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Saturday, April 20, 2024

जीसस के सन्देश को फैलाने के लिए मंदिरों के दानपत्र में यूज्ड कंडोम डालता था देवदास जॉन देसाई

कर्नाटक में एक व्यक्ति देवदास जॉन देसाई को मंगलुरु पुलिस ने मंदिरों में यूज्ड कंडोम डालने के आरोप में गिरफ्तार किया है। पुलिस कई दिनों से इसकी तलाश कर रही थी।

मंगलुरु में कई दिनों से मन्दिरों के दानपात्र में यूज्ड कंडोम डाले जाने की घटनाएं बढ़ गयी थीं और पांच मंदिरों के पुजारियों ने इसकी शिकायत की थी। पुलिस दोषी को पकड़ने में बार बार नाकाम हो रही थी। परन्तु पुलिस को अंतत; सफलता मिली जब 27 दिसंबर को कोराज्जना कत्ते गाँव में मंदिर में ऐसी ही घटना हुई और मंदिर प्रशासन ने सीसीटीवी फुटेज पुलिस को सौंपा और साथ ही आसपास के क्षेत्रों की जाँच की गयी, जिसमें देखा गया कि एक संदिग्ध व्यक्ति दानपात्र में कुछ डाल रहा है और उस जगह से जा रहा है।

पुलिस ने सूचित किया कि आरोपी केवल मंदिर ही नहीं बल्कि गुरुद्वारा और मस्जिद को भी अपवित्र कर चुका है।

पुलिस कमिश्नर शशिकुमार ने कहा कि “आरोपी अपने पिता की पीढी से ईसाई रिलिजन का अनुयायी है। वह कई साल पहले ही अपने बच्चे और बीवी को छोड़ चुका है और वह कट्टर ईसाई है।”

पुलिस का कहना है कि वह दुसरे लोगों को अपने रिलिजन मानने के लिए यह सब करता था। वह ईसाई रिलिजन को ही फैलाना चाहता था। वह एक ऑटो ड्राइवर का काम करता था, परन्तु बढ़ती उम्र के कारण उसका काम छूट चुका है। और अब वह अपनी आजीविका के लिए प्लास्टिक इकट्ठा करके कबाड़ में बेचता है।

आरोपी ने पुलिस को बताया कि वह इन पांच स्थानों के साथ ही कुल 18 स्थानों पर ऐसा कर चुका है। ‘

अब उसका एक वीडियो भी सामने आया है:

इसमें वह कह रहा है कि उसने यह काम जीसस के संदेशों को फ़ैलाने के लिए किया। उसने कहा कि वह पिछले पंद्रह वर्षों से जीसस के संदेश फैला रहा है। बाइबिल कहती है कि जीसस के अलावा कोई भगवान नहीं है और वह इसलिए यह कंडोम डालता था जिससे अशुद्ध उपहार अशुद्ध जगहों पर जाएं। उसने कहा कि उसे किसी भी तरह से किसी भी बात का पछतावा नहीं है। और उसने कहा कि गॉड ने उसे 70 सालों की ज़िन्दगी दी है, जिसमें से वह 62 साल का तो हो गया है।

हालांकि कई मामलों की तरह ऐसा भी कई लोग कह सकते हैं कि वह मानसिक बीमार हो सकता है, तो यह भी गलत निकला, जब उसने कहा कि वह मानसिक रूप से स्वस्थ है और वह सब कुछ पढलिख सकता था, वह पूछे जाने वाले सभी सवालों के जबाव दे रहा था और जिससे यह एकदम स्पष्ट होता है कि उसे इस विषय में तनिक भी संदेह नहीं था कि वह क्या कर रहा है? अर्थात उसने पूरे होशोहवास में यह काम किया था।

जीसस के सन्देश भी डालता था।

वह इनके साथ जीसस के सन्देश भी डालता था क्योंकि उसकी दृष्टि में बाइबिल और जीसस ही अंतिम सत्य हैं और वह चाहता था कि सभी जीसस के रस्ते पर चलें।

जनवरी और अप्रेल में भी यही घटनाएं हुई थीं

जनवरी में भी मंगलुरु में घृणा फैलाने वाले संदेशों के साथ यूज्ड कंडोम और जाली नोट तीन मंदिरों की हुंडियों से मिले थे, उस समय भी लोगों में बहुत गुस्सा फ़ैल गया था। और उन संदेशों में भी यही लिखा था कि “मुस्लिम और सुअर जैