हाल ही में आयुष्मान खुराना की फिल्म रिलीज़ हुई है “चंडीगढ़ करे आशिकी” उसमें हीरोइन ट्रांसवुमन है अर्थात उसने सेक्स बदला है और फिर वह महिला बनी है। फिल्म इन दिनों चर्चा का विषय है और लोग इसके पक्ष और विपक्ष में बोल रहे हैं। और लिख रहे हैं।
अभी तक जो विमर्श स्त्री और पुरुष के बीच था अब उसमें ट्रांसवुमन भी आ गया है। यह देखने में अच्छा लगता है कि कोई है जो कुछ अलग हटकर सोच रहा है, कुछ अलग कर रहा है, ट्रांस-वुमन के बारे में सोच रहा है! जो शब्द हमारे बच्चों के लिए अनजान थे, वह अब उनके लिए आम बोलचाल की भाषा में आ गए हैं। फिल्मों से प्रगतिशीलता आए या न आए, समाज और देश के विपरीत जाने का भाव अवश्य आ जाता है।
क्या होता है ट्रांस-वुमन
एक बार फिर से ट्रांस-वुमन पर आते हैं। ट्रांस-वुमन का अर्थ क्या है? इसका अर्थ है जो जन्म से तो पुरुष है, परन्तु उसकी यौनिक पहचान महिला है।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण परसों मिस यूनिवर्स बनी हरनाज़ संधू की फैशन डिज़ाईनर है। वह स्वप्निल से साय्शा बनी है। और आज कई प्रोपोगैंडा वेबसाईट पर उसके विषय में बातें हैं। हालांकि वह बॉलीवुड से कई वर्षों से जुडी है और वह करीना कपूर खान, कियारा अडवाणी, प्रियंका चोपड़ा और अनुष्का शर्मा, और माधुरी दीक्षित सहित कई बड़े बॉलीवुड स्टार की ड्रेस डिजाइन करती है। उसने जून 2021 में यह घोषणा की थी वह कोई समलैंगिक पुरुष नहीं बल्कि ट्रांसवुमन है। अर्थात वह भीतर से महिला है।
इसे लेकर आज मीडिया भरा हुआ है। क्या मात्र डिज़ाईनर कहने से काम नहीं चल सकता था? क्या उसकी इस पहचान को महिमा मंडित करके हम अपनी आने वाली पीढ़ी को किसी खतरे में तो नहीं झोंक रहे?
खतरा क्या है?
भारत में अभी ट्रांसवुमन पर क्रान्ति शैशव काल में है, इसलिए इन सेलेब्रिटी की इस क्रान्ति को बहुत गौरव से देखा जा रहा है। परन्तु उसके खतरे क्या हैं, वह पश्चिम की ओर देखने पर दिखाई पड़ जाएंगे। सबसे पहले तो यही निर्धारित करना कठिन होता है कि आखिर यह कौन निर्धारित करेगा कि कौन ट्रांस-वुमन है और किसके परामर्श से वह यह सर्जरी करवा रहे हैं। हालांकि किसी भी व्यक्ति को यह स्वतंत्रता है कि वह अपनी लैंगिक पहचान के साथ रह सकता है, परन्तु फिर भी यह एक जटिल प्रक्रिया है एवं समाज के लिए हानिकारक है।
महिला से पुरुष की तुलना में पुरुष से महिला अधिक बन रही हैं
यह एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि भारत में महिला से पुरुष बनने की तुलना में पुरुष से महिला बनने की संख्या अधिक है। ऐसा क्यों है? क्या उसके पीछे भी कोई कारण है? यह तो बाद में पता चलेगा, परन्तु इसके खतरों में हाल ही में जो सामने आया है वह है स्कॉटलैंड पुलिस द्वारा यह कहा गया है कि वह बलात्कार के मामले में पुरुष लिंग अंग वाले अपराधियों द्वारा किये गए अपराधों को भी “महिला” द्वारा किया गया अपराध कहेगी, यदि अपराधी कहता है कि वह महिला है!
