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Thursday, April 25, 2024

दिल्ली में दलित बच्ची की माँ की तस्वीर पर क्या राहुल गांधी ने ट्विटर से झूठ बोला?

दिल्ली में दलित बच्ची के साथ हुए बलात्कार के मामले में राहुल गांधी के ट्विटर लॉक और फिर अनलॉक होने के मामले में नया खुलासा हुआ है। अब उस बच्ची की माँ का टाइम्स नाउ नवभारत पर एक वीडियो आया है जिसमें वह कह रही हैं कि ट्विटर पर तस्वीर साझा करने को लेकर उनसे कोई इजाजत नहीं ली गयी थी।

पीड़िता की माँ ने साफ़ कहा कि उन्हें नहीं पता था कि उनकी तस्वीर को ट्विटर पर प्रयोग किया जाएगा, इसके लिए उन्होंने कोई सहमति पत्र नहीं दिया था। जबकि कुछ ही दिन पहले राहुल गांधी का ट्विटर अकाउंट केवल इसी कारण अनलॉक हुआ था क्योंकि उन्होंने यह कहा था कि दिल्ली में पीड़ित दलित लड़की की माँ की तस्वीर ट्विटर पर साझा करने पर लड़की की माँ को कोई आपत्ति नहीं है। और एक सहमति पत्र जमा किया था।

क्या था मामला:

दिल्ली में पिछले दिनों एक दलित बच्ची की एक शमशान घाट में रहस्यमय स्थितियों में मृत्यु हो गयी थी और जब उसका अंतिम संस्कार किया जा रहा था तो लोगों को संदेह हुआ और फिर लोगों ने पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी और पुलिस ने जलती चिता से लड़की का शव निकलवा कर पोस्ट मार्टम के लिए भेजा था।

हालांकि शमशान घाट के संचालकों का यह कहना था कि बच्ची की मृत्यु करेंट लगने से हुई है। और अभी जाँच जारी है, हालांकि बच्ची के परिवार वालों ने अब न्यायालय का रुख किया है।

इस मामले पर पर्याप्त राजनीति हुई थी और जैसे ही शमशान घाट और पुजारी का उल्लेख आया था, वैसे ही मीडिया का एक वर्ग और राजनेता जातिगत रोटियाँ सेंकने के लिए पहुँच गए।  बार बार पुजारी को लेकर ही उनकी सुई अटक गयी थी।

पुजारी के कारण उनके कई एजेंडे सध रहे थे, जिसमें ब्राह्मणों को गाली देना भी शामिल था। धर्म के ठेकेदार कुछ कह नहीं रहे, ऐसा भी प्रोपोगैंडा चालू था। राहुल गांधी भी वहां गए थे उन्होंने उस बच्ची की माँ के साथ तस्वीर खिंचवाई थी और इतना ही नहीं उस तस्वीर को ट्विटर पर साझा भी किया था।

इस बात पर उनका विरोध हुआ था, क्योंकि कानूनन यह अपराध है पॉक्सो अर्थात (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल आफेंस) किसी भी व्यक्ति को किसी नाबालिग बलात्कार पीड़िता और उसके मातापिता की तस्वीर को साझा करने से प्रतिबंधित करता है और इस कारण उनका ट्विटर खाता लॉक कर दिया गया था। हालांकि कांग्रेस ने इस मामले में अपनी गलती मानने के स्थान पर सरकार पर ही तानाशाही का आरोप लगाया था। ट्विटर पर राहुल गांधी के पक्ष में अभियान चलाए गए थे और बार बार सरकार को ही कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की गयी थी।

फिर बाद में यह कहा गया कि राहुल गांधी द्वारा ट्विटर पर तस्वीर साझा करने पर लड़की की माँ को कोई आपत्ति नहीं है और इसी सहमति पत्र को सौंपने के कारण ही राहुल गांधी का खाता अनलॉक हुआ था।

परन्तु इस नए वीडियो के आने से और इस नए खुलासे इस मामले में एक नया ही मोड़ आ गया है। अब बच्ची की माँ कह रही है कि उन्होंने कोई सहमति पत्र नहीं दिया। और वह कह रही हैं कि ट्विटर पर उनकी तस्वीर साझा करने से पहले कोई इजाजत नहीं ली गयी। भाजपा इस बात को लेकर एक बार फिर से राहुल गांधी पर हमलावर हो गयी है क्योंकि इस वीडियो के आने से कई प्रश्न खड़े हो गए हैं कि क्या राहुल गांधी ने अपना ट्विटर खाता अनलॉक कराने के लिए झूठ बोला? और झूठा सहमति पत्र दायर किया?

सलीम का नाम मुख्य आरोपी के आने के बाद मामला हुआ ठंडा

इस मामले में एक मुख्य बात यह भी है कि जैसे ही मुख्य आरोपी के रूप में सलीम का नाम सामने आया, वैसे ही इस मामले पर शोर मचना बंद हो गया। दरअसल सलीम नाम का व्यक्ति राजू बनकर शमशान घाट में रह रहा था और वह पुजारी का ख़ास हो गया था। स्थानीय लोगों को भी उसका असली नाम नहीं पता था।

और जब पुलिस ने आरोपित का नाम राजू के स्थान पर “मोहम्मद सलीम” लिखा तो लोग चौंक गए थे, यहाँ तक कि शमशान घाट के ही लोग दंग रह गए थे। किसी को भी यह नहीं पता था कि पुजारी का ख़ास व्यक्ति राजू नहीं सलीम हो सकता है। अब लोगों के मन में यही प्रश्न है कि वह नाम बदल कर क्यों रह रहा था।

लिबरल मीडिया और लेखकों ने साधी चुप्पी:

जैसे ही सलीम का नाम मुख्य आरोपित के रूप में आया, वैसे ही लिबरल मीडिया का एक बड़ा धड़ा जो इस बलात्कार को लेकर बार बार फांसी की मांग कर रहा था, वह शांत हो गया। यहाँ तक कि राहुल गांधी एवं कांग्रेस के साथ ही दलितों के नाम पर रोटी सेंकने वाले सभी राजनेता शांत हो गए। क्या उनकी दृष्टि में सलीम द्वारा उस बच्ची का बलात्कार जायज है? क्या सलीम का नाम आते ही वह आन्दोलन करना या बलात्कारियों के लिए फांसी की मांग करना बंद कर देंगे?

दलितों के लिए आवाज़ उठाने का दावा करने वाले चन्द्रशेखर आज़ाद और भीम आर्मी शोर मचाने के लिए गई अवश्य थी, मगर सलीम का नाम सामने आते ही वह जैसे गायब हो गए हैं।

जैसे ही इस घटना में दलित पीड़ित और कथित रूप से शोषक पुजारी का नाम आया था वैसे ही सभी देश तोड़ने वाले एक्टिविस्ट न केवल सक्रिय हुए थे बल्कि उन्होंने इस मामले की तुलना हाथरस से कर दी थी। वही हाथरस वाला मामला, जो अभी अदालत में है।

लेकिन जहां हाथरस वाले मामले के लिए एक्टिविस्ट आदि ने एड़ी चोटी का जोर लगाया था कि लड़की को न्याय मिले, तो वहीं इस मामले में अब मांग उठनी बंद सी दिख रही है, और कारण शायद सभी को ज्ञात है!

फिर भी प्रश्न राहुल गांधी और कांग्रेस से यही है कि क्या उन्होंने उस बच्ची, उस बच्ची की माँ का प्रयोग अपनी राजनीति को चमकाने के लिए किया? क्या उन्होंनें अपना खाता अनलॉक कराने के लिए झूठ बोला?


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