्ति मीडिया कवरेज का ही मजाक उड़ा रहे थे।

परन्तु बहुत सारे विद्यार्थी ऐसे हैं जो सच बताते हैं, परन्तु उनका सच सुनने के लिए यह प्रोपोगैंडा मीडिया जाना नहीं चाहता है। ऐसी ही एक विद्यार्थी हैं आगरा की साक्षी सिकरवार। वह भी युक्रेन में युद्ध में फंस गयी थीं। उन्होंने बताया कि उनकी यूनिवर्सिटी से यह तो कहा जा रहा था कि युद्ध हो सकता है, परन्तु एडवाइजरी जारी होने पर भी क्लासेस चलती रहीं तो वह वापस नहीं आ सकती थीं।

उन्होंने कहा कि किसी को भी ऐसा नहीं लगा था कि युद्ध होगा, फिर जब युद्ध शुरू हुआ तो उनकी यूनिवर्सिटी और भारत की एम्बेसी ने उनकी बहुत मदद की और उन लोगों को हंगरी तक पहुंचाया।

वह कहती हैं कि उनकी यूनिवर्सिटी ने उन्हें हंगरी की सीमा तक पहुंचाया और फिर वहां से भारत की एम्बेसी ने उन्हें बुडापेस्ट पहुंचाया और फिर वह लोग भारत आ गए।

साक्षी से जब हमने पूछा कि क्या वास्तव में ऐसा हो रहा है कि सरकार सहायता नहीं कर रही है तो साक्षी ने कहा कि “यह सब बेबुनियाद है। सब झूठ है।” उन्होंने कहा कि “हमारी मदद हुई है तो हम बता सकते हैं कि सरकार हमारी मदद कर रही है, सरकार अपनी ओर से पूरी पूरी कोशिश कर रही है। मैं अपने हॉस्टल से निकलने के 24 घंटे के भीतर अपने घर पर आ गयी।”

साक्षी का कहना है कि वह चूंकि ऐसे क्षेत्र में थीं जहाँ पर युद्ध नहीं हो रहा था तो वह वहां से जल्दी निकल पाईं, परन्तु युद्धग्रस्त क्षेत्रों में भी जैसे उनके दोस्त उन्हें बता रहे हैं, भारत सरकार अपनी पूरी कोशिश कर रही है। साक्षी इस बात को भी समझकर कहती हैं कि मैडम जहाँ पर बमबारी हो रही है, तो वहां से एकदम से सामने से तो नहीं निकाल सकते न! इसलिए देर हो रही है!

साक्षी से जब हमने पूछा कि क्या वास्तव में यह समाचार सच है कि रूसी सैनिक भारतीय विद्यार्थियों के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं, तो साक्षी ने इस बात से इंकार कर दिया. साक्षी ने कहा कि उन्हें न ही रूसी और न ही युक्रेन के सैनिकों की ओर से कोई ऐसा कोई दुर्व्यवहार झेलना पड़ा. साक्षी का कहना है कि उनके कई दोस्त युद्ध क्षेत्र में भी फंसे हैं, परन्तु उनके साथ भी ऐसा कुछ हुआ हो, यह उन्हें जानकारी नहीं है!

साक्षी जैसे कई विद्यार्थी हैं जो सरकार की प्रशंसा कर रहे हैं और बार बार कह रहे हैं कि यदि सरकार की ओर से यह कदम नहीं उठाए जाते तो वह सुरक्षित नहीं आ पाते। भारत सरकार की ओर से केन्द्रीय मंत्री भी छात्रों को निकालने के लिए युक्रेन की सीमा से लगे देशों में गए हैं। कल ही भारत सरकार द्वारा युक्रेन के मामले पर सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया गया था और उसमें कांग्रेस के नेता शशि थरूर ने भारत सरकार की जमकर प्रशंसा की और कहा कि इसी प्रकार से विदेश नीति का संचालन किया जाना चाहिए:

परन्तु उसके बाद भी कई लोग ऐसे हैं, जो इस विषम स्थिति में भी भारत सरकार के प्रयासों की प्रशंसा न करके राजनीतिक बयानबाजी कर रहे हैं। मीडिया के एक वर्ग की सच्चाई तो समझ आती है क्योंकि उनकी रोजी रोटी उसी से चलती है, परन्तु राजनीतिक दलों को उसी परिपक्वता का परिचय देना चाहिए जो कल शशि थरूर ने दिया और कहा कि एक खुले माहौल में खुलकर चर्चा हुई, जिसने यह याद दिलाई कि जब राष्ट्रीय हितों की बात आएगी तो हम सभी भारतीय हैं

फिर भी प्रश्न उठते हैं कि जब देश हित पर सभी राष्ट्रीय दल एक हैं तो फिर अपने नेताओं के बच्चों को भारत के इतने बड़े बचाव अभियान के विषय में झूठ बोलने के लिए क्यों प्रेरित करते हैं? और उन बच्चों के स्थान पर जो सरकार की प्रशंसा कर रहे हैं, कि उनकी जान बची, उन्हें क्यों दिखा रहे हैं, जो युद्ध ग्रस्त क्षेत्रों में भी फाइव स्टार ट्रीटमेंट की आशा कर रहे हैं?

क्या यह कृतघ्नता की श्रेणी में नहीं आता?

सरकार इन विद्यार्थियों से संवाद कर रही है, जो एक बहुत ही अच्छा कदम है, क्योंकि ऐसा न होने पर लोगों को संदेह है कि विपक्ष इन विद्यार्थियों का अपने राजनीतिक लाभ के लिए प्रयोग करेगा और एक बार फिर से टूलकिट को सक्रिय किया जाएगा:

यह स्थिति देखकर कंधार हाइजैक की घटना याद आती है। भारत का मीडिया और विपक्ष विशेषकर कांग्रेस भारत के साथ खड़ा न होकर जनता में असंतोष फैलाने के लिए हर संभव प्रयास करता है। कोरोना की कवरेज को भी कौन भुला पाएगा? जब जब आवश्यकता हुई है तब तब भारत का एक बड़ा मीडिया वर्ग नरेंद्र मोदी सरकार से या कहें भाजपा सरकार का विरोध करने के लिए सीमा तक नीचे गिरा है, और यह कंधार में विमान अपहरण से लेकर युक्रेन की घटनाओं तक जारी है।

फेसबुक पर लाइफ कोच डॉ अभिलाषा द्विवेदी ने बताया कि महामारी के बाद जब कॉलेज दुबारा खुले तो

एक रजिस्ट्रेशन फॉर्म खोल करयूक्रेन में सभी भारतीयों से उसे भरकरये जानकारी देने को कहा था कि कौन-कौन कहां-कहां है!ताकि सभी भारतीयों की पूरी जानकारी विदेश मंत्रालय और भारतीय दूतावास के पास हो।लेकिन प्रवासी विद्यार्थियों को यह फॉर्म भरना आवश्यक नहीं लगा।”


https://www.facebook.com/abhilasha.dwivedi/posts/4993629837362723

परन्तु हाँ, अब सोशल मीडिया है और अब लोग मीडिया के इस रूप को समझने लगे हैं और उनका उत्तर तथ्यों के साथ देने लगे हैं! यही कारण है कि बार बार एजेंडा विफल हो रहा है, परन्तु यह कब तक हो सकेगा, यह विचारणीय है!

साक्षी जैसे विद्यार्थियों की मुस्कान ही जीतेगी और झूठे प्रोपोगैंडा को धवस करेगी! यह भी स्मरण रखा जाए कि कृतघ्नता सबसे बड़ा पाप होती है, जो कुछ मीडिया हाउसेस अपने एजेंडे में बांधकर उन विद्यार्थियों से करवा रहे हैं, जो युद्धग्रस्त क्षेत्रों से वापस आ रहे हैं!

Subscribe to our channels on Telegram &  YouTube. Follow us on Twitter and Facebook

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles

Sign up to receive HinduPost content in your inbox
Select list(s):

We don’t spam! Read our privacy policy for more info.

Thanks for Visiting Hindupost

Dear valued reader,
HinduPost.in has been your reliable source for news and perspectives vital to the Hindu community. We strive to amplify diverse voices and broaden understanding, but we can't do it alone. Keeping our platform free and high-quality requires resources. As a non-profit, we rely on reader contributions. Please consider donating to HinduPost.in. Any amount you give can make a real difference. It's simple - click on this button:
By supporting us, you invest in a platform dedicated to truth, understanding, and the voices of the Hindu community. Thank you for standing with us.