स्कॉटलैंड पुलिस ने आगे कहा कि इससे कोई अंतर नहीं पड़ता है कि बलात्कार करने वाले ने लिंग परिवर्तन की सर्जरी कराई है या नहीं, यदि उसने कहा कि वह महिला है, तो यह माना जाएगा कि वह पुरुष देह में महिला है, जिसने यह अपराध किया है। अर्थात इसे एक महिला द्वारा किया गया अपराध माना जाएगा।
हैरी पॉटर लिखने वाली जे के रोव्लिंग ने इसका विरोध किया
इस निर्णय के विरोध में कई फेमिनिस्ट आई हैं और हैरी पॉटर लिखने वाली जे के रोव्लिंग ने इसका विरोध करते हुए लिखा कि
युद्ध शान्ति है
आजादी गुलामी है
अज्ञानता ताकत है
और जिस पेनिस वाले व्यक्ति ने आपका बलात्कार किया है, वह महिला है!
इसका विरोध करते ही उनपर हमले होने लगे। वह प्रगतिशीलों के निशाने पर आ गईं और उन्हें उनका मुंह बंद किए जाने की सलाह दी जाने लगी। उन्हें ट्रांस्फोबिया कहा गया।
परन्तु कई लोग समर्थन में आए हैं, और एक यूज़र ने लिखा कि
“पुरुष बलात्कारी महिलाओं की जेल में ट्रांसफर किए जा रहे हैं और वह अमेरिका, कनाडा और यूके में महिलाओं के साथ बलात्कार कर चुके हैं।”
स्कॉटलैंड में नया लिंग निर्धारण अधिनियम आया है, जिसके कलिंग परिवर्तन करने वाले के लिए मेडिकल चेक की जांच की जरूरत नहीं रह गयी है और बिना किसी लिंग परिवर्तन सर्जरी के भी यह कहा जा सकता है कि उसका लिंग महिला या पुरुष है।
डेली मेल यूके के अनुसार डिटेक्टिव सुपरिटेंडेट फिल कैपलडी का कहना है कि पुलिस के संपर्क में आने वाले व्यक्ति के लिंग की पहचान उसी के अनुसार निर्धारित की जाएगी, जैसा वह पुलिस के सामने अपनी पहचान बताते हैं।
और स्कॉटलैंड की पुलिस तब तक जैविक लिंग या यौनिक पहचान का प्रमाणपत्र नहीं मांगेगी जब तक वह किसी और जांच में वांछित न हो!”
हालांकि भारत में अभी लिंग परिवर्तन कर नाम बदलने के लिए ऑपरेशन आवश्यक है, जिससे अभी तो यह स्थिति नहीं आई है, परन्तु जिस प्रकार से भारत में भी वोकिज्म बढ़ रहा है और ट्रांस को महिमा मंडित किया जा रहा है, हमारे बच्चों के सामने उन्हें प्रेरणा के रूप में रखा जा रहा है और इसे एकदम सामान्य बताया जा रहा है, उससे आने वाले समय में हमारे बच्चों के लिए भी यही खतरे सामने होंगे कि कोई अपराधी पुरुष बलात्कार करके चला जाएगा और जाकर कहेगा कि वह तो केवल दैहिक पुरुष है और मन से तो वह महिला है!
जिस प्रकार से हमारे बच्चों को जेंडर न्यूट्रल की ओर आकर्षित किया जा रहा है, और जेंडर न्यूट्रल टॉयलेट की बातें हो रही हैं, उसमें कोई भी शरीर से पुरुष और मन से कथित औरत हमारे बच्चों के साथ कुछ भी कर सकता
और इन सभी को हमारे बच्चों के मन में स्थापित करती हैं, “चंडीगढ़ करे आशिकी” जैसी फ़िल्में!
आवश्यकता है कि हम समय रहते चेत जाएं और उस खतरे पर ध्यान दें, जो फेमिनिज्म के बाद और तेजी से आ रहा है!