दिल्ली से सटे गाज़ियाबाद में लोनी में हुई बुजुर्ग के साथ घटना में सत्य सामने आने के बाद भी हिन्दू-मुसलमान बनाने का खेल जारी है। हालांकि उत्तर प्रदेश पुलिस ने ट्विटर सहित ग्यारह लोगों पर एफआईआर दर्ज कर ली हैं। ट्विटर पर तो इस लिए दर्ज की गयी क्योंकि उसने लोनी से सम्बंधित झूठी खबर को मैनुपुलेटेड ट्वीट में नहीं रखा।
हम सभी को याद होगा कि कैसे कांग्रेस की टूलकिट वाले मामले में ट्विटर ने आगे बढ़कर भाजपा के नेताओं के ट्वीट को मैनुपुलेटेड ट्वीट का तमगा दे दिया था। जबकि इस मामले में जो सच्चाई अब सामने आई है, वह पूरी तरह से हिन्दुओं को बदनाम करने और दंगे फैलाने की मंशा को उजागर करती है। सबसे पहले तो प्रश्न यही उठता है कि क्या वह लोग जो एकदम से हिन्दुओं को बदनाम करने लगते हैं, वह तथ्यों की जांच करते हैं या नहीं? यदि नहीं तो क्या किसी भी वीडियो को शेयर करने से पहले जांचना उनकी जिम्मेदारी नहीं है?
न ही यह पहला मामला है जिसमें इनका झूठ पकड़ा गया है और न ही यह अंतिम होगा क्योंकि उत्तर प्रदेश में चुनाव आ गए हैं तो इनकी पूरी कोशिश होगी कि कुछ न कुछ ऐसा किया जाए कि उत्तर प्रदेश में दंगे भड़कें! और यह टूलकिट हर जगह हिन्दुओं के खिलाफ सक्रिय हो जाती है। हिन्दुओं पर इस प्रकार से सोशल मीडिया पर संगठित हमला कठुआ कांड के साथ आरम्भ हुआ था। उसका भी मोडस ओपेरेंडी इसी प्रकार था। कि पहले एफआईआर दर्ज हो गयी और फिर उसके कुछ दिनों के बाद एकदम से सोशल मीडिया पर हिन्दुओं के खिलाफ पोस्ट की बाढ़ आ गयी। मंदिरों को निशाना बनाया जाने लगा।
हिन्दुओं के लड़कों को मुस्लिम लड़कियों का बलात्कारी घोषित कर दिया, इतना ही नहीं जब जम्मू में हिन्दुओं ने इस विषय में सीबीआई जांच की मांग के लिए प्रदर्शन किया तो इस फेक न्यूज़ फैक्ट्री ने उसे आरोपितों के पक्ष में किया गया प्रदर्शन बता दिया।
ऐसे ही सीएए का विरोध करते हुए कैसे तीन कट्टरपंथी मुस्लिम लड़कियों को लाखों लोगों का नायक बनाने का घृणित कार्य इन फेक न्यूज़ फैक्ट्री ने किया था। कैसे लादीखा जैसी कट्टरपंथी लड़की, जिसका उद्देश्य भारत में आईएसआईएस जैसे समूह शुरू करने का था, उसे बरखा दत्त जैसों ने नायिका बनाकर पेश कर दिया था। यह लोग बिलकुल भी यह नहीं बता पाए थे कि आखिर नागरिकता संशोधन क़ानून से उन्हें समस्या क्या है?
Ladeeda Farzana's views are viral on Facebook. She wants to start ISIS like group in India as per her posts. She declared herself as a hardcore islamist & not secular. She has derided those who put on liberal mask & ask her not to chant Koranic verses.
Bharka Dutt supports her https://t.co/B5JyULGL6g
— ಶರಣ DR JAGADISH J HIREMATH (@Kaalateetham) December 16, 2019
कैसे इसी फेक न्यूज़ फैक्ट्री ने फक हिंदुत्व कहने वालों को नायक बना दिया था और कैसे शरजील इमाम की भड़काऊ बातों को एक झूठे नायकत्व और बाद में मजहब के आधार पर बेचारगी के रूप में दबा दिया था. क्या इन सभी पर कार्यवाही नहीं होनी चाहिए थी?
शरजील उस्मानी का वह ट्वीट भी पाठकों को याद होगा जिसमें उसने जय श्री राम को आतंक का पर्याय बताने का असफल प्रयास किया था:
Hindu population must acknowledge that their religious slogan has become a war cry and act to reclaim it from those who’ve been using it for violence and terrorism. It is them and only them who have to do it.
