ऐसा लग रहा है जैसे हिन्दू लड़कियों को पहले फैशन की ओर धकेलने के बाद अब उन्हें बिलकुल ही जड़ों से काटने का कार्य किया जा रहा है। हाल ही में दो घटनाएं सामने आई हैं, जो बहुत गंभीर है, और जिन पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। पहली घटना है 15 सितम्बर को प्रकाश में आई यह घटना कि कुछ दिन पहले “ट्रेंडी” बुर्के में महिलाएं, जो बहुत ही फैशनेबल धूप के चश्मे अपनी आँखों पर लगाई हुई थीं, वह अचानक से ही कोलकता के प्रख्यात स्कूल में तब लड़कियों के सामने जाकर खड़ी हो गईं, जब बच्चियों की छुट्टी हो रही थी और वह अपने घर की ओर जा रही थीं।
जब वह घर जाने के लिए स्कूल बस और अपने अभिभावकों की प्रतीक्षा कर रही थीं, तभी ये औरतें वहां आईं और उन्हें मॉडलिंग असाइंमेंट देने की बात करने लगीं। वहीं इस घटना के बाद पुलिस ने छानबीन की और पुलिस ने यह कहते हुए क्लीन चिट दे दी कि वह फैशन शो के लिए प्रतिभाओं की खोज में आई थीं।
फिर भी इस बात का कोई भी स्पष्टीकरण नहीं दिया गया कि आखिर क्यों यह औरतें मजहबी पोशाक में आई थीं। अब इस बात को लेकर जांच शुरू करने के लिए एक पीआईएल दायर की गयी है। याचिकाकर्ता विजय कुमार सिंघल हैं, जो पेशे से एक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं और वकील हैं। इसके साथ ही वह सामाजिक कार्यकर्त्ता भी हैं।
उन्होंने अपनी याचिका में कहा है कि पुलिस द्वारा इतने गंभीर अपराध को क्लीन चिट दिए जाने के कारण वह न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए बाध्य हुए हैं। उनके अनुसार इन औरतों ने कई क़ानून तोड़े हैं और इसके साथ ही बच्चों के नाम और पैसे के बदले अपहरण का भी खतरा था। और जिन बच्चों से संपर्क किया गया, उनमें से एक तो मात्र आठ ही वर्ष की बच्ची थी।
याचिका दायर करने के बाद एदुजी, जिन्होनें विजय सिंघल की ओर से याचिका दायर की है, ने कहा कि
“पुलिस ऐसे लोगों को क्लीन चिट कैसे दे सकती है जिन्होंने कई कानूनों का उल्लंघन किया है? माता-पिता की सहमति के बिना नाबालिग के पास जाना अपहरण के प्रयास के बराबर है। माता-पिता की सहमति के बिना नाबालिगों को अभिनय या मॉडलिंग जैसी गतिविधियों के लिए नहीं लगाया जा सकता है।
“यहां तक कि अगर नाबालिगों के साथ एक कार्यक्रम की योजना बनाई गई है, तो माता-पिता से सहमति सहित सभी विवरण जमा करने के बाद जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होगी। ऐसे सभी कानूनों की धज्जियां उड़ाई गईं लेकिन पुलिस ने आरोपी को क्लीन चिट दे दी। हम गहन जांच की मांग करते हैं। हम यह भी जानना चाहेंगे कि ये महिलाएं कौन थीं और वे अपनी पहचान क्यों छुपा रही थीं।”
पहले भी ऐसी हिन्दू लड़कियों को हिजाब की ओर आकर्षित करने के प्रयास हुए हैं?
पाठकों को स्मरण होगा कि कैसे हिजाब को लेकर भी हिन्दू लड़कियों को हिजाब पहनाना सिखाने को लेकर महाराष्ट्र में नागपुर में भी हंगामा हुआ था
कोलकता में ऐसा कुछ नहीं हुआ था, मगर बुर्का पहनने वाली औरतें बच्चियों को बहकाने के लिए आई थीं। यह देखना होगा कि न्यायालय इस पर क्या निर्णय लेते हैं।
रायपुर में मंदिर में फैशन शो
वहीं छत्तीसगढ़ में रायपुर से भी एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिससे फैशन और बुर्के का फिर से कनेक्शन दिखाई देता है। यहाँ पर हिन्दुओं के एक मंदिर में फैशन शो का आयोजन किया जा रहा था। हिन्दू मंदिर में बुर्का पहले हुए भी औरत दिखाई दे रही है, जो बजरंग दल के लोगों के सामने हाथ जोड़ रही है
परन्तु सबसे बड़ा प्रश्न यह है कि मंदिरों में, स्कूलों के बाहर फैशन के नाम पर ये बुर्के वाली औरतें क्या कर रही होती हैं?
मीडिया के अनुसार इस कार्यक्रम के आयोजकों में कोई आरिफ नाम का व्यक्ति भी शामिल है! अन्य आयोजक मनीष सोनी है!। इस सिद्ध मंदिर में एफडीसीए नाम की कम्पनी ने इस फैशन शो का आयोजन किया था। इस आयोजन में भारतीय एवं पश्चिमी परिधानों को पहनकर लडकियां फैशन शो कर रही थीं। जैसे ही बजरंग दल के लोगों को इस आयोजन की सूचना मिली वैसे ही वह लोग वहां पहुंचे एवं हंगामा किया।
इस हंगामे के बाद कार्यक्रम रद्द कर दिया गया।
और मामले की शिकायत दर्ज कर दी गयी है।
मंदिर परिसर में फैशन शो की अनुमति क्यों?
यह भी प्रश्न बार बार उठ रहा है कि आखिर मंदिर में फैशन शो का आयोजन क्यों किया गया एवं आरिफ तथा बुर्के वाली महिला का मंदिर में प्रवेश? और वह भी दर्शन के लिए नहीं बल्कि फैशन शो और अश्लीलता के लिए? प्रश्न यहाँ पर मंदिर प्रशासन पर भी हैं कि कैसे किसी ऐसे आयोजन के लिए मंदिर का हॉल दिया जा सकता है, जिसका भक्ति से दूर दूर तक कोई सम्बन्ध नहीं है?
यह अत्यंत ही क्षोभ में भरने वाली स्थिति है क्योंकि फैशन के बहाने अब खुलकर मजहबी खेल जैसा हो रहा है, मंदिर का स्वरुप ही जैसे बदला जा रहा है, और वहीं बुर्का पहने औरतें छोटी छोटी बच्चियों को जाल में फांस ने का प्रयास कर रही हैं?