श्रद्धा की ह्त्या को लेकर जहां एक ओर आफताब का कट्टर चेहरा सामने आया है, और वह खतरनाक इसलिए है क्योंकि वह कई तरह की खोल के भीतर था, जैसे मानवतावादी, स्त्रीवादी अदि आदि! मगर आफताब ही अकेला नहीं है। मंगलूरू से एक और मामला सामने आया है, वह देखकर तो जैसे धोखे की एक और कहानी सामने आएगी और वह सब कुछ नष्ट ही कर जाएगी। कोई सोच भी नहीं सकेगा किसबसे महान माना जाने वाला काम करने वाली औरत भी ऐसा काम कर सकती है।
परन्तु कट्टर मानसिकता सब कुछ करा सकती है। मंगलुरु से एक घटना सामने आई है, जिसमें विख्यात महिला डॉक्टर डॉ जमीला को एक हिन्दू लड़की के धर्म परिवर्तन के आरोप में हिरासत में लिया गया है। कहानी वहीं से आरम्भ होती है, जहां से ऐसी हर कहानी होती है। कि लड़की केवल साधारण काम के लिए जिहादी युवक के पास जाती है, क्योंकि उसे नहीं पता होता कि वह जिहादी है। उसके दिल में कोई छल नहीं होता तो वह पहुँच जाती है।
यह कहानी है 20 वर्षीय पीड़िता शिवानी पुजारी (बदला हुआ नाम) की जो, मंगलुरु के न्यू फैंसी बाजार में काम करती थी। वह बिकर्णकत्ते कैकम्बा में किसी खलील की दुकान में मोबाइल रीचार्ज कराया करती थी। इस जिहादी ने किसी तरह उस युवा हिंदू लड़की से दोस्ती की और उससे कहा कि वह उसे और बेहतर नौकरी दिला सकता है। यह 2021 की शुरुआत में हुआ।
14 जनवरी, 2021 को खलील उसे मंगलुरु से 10 किमी दक्षिण में कल्लापु, उल्लाल में अपने रिश्तेदार के घर ले गया। वहां एक बार आरोपी ने शिवानी को नमाज पढ़ने और कुरान पढ़ने के लिए मजबूर किया। यहीं पर खलील ने कथित तौर पर युवा हिंदू लड़की का यौन शोषण किया था। बलात्कारी ने उसे बुर्का दिया और आयशा नाम स्वीकार कर इस्लाम कबूल करने के लिए दबाव डाला।
17 जनवरी, 2021 को निराश युवती घर चली गई लेकिन बदनामी के चलते इस घटना के बारे में घर में नहीं बताया। द न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने बताया कि उसे आठ महीने के लिए दबदबे वाले येनेपोया परिवार के घर में नौकरी मिली। यह येनेपोया अब्दुल्ला कुन्ही से संबंधित एक विशाल समूह का हिस्सा है, जो एक मेडिकल कॉलेज, कई व्यवसायों और इस्लामी संगठनों का मालिक है। वह जिला वक्फ बोर्ड में भी रहे हैं और कई वर्षों तक अध्यक्ष रहे।
यहीं शिवानी की मुलाकात सैनाज़ नाम की एक मुस्लिम महिला से हुई, जो उसी येनेपोया बंगले में काम करती थी। सैनाज ने पीड़िता से कहा कि वह उसके साथ कासरगोड चले और उसे वहां पर बेहतर नौकरी मिलेगी। संयोग से, कुन्ही भी मूल रूप से कासरगोड की रहने वाली हैं। येनेपोया अस्पताल ग्रुप्स में पहले भी केरल की महिला रोगी के यौन शोषण की ख़बरें आई थीं। वहीं और भी विवाद भी रहे हैं।
शिवानी मंगलुरु से 50 किमी दक्षिण में केरल के कासरगोड में डॉ। जमीला और उनके पति डॉ। सैय्यद के निजी आवास में चली गईं। जमीला एक प्रसिद्ध प्रसूति रोग विशेषज्ञ हैं जो मंगलुरु में प्रैक्टिस करती हैं। यह नहीं पता है कि क्या जमीला मंगलुरु में कुन्ही के अस्पतालों एवं मेडिकल कॉलेज में काम करती हैं या नहीं! कुन्ही का काफी बड़ा व्यापार है, जिसमें टिम्बर, पेंट, रियल एस्टेट आदि हैं
शिवानी ने कहा कि शुरुआत में जमीला ने उसे खाना बनाने और सफाई के लिए कहा। बाद में उस पर खुद को आयशा के रूप में पेश करने, बुर्का पहनने और मुस्लिम की तरह रहने का दबाव डाला गया। शिवानी को मानसिक रूप से धक्का लगा और इसी कारण उसने नौकरी से इस्तीफा दे दिया और इस साल अक्टूबर में अपने घर मंगलुरु लौट आई। धर्मांतरण माफिया अपने जाल में शिकार को पकड़ते हैं, जाने नहीं देते हैं। अभी शिवानी पर और भी कहर टूटने थे
19 वर्षीय हिंदू पीड़िता का कष्ट यहीं खत्म नहीं हुआ। ऐमन नाम के एक अन्य जिहादी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम का उपयोग करके उसे परेशान करना शुरू कर दिया। ऐमन मंगलुरु से 200 किमी उत्तर पूर्व में भद्रावती की ऊंची पहाड़ियों में रहता था। शिवानी को जबरन भद्रावती ले जाया गया और जहाँ पर आरोप है कि उसे ऐमन के साथ सोने के लिए मजबूर किया गया। इस पूरी घटना के पीछे मोबाइल दुकान के मालिक खलील और उसके रिश्तेदारों का हाथ होने का संदेह है। यह बिलकुल भी नहीं पता है कि क्या यह लोग और भी लड़कियों के साथ ऐसी घटना में संलग्न थे!
इसके बाद निराश पीड़िता और उसकी मां ने विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के कार्यकर्ताओं से संपर्क किया, जो अंततः पीड़िता को पुलिस के पास ले गए। मां की शिकायत के आधार पर, मंगलुरु के पांडेश्वर महिला पुलिस स्टेशन ने कर्नाटक धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार संरक्षण अध्यादेश 2022 की धारा 3 और 5 के साथ-साथ धारा 354 (हमला), 354 (ए) (यौन उत्पीड़न) और आईपीसी की धारा 506 (आपराधिक धमकी) के अंतर्गत मामले दर्ज किए। ।
खलील (आरोपी 1), जमीला (ए2), और ऐमन (ए3) के अलावा, एफआईआर में चौथे आरोपी के रूप में ‘अन्य’ का भी उल्लेख है।
चूंकि कर्नाटक में जबरन धर्मांतरण को लेकर अध्यादेश है, क़ानून है, तो जबरन धर्मान्तरण कराने वाले लोग केरल में धर्मांतरण के लिए ले जाते हैं क्योंकि वहां पर ऐसा कोई क़ानून नहीं है!
यह दो मामले ऐसे हैं, जो यह बताते हैं कि चाहे मानवतावादी होने का चेहरा लगाए हुए आफताब हो या फिर डॉ जमीला, उनके भीतर किसी भी अनपढ़ मुस्लिम से अधिक कट्टरता है और यह बहुत ही अधिक घातक है!