Important & timely piece by @AfreenFatima136.https://t.co/t01bMGKpLV
— Sharjeel Usmani (@SharjeelUsmani) May 22, 2021
ऐसे ही कल एक घटना के आधार पर एक ऐसे बुजुर्ग को बेचारगी का नायक बनाने की कोशिश हुई, जो पुलिस के अनुसार हुई ही नहीं थी और जिसमें मारने वाले भी उन्हीं के समुदाय के थे। कहानी कुछ और थी, और उसे दस दिनों के बाद एकदम अलग रूप में प्रस्तुत किया गया।
- कहानी शुरू हुई 5 जून को, जब ताबीज बना कर देने वाले अब्दुल समद की पिटाई कुछ लोगों ने कर दी। उसने 6 जून को एफआईआर दर्ज कराई। मगर उसमें जय श्री राम जबरन कहाने वाला कोई भी दृश्य नहीं था।
- फिर वह शांत होकर बैठ गया। पुलिस के अनुसार उन्होंने एक आरोपी को गिरफ्तार किया। और अब्दुल समद को भी बुलाया, पर वह नहीं आया।
- और अचानक से परसों वह वीडियो इस दावे के साथ अपलोड हुआ कि उसे जय श्री राम बोलने पर मजबूर किया गया और इस घटना को साम्प्रदायिक रंग दे दिया गया।
- जबकि पुलिस की बात मानें तो इसमें आरोपियों में मुस्लिम भी हैं। उसमें परवेश गुज्जर, कल्लू, पोली, आरिफ, आदिल, और मुशाहिद शामिल हैं। तो एक बात तो स्पष्ट है कि आरिफ, आदिल, और मुशाहिद तो कम से कम जय श्री राम नहीं कहेंगे, तो यह भी स्पष्ट है कि अब्दुल समद इस वीडियो में इस्लामी प्रोपोगैंडा करने वालों के कारण कहीं झूठ तो नहीं कह रहा? क्योंकि यदि ऐसा नहीं था तो यह इस बात को पहले एफआईआर में क्यों नहीं बताया?
- पीड़ित अब्दुल समद क्या निर्दोष है? नहीं! क्या उसकी पिटाई मुस्लिम होने के नाते हुई? नहीं उसकी पिटाई इसलिए हुई क्योंकि उसके ताबीज ने उलटा असर कर दिया था!
- अब प्रश्न यह उठता है कि क्या वह तमाम समस्याओं के आसमानी समाधान के लिए आसमानी ताबीज़ दे सकता है? नहीं! चूंकि वह समस्याओं के हल के लिए आसमानी ताबीज देता था तो उसे ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (ओब्जेक्शनल एडवर्टाइज्मेंट) अधिनियम 1954 के अंतर्गत झूठा इलाज बेचने के लिए बुक किया जाना चाहिए।
इनके समर्थन में जितने भी फेक फैक्ट्री वाले उतरे उन्होंने पहले भी कई अपराधियों को बेचारगी का नायक बनादिया था।
इस बार तो उत्तर प्रदेश पुलिस की तत्परता के कारण यह फेक गुब्बारा जल्दी फूट गया, और चूंकि ट्विटर ने अभी तक आईटी अधिनियमों का पालन नहीं किया है तो अब उस पर से तीसरे पक्ष वाली सुरक्षा का अधिकार छिन गया है और अब उस पर सीधी कार्यवाही की जा सकती है।
After failing to comply with guidelines even after extra time, #Twitter loses legal immunity in India .
FIR filed in UP for hosting false & inflammatory content.
This is just the beginning…https://t.co/kvyjx7AYvM— Smita Barooah (@smitabarooah) June 16, 2021
यही कारण है कि अब ट्विटर पर उत्तर प्रदेश सरकार ने एफआईआर दर्ज की है। ट्विटर ने नई आईटी कानूनों के अनुपालन में अभी किसी भी कानूनी अधिकारी की नियुक्ति कंपनी के रोल पर नहीं की है। इसलिए अब किसी भी भड़काने वाली पोस्ट के आधार पर ट्विटर सीधे उत्तरदायी होगा। ट्विटर के अधिकारी जिनमें देश के मैनेजिंग डायरेक्टर भी शामिल है, अब वह प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किए गए किसी भी भड़काऊ और गैर कानूनी ट्वीट के लिए सीधे उत्तरदायी होंगे और अब उन पर आईपीसी की आपराधिक धाराओं के अंतर्गत मुकदमा चल सकता है और पुलिस पूछताछ कर सकती है।
हालांकि इस मामले पर पुलिस द्वारा सच्चाई बताने के बाद भी कांग्रेस के नेता राहुल गांधी झूठ फैलाते हुए नज़र आए, जिस पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें उत्तर दिया:
प्रभु श्री राम की पहली सीख है-"सत्य बोलना" जो आपने कभी जीवन में किया नहीं।
शर्म आनी चाहिए कि पुलिस द्वारा सच्चाई बताने के बाद भी आप समाज में जहर फैलाने में लगे हैं।
सत्ता के लालच में मानवता को शर्मसार कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश की जनता को अपमानित करना, उन्हें बदनाम करना छोड़ दें। pic.twitter.com/FOn0SJLVqP
— Yogi Adityanath (@myogiadityanath) June 15, 2021
ट्विटर के साथ ही उत्तर प्रदेश पुलिस ने द वायर, राणा अयूब, मोहम्मद जुबैर, समा मोहम्मद, सबा नकवी, मसकूर उस्मानी, सलमान निजामी आदि के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गयी है।
पुलिस ने एफआईआर में कहा है कि इन सभी ने मामले से जुड़े तथ्यों की जांच नहीं की और इस घटना को साम्प्रदायिक रंग दिया।
हालांकि हिन्दुओं को बदनाम करने के लिए यह फेक यूज़ फैक्ट्री विफल हुई है, फिर भी यह देखना होगा कि इन सभी फेक न्यूज़ फैलाने वालों पर क्या कार्यवाही होती है।
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