सीरिया में इन दिनों कुछ पुस्तकों को लेकर हंगामा मचा हुआ है। यह हंगामा उन मजहबी किताबों को लेकर है जिन्हें तुर्की ने वितरित किया है। सीरिया में कुछ क्षेत्रों में इनका वितरण किया गया तो वहां पर क्रोध फ़ैल गया और लोगों ने इसका विरोध करना आरम्भ कर दिया। लोगों का यह आरोप है कि इनमें पैगम्बर मुहम्मद की तस्वीर है।
ऐसा कहा जा रहा है कि किताब में एक स्थान पर एक दाढी वाले व्यक्ति को एक गुलाबी स्वेटर में दिखाया गया है और वह अपनी बेटी को एक स्कूल बस से लेने गया हुआ है। उस तस्वीर में चित्र के साथ शीर्षक दिया गया है “पैगम्बर मोहम्मद अपनी बेटी के साथ!”
जैसे ही लोगों ने यह तस्वीर देखी, वैसे ही उनका गुस्सा फूट पड़ा और उन्होंने विरोध प्रदर्शन करना आरम्भ कर दिया। हालांकि कई स्रोत ऐसे हैं, जो यह बताते हैं कि कुरआन में स्पष्ट या परोक्ष दोनों ही ओर से मुहम्मद की छवियों पर रोक नहीं है। परन्तु मुस्लिम ऐसा करना गुनाह मानते हैं। क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि इससे वह मूर्तिपूजा की ओर अग्रसर हो सकते हैं।

तो तुर्की की इन किताबों को लेकर उत्तरी सीरिया में हंगामा मच गया और इस किताब के विरोध में जगह जगह प्रदर्शन होने लगे। तुर्की की सीमा के पास जाराब्लस शहर में नागरिकों ने जितनी प्रतियां हो सकती थी, वह सब उन्होंने जला दी हैं।
तुर्की और उसकी छद्म शक्तियों द्वारा सीरिया के कुछ क्षेत्रों का नियंत्रण वर्ष 2016 से किय जा रहा है। इन सभी क्षेत्रों में तुर्की की लीरा ही मुद्रा के रूप में चलती है और अंकारा में तो ऐसे अस्पताल, डाकखाने और स्कूल भी बन गए हैं, जो तुर्की भाषा सिखाने में मदद करते हैं।
पाकिस्तान में भी जला दी गईं चार पुलिस चौकी और कई कारें
ऐसा नहीं है कि सीरिया में ही कुरआन को लेकर हंगामा मचा है। पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी एक मानसिक विक्षिप्त इंसान पर कुरआन के अपमान आ आरोप है और इसके कारण वहां पर चारसड्डा जिले में रविवार को मुस्लिमों की बेकाबू भीड़ ने एक ब्लेसफेमी के आरोपी को खुद के हवाले करने की मांग को लेकर हंगामा किया और पुलिस स्टेशन में आग लगा दी।।
इस भीड़ में शामिल लोगो ने पुलिस से मांग की कि ब्लेसफेमी एक आरोपी को उन्हें सौंप दिया जाए। और जब पुलिस ने ऐसा करने से इंकार कर दिया तो उन्होंने पुलिस थाणे और चार चौकियों को पूरी तरह से जला दिया। अधिकारियों का कहना है कि मानसिक रूप से विक्षिप्त एक व्यक्ति पर कुरआन के अपमान का आरोप लगाया गया है।
हालांकि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पुलिस का कहना है कि इस घटना में किसी भी आधिकारी को कोई नुकसान नहीं हुआ है। फिर भी हमले के कारण पुलिस को व्यवस्था बहानी के लिए सेना को बुलाना पड़ा था।
अक्सर होते रहते हैं पाकिस्तान में ब्लेसफेमी के मामले:
पाकिस्तान में ब्लेसफेमी को रोकने के लिए बहुत ही कठोर कानून बनाया गया है और इसमें दोषी व्यक्ति को मौत की सजा का प्रावधान है। ऐसे मामलों में अक्सर भीड़ ही निर्णय करती है और इसका प्रयोग पाकिस्तान में हिन्दुओं और ईसाइयों के खिलाफ किया जाता है।
कुछ ही दिन पहले पाठकों को याद होगा कि केवल आठ साल के हिन्दू बच्चे पर इस कानून का प्रयोग किया गया था और मंदिर में भी तोड़फोड़ की गयी थी।
हालांकि पूरे विश्व में थूथू होने के बाद मंदिर निर्माण तो दोबारा करवा दिया गया था, दोषियों को हिरासत में भी लिया था, परन्तु उस बच्चे पर से यह आरोप हटा है या नहीं, यह अभी तक नहीं पता है।
ऐसे एक नहीं कई मामले हैं। और ऐसा नहीं है कि केवल गैर मुस्लिम ही शिकार होते हैं। हाल ही में कई मामले देखे गए, जिनमें मुस्लिमों को भी इस कानून का शिकार होना पड़ गया था। पिछले दिनों सितम्बर में ही एक निजी स्कूल की प्रिंसिपल को इस कानून का शिकार होना पड़ा था और फांसी की सजा सुनाई गयी है।
चार दिन पहले ही मौलवी से यह आग्रह करने पर कि ईसाई पड़ोसी को दफनाए जाने के कार्यक्रम का ऐलान मस्जिद से कर दिया जाए, इस बात पर ही एक मुस्लिम व्यक्ति और उसके तीन बेटों पर इस कानून के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है।
इतना ही नहीं, कभी भारत विभाजन करके पाकिस्तान का निर्माण करने में आगे बढ़कर भाग लेने वाले अहमदिया समूह को भी इस कानून का शिकार होना पड़ा है और उन्हें तो पाकिस्तान में मुस्लिम ही नहीं माना जाता है!
भारत में भी यदा कदा उठती रहती है मांग
भारत में भी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से हाल ही में भारत सरकार से यह मांग की गयी है कि वह भारत में भी ऐसा कानून लाएं। वैसे तो भारत में बिना इस कानून के ही मुल्सिम समुदाय कुरआन के कथित अपमान को लेकर दंगे भड़क जाते हैं। पिछले वर्ष बंगलुरु में हुए दंगे सभी की स्मृति में हैं, जब बंगलुरु में एक फेसबुक पोस्ट को लेकर आगजनी कर दी थी और मंदिर को बचाने का झूठा नाटक किया था।
इसलिए यह कहा जा सकता है कि इस कथित निंदा के आरोप पर सीरिया, पाकिस्तान या भारत कहीं भी आग लग सकती है और बांग्लादेश जैसे देशों में तो कई दिनों तक हिन्दुओं को मारा भी जा सकता है जैसा हाल ही में दुर्गापूजा के दौरान देखा था!
ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भारत में भी ऐसी ही हिंसा चाहता है?