इन दिनों जनता बॉलीवुड के काले कारनामे अपनी आँखों से देख रही है। वह देख रही है कि कैसे एक नशेडी को बचाने के लिए और उसे मासूम ठहराने के लिए सारा बॉलीवुड एक हो गया है। जनता हैरानी से देख रही है कि अपनी फिल्मों में मूल्यों का पाखंड रचने वाला बॉलीवुड असल में कितना काला और जहरीला है। वह देख रही है कि एक आम परिवार का सुशांत सिंह राजपूत किस प्रकार मारा गया था और उस मामले में बॉलीवुड में कौन कौन बोला था।
आम जनता यह देखकर हैरान है कि कैसे एक बाहरी सुशांत सिंह राजपूत को उसकी मृत्यु के उपरान्त नशेड़ी साबित कर दिया गया था और उसकी मृत्यु के लिए उसे ही दोषी उस बॉलीवुड ने ठहरा दिया था, जहां पर वह हजारों सपने लेकर गया था। और आज जब शाहरुख खान का बेटा वास्तव में पकड़ा गया है और वास्तव में ही उसके पास से ड्रग्स मिले हैं, उसके पास से ऐसे सबूत मिले हैं, कि प्रयासों के बावजूद उसकी जमानत नहीं हो पाई है तो वही बॉलीवुड शाहरुख़ खान के पक्ष में जाकर खड़ा हो गया है।
यह वही बॉलीवुड है, जो हिन्दू आस्थाओं पर प्रहार करने का कोई मौक़ा नहीं छोड़ता है और यह वही बॉलीवुड है जो हिन्दू स्त्रियों को सेक्स के लिए कुंठित घोषित करता है, यह वही बॉलीवुड है, जो लव जिहाद के लिए एक जमीन तैयार करता है और यह वही बॉलीवुड है जो आम लोगों में हिन्दुओं के प्रति एक घृणा भरता है।
आज वही बॉलीवुड खड़ा हो गया है आर्यन खान के साथ, या कहें शाहरुख खान के बेटे के साथ। उसे आम गलती बताया जा रहा है, बिलकुल वैसे ही जैसे कहा गया था कि “लड़कों से गलतियाँ हो ही जाती हैं!”
मगर अब आम जनता जान गयी है कि इन लोगों की असलियत क्या है और अब जनता उन उत्पाद निर्माताओं या बेचने वालों से प्रश्न करती है कि हम इनके द्वारा प्रमोट किए जा रहे उत्पाद क्यों खरीदें? आखिर क्या आवश्यकता है इनके चेहरे की?
जनता ने प्रश्न करना आरम्भ कर दिए थे कि आखिर एक गुटखे का प्रचार करने वाला और वह कलाकार जिसका बेटा ड्रग्स लेता हुआ पकड़ा जाए, वह बच्चों की पढ़ाई वाले एप का प्रचार कैसे कर सकता है? जो व्यक्ति अपने बेटे में पढ़ाई के संस्कार नहीं डाल सका, वह हमारे बच्चों को कैसे प्रेरित कर सकता है?
शाहरुख खान इन दिनों बच्चों को शिक्षा देने वाले प्लेटफॉर्म बीवाईजेयू के ब्रांड अम्बेसडर हैं और लगभग हर जगह उनका चेहरा इस ब्रांड के साथ दिखाई देता है। मगर जब से शाहरुख खान का बेटा आर्यन खान ड्रग्स के चक्कर में फंसा है, तब से जनता प्रश्न उठा रही है। लोगों ने प्रश्न किया कि आखिर वह कैसे अभी तक ब्रांड अम्बेसडर है?
एक और प्रश्न खड़ा होता है कि आखिर शैक्षणिक प्लेटफॉर्म को अपने उत्पाद बेचने के लिए केवल फ़िल्मी कलाकार ही क्यों मिलते हैं और वह भी वह फ़िल्मी कलाकार, जिनकी न ही अपनी कोई शैक्षणिक पहचान है और न ही समझ! जिनके दिल में हिन्दू धर्म को लेकर एक द्वेष है और जिनके पास ज्ञान नहीं है, अर्थात किसी भी प्रकार का ज्ञान नहीं। जिनके पास मुद्दों की समझ नहीं है और जो देश के एक ही विचार की सरकार के पक्षधर हैं।
जो कलाकार देश की चुनी हुई सरकार के विरोध में अविश्वास व्यक्त करते हुए पूरे हिन्दू समाज को कठघरे में खड़ा करता है, और वह भी उस हिन्दू समाज को जो बीवाईजेयू का सबसे बड़ा ग्राहक समूह होगा, उस कलाकार को कोई भी शैक्षणिक प्लेटफॉर्म कैसे अपना ब्रांड अम्बेसडर बना सकता है?
परन्तु भारत में सब कुछ संभव है। क्योंकि यहाँ पर सब कुछ चलता है की प्रवृत्ति के साथ साथ मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति तो है ही। पर अब जनता समझने लगी है, इसीलिए प्रश्न करने लगी है। यही कारण है कि आज इस सफ़ेद नशे के नशेड़ी बॉलीवुड के कथित शहंशाह को जनता के आक्रोश को देखते हुए बीवाईजेयू ने एक छोटा सा झटका दिया।
रिपोर्ट के अनुसार उसने शाहरुख खान के विज्ञापनों पर अस्थाई रोक लगा दी है। हालांकि अभी आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है, परन्तु एएनआई के विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार बीवाईजेयू’ज ने सोशल मीडिया पर यूजर्स की शिकायतों के बाद शाहरुख खान को दिखाने वाले सभी विज्ञापनों पर अस्थाई रोक लगा दी है।
इसी के साथ जनता भी इन्हें स्वाद चखा रही है, तभी उनकी फिल्मों का पिटना जारी है, केबीसी की रेटिंग लगातार गिर रही है और ओटीटी पर वह कलाकार भी फेल हो रहे हैं, जो अब तक एक रटे रटाए फोर्मुले पर फिल्में बनाकर सुपरहिट करते थे, और जाहिर है उनमें हिन्दू द्वेष तो प्रथम शर्त है ही।