हिजाब को लेकर कट्टरपंथी जूनून इस हद तक हावी हो गया है कि अब वह इसके लिए किसी भी सीमा तक जाने के लिए तैयार है। पश्चिम बंगाल में ऐसी ही एक हैरान करने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक छात्रा का हिजाब सरकने पर मजहबी कट्टर तत्वों ने शिक्षिका को निर्वस्त्र करके पीट डाला!
यह घटना इसलिए भी और चिंतित करने वाली है क्योंकि स्कूल में हिजाब को लेकर आन्दोलन भी चलाए जा रहे हैं। अभी देश इस्लामी कट्टपंथी घटनाओं से रोज ही दो चार हो रहा है, कर्नाटक से हिजाब को लेकर जो आन्दोलन आरम्भ हुआ था, वह अब वीभत्स रूप लेता जा रहा है। वह हिन्दुओं के लिए घातक होता जा रहा है। पड़ोसी देशों में ही हिन्दू इस घृणा के शिकार नहीं हो रहे हैं, बल्कि पश्चिम बंगाल में तो स्थिति और भी बुरी होती जा रही है।
यह घटना 21 जुलाई 2022 को हुई थी, दक्षिण दिन्जापुर के त्रिमोहिनी प्रताप चन्द्र हाई सेकंडरी स्कूल में पढ़ाने वाली एक शिक्षिका ने एक छात्रा को डांट दिया और मीडिया के अनुसार चूंकि जरनातुन खातून क्लास में बैठे रहने के स्थान पर स्कूल परिसर में घूम रही थी तो इसी बात पर चैताली चाकी ने खातून का कान पकड़ा और डांट दिया। इस पर छात्रा ने कहा कि टीचर ने उसकी पीठ पर तमाचा मारा इससे हिजाब सिर से जीचे फिसल गया और जब उसने इस बात को घर पर बताय तो उसके अब्बा-अम्मी भड़क गए।
और इसी बात को लेकर दो सौ से अधिक लोग शिक्षिका पर हमला करने पहुँच गए।
इस मामले में पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की है और चार लोगों को हिरासत में लिया गया है
इस घटना में सबसे महत्वपूर्ण बात है हिजाब और उसे लेकर कट्टरता। इसी कट्टरता से बचने के लिए स्कूल में हिजाब पर रोक है। परन्तु कथित सेक्युलरिज्म की राजनीति करने वाले दल इसे समझते हुए भी अनजान हैं और वह स्कूलों में इस कट्टरता को कहीं न कहीं बढ़ावा दे रहे हैं।
स्कूल की ओर से भी इस मामले में कहीं न कहीं लापरवाही की गई और घटना के एक दिन के बाद शुक्रवार (22 जुलाई 2022) को स्कूल के प्रधानाध्यापक ने यह दावा किया था कि दोनों ही पक्षों के साथ बैठक के बाद मामला सुलझ गया है, परन्तु यह दावा झूठा था।
इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद से ही लोगों में आक्रोश भर गया है:
इस वीडियो में देखा जा सकता है कि कई अभिभावक जालीदार टोपी लगाए हुए हैं।
बाद में प्रधानाध्यापक कमल जैन ने भी फिरदौस मंडल, अफ्रुजा मंडल, जाकिर हुसैन, मसुदा खातून के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई और उचित दंडात्मक कार्यवाही की मांग की
इस घटना के बाद से ही विरोध में कई लोग उतर आए हैं और विरोध कर रहे हैं।
इस जघन्य घटना पर लेखक एवं प्रगतिशील सहित फेमिनिस्ट एकदम मौन हैं!
यह अत्यंत चिंतित करने वाली बात है कि जहाँ एक ओर हिजाब को लेकर कट्टरपंथ को लेखक, कथित प्रगतिशील एवं फेमिनिस्ट वर्ग अत्यंत कोमल था और उसे लगातार प्रोत्साहन दे रहा था तो वहीं दूसरी ओर जब इस कट्टरपंथ का निशाना एक महिला शिक्षक हुई है, तो वह मौन हैं? यह उन्हीं की लगाई आग है जिसमें आज चैताली चाकी का आदर जला है।
चैताली चाकी को सरे आम निर्वस्त्र कर दिया जाता है और इस देश के कथित प्रबुद्ध महिला वर्ग की ओर से एक शब्द तक नहीं फूटता है! यह किस हद तक जिहादी तत्वों की गुलाम हो गयी हैं ये लेखिकाएँ! इस घटना के विरोध में शायद ही कोई कविता लिखी गयी हो, जबकि हिजाब का समर्थन करने के लिए और हिजाब के बहाने इस्लामी कट्टरपंथ का प्रचार करने के लिए शब्दों की कोई कमी नहीं हो पा रही थी। यह अत्यधिक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है। शिक्षिका की इस स्थिति पर आंसू बहाने के लिए लेखकों के पास शब्दों का अकाल पड़ गया है। उनकी कलम में स्याही तभी आती है, या शब्द स्वत: तभी फूटते हैं, जब हिजाब के बहाने मुस्लिम कट्टरपंथ फैलाना हो!
जब उन्हें जिहादी तत्वों का साथ देना हो!
शनिवार 23 जुलाई को हुआ इस घटना के विरोध में प्रदर्शन
जैसे ही यह घटना वायरल हुई वैसे ही लोगों का आक्रोश इस घटना को लेकर फूट पड़ा। क्षेत्र के आम छात्र भी इस घटना के विरोध में उतर आए और उन्होंने भी बाद में इस घटना के विरोध में अपना विरोध प्रदर्शन किया, छात्रों के साथ उनके अभिभावक भी इस घटना के विरोध में सड़कों पर उतरे!
परन्तु सोशल मीडिया पर जिन्हें उतरना चाहिए, वह कहीं न कहीं विरोध में नहीं उतरे हैं, जिन्होनें हिजाब को लेकर एक उन्मादी माहौल उत्पन्न किया, जिन्होनें जिहाद के तनिक भी हटने को ऐसा मामला बनाया कि जिसके कारण मुस्लिमों के साथ अन्याय हो रहा है और जिसके कारण मुस्लिम अपने मूल अधिकार से वंचित हो रहे हैं।
भारतीय जनता पार्टी ने भी इस जघन्य घटना का विरोध किया है, मीडिया के अनुसार
“इस मामले में बीजेपी सांसद सुकांत मजूमदार ने कहा, ”मैं भी शिक्षक था. कई छात्रों को डांटा भी है. शिक्षिका ने एक छात्रा को डांट दिया तो नतीजा यह हुआ कि उसके परिवार सहित अन्य दो सौ लोगों ने स्कूल पर हमला कर दिया. मुझे आश्चर्य है कि स्कूल के प्रधानाध्यापक ने प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई.” दीदीमोनी पुलिस की मामला दर्ज करने की हिम्मत नहीं हुई. अगले दिन जब स्थानीय लोगों ने विरोध किया और सड़क जाम कर दी तो पुलिस ने 35 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की.”
पर विद्यालयों में हिजाब को लेकर इस प्रकार का विषैला और मजहबी वातावरण बनाने वाले आज मौन हैं और आज उन विषैले बौद्धिक तत्वों के चलते हर विद्यालय में शिक्षक भयभीत हैं क्योंकि उन्हें पता है कि इन जिहादी और कट्टरपंथी तत्वों का साथ देने वाले तो बौद्धिक लोग हैं, उनके लिए कविताएँ लिखने वाली तो फेमिनिस्ट हैं, शिक्षकों के लिए कौन हैं?
कट्टरपंथी इस्लाम का विष विद्यालयों में फैलाने वाले कुबुद्धिजीवी जिहादी हिन्दी लेखक एवं लेखिकाएं इन शिक्षकों के पक्ष में नहीं आएँगे, कभी नहीं आएँगे!
A shameful act! If Govt. fails to take stern action, then total system will collapse under the spate of Islamic violence.