अभी बहुत दिन नहीं हुए हैं, जब भारत में इफ्तार दावतें देना और इफ्तार के बहाने उसी पोशाक को पहनना बहुत ही प्रगतिशील माना जाता था। हिन्दू पर्वों को सार्वजनिक रूप से मनाया जाना एक अपराधबोध सा अनुभव कराता था। हर त्यौहार पर न्यायालय में याचिका लगाई जाती थी और जब इसका विरोध किया जाता था, तो हिन्दुओं पर अपनी परम्पराओं को सहेजने के चलते कट्टर होने का आरोप लगाया जाता था।
और जो तत्व इफ्तार पार्टियों में हिन्दुओं के जाली टोपी पहनने पर कुछ नहीं कहते थे, वैसी ही मानसिकता वाले तत्व उन हिन्दुओं को कट्टर या न जाने और क्या क्या कहते थे जो हिन्दू न्यायालय में अपनी परम्पराओं का बचाव करते थे। परन्तु समय ने करवट ली। हिन्दुओं के विरुद्ध विषवमन करने वाले लोगों जैसे राना अयूब आदि को पता चला कि अंतत: कट्टर कौन होते हैं और असहिष्णु कौन होते हैं!
हाल ही में प्रियंका चोपड़ा को इस बात पर घेरने वाली राना अयूब कि प्रियंका चोपड़ा ईरान की महिलाओं के विषय में तो बोलती हैं, मगर हिन्दुस्तान में मुस्लिम महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों पर नहीं, उसी कट्टरपंथी सोच का शिकार बनीं, जो उन्होंने अभी तक हिन्दुओं के विरुद्ध प्रयोग की थी। उन्होंने दीपावली पर हिन्दुओं को निशाना बनाने के लिए दीपावली मनाते हुए और तिलक लगाते हुए वीडियो post किया और लिखा कि
“घर से दूर शिकागो में एक खूबसूरत परिवार के साथ दीवाली मनाते हुए। भारत को हैप्पी diwali। हमें उन दुष्टों से लड़ना है, जो हमें विभाजित करते हैं!”
instagram पर इस पोस्ट में उन्होंने कमेन्ट सेक्शन बंद कर रखा था, शायद इस बात का अहसास उन्हें भी होगा कि हमला कहाँ से हो सकता है? क्योंकि जब वह हिन्दुओं के विरुद्ध पोस्ट करती हैं, तो ऐसा कुछ नहीं करती हैं। फिर भी उनका वह वीडियो ट्विटर पर आ गया और लोगों ने उनके उस वीडियो को लेकर उनसे कई सवाल कर डाले!
एक यूजर ने लिखा कि थैंक यू, पर किसलिए?
इस पर लोगों ने जमकर राना अयूब को इस्लाम सिखाया। एक यूजर ने लिखा कि गैर-मुस्लिमों की नक़ल करना हराम है और ऐसा हदीस में लिखा है और दिवाली में भाग लेना भी नकल ही है।
लोगों इसे कहा कि यह “प्योर शिर्क है!”
एक यूजर ने लिखा कि अल्लाह के साथ शिर्क अल्लाह की नजर में ऐसा गुनाह है, जिसकी माफी नहीं है। राना अयूब ने शिर्क किया है।
राना अयूब की असलियत वैसे तो आम लोग जानते ही हैं, अभी हाल ही में उन्होंने वाशिंगटन पोस्ट में एक ऐसा लेख लिखा था, जिसमें प्रोपोगैंडा के अतिरिक्त कुछ नहीं था। उसमें उन्होंने लिखा था कि दुनिया भारत में बढ़ रहे कट्टरपंथ की उपेक्षा कर रही है।
राना अयूब खुद कभी हिजाब में शायद ही दिखाई दें, मगर वह आम मुस्लिम लड़कियों को हिजाब में यह कहते हुए धकेल रही हैं कि वह लडकियां उसी मूलभूत अधिकार के लिए लड़ रही हैं, जैसा ईरान में लडकियां लड़ रही हैं। राना अयूब ने हिन्दुओं पर यह आरोप लगाते हुए कि हिन्दू नहीं चाहते कि कोई मुस्लिम उनके त्योहारों में भाग ले, हिन्दुओं को दोषी ठहराया है। परन्तु इस पूरे प्रोपोगैंडा लेख में राना अयूब ने एक बार भी उस अंकिता की बात नहीं की है, जिसे शाहरुख़ ने जिंदा जला दिया था।
मगर इस प्रोपोगैंडा पीस के बाद भी हिन्दुओं की प्रतिक्रिया वैसी नहीं आई, जैसी आनी चाहिए थी। राना अयूब ने बार बार यही प्रमाणित करने का प्रयास किया कि हिन्दू ही केवल उन्ही ट्रोलिंग करते हैं, हिन्दू ही असहिष्णु हैं। मगर जिस प्रकार से उन्हें दीपावली मनाते हुए उनके ही कट्टरपंथी तत्वों ने कोसा है, इससे उन्हें समझ आ गया होगा कि वास्तव में असहिष्णुता किसे कहते हैं।
कट्टरपंथी तत्वों ने जहीर खान एवं पाकिस्तानी खिलाड़ी शहनवाज़ दहानी को भी नहीं छोड़ा
जहाँ एजेंडा और प्रोपोगैंडा पत्रकार राना अयूब को भी कट्टरपंथियों ने नहीं छोड़ा तो ऐसे में जहीर खान जैसे लोग तो उनके निशाने पर विशेष आने ही थे। क्रिकेटर जहीर खान ने दीपावली की अपनी तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि हमारी ओर से आप सभी को हैपी दिवाली! उसमें उन्होंने तिलक लगा रखा था। इस पर कट्टरपंथी भड़क गए और उन्होंने जहीर खान को जमकर कोसा!
एक यूजर ने लिखा कि एक मुस्लिम के रूप में आप यह त्यौहार नहीं मना सकते
जहीर खान को लेकर यह तक कहा गया कि भारत में रहने वाले मुस्लिमों को अपनी वफादारी दिखाने के लिए यह सब मजबूरी वश करना होता है। कहा गया कि इंडिया में रहने के लिए क्या कुछ करना पड़ता है
मगर ऐसे लोग उन सभी शुभकामनाओं पर चुप्पी साधते हैं, जो पाकिस्तान या बांग्लादेश में रहने वाले हिन्दू मुस्लिम त्योहारों पर देते हैं। यदि यही तर्क है तो क्या पाकिस्तान, बांग्लादेश या मुस्लिम देशों में हिन्दू विवशतावश बधाई देते हैं?
पाकिस्तान में हिन्दुओं को दीपावली भी नहीं मनाने दी जाती है, एक वीडियो में हिन्दू अपनी पीड़ा कैसे व्यक्त कर रहे हैं, वह देखिये, जब उन्हें दीवाली भी नहीं मनाने दी गयी, उन्हें बंधक बना लिया गया
इस वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे स्थानीय लोग हाथ जोड़कर केवल अपना पर्व मनाने का ही अनुरोध कर रहे हैं! तो ऐसे में पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिन्दुओं की क्या स्थिति है, इन घटनाओं से देखा जा सकता है। पाकिस्तान में तो पाकिस्तानी खिलाड़ी को ही दीवाली की शुभकामनाएँ देने पर कोसा गया।
शहनवाज़ दहानी ने दीवाली को लेकर शुभकामनाएँ दी तो उन्हें भी लानतें भेजी गईं।
ऐसे एक नहीं कई उदाहरण हैं, राना अयूब वाला मामला इसलिए अलग है क्योंकि राना अयूब का पूरा ध्यान हिन्दुओं को ही खलनायक बनाने और ठहराने में जाता है, इसलिए कट्टरपंथियों द्वारा उन्हें कोसा जाना विशेष है क्योंकि इससे यह प्रमाणित होता है कि इस्लामिस्ट कट्टरपंथी अपने लिए झूठा एजेंडा फ़ैलाने वालों को भी इतनी आजादी नहीं देते हैं कि वह तिलक लगा सकें, फिर बेचारे जहीर खान या फिर शहनवाज़ दहनी क्या चीज हैं? उनके लिए हिन्दुओं के प्रति घृणा ही सबसे बढ़कर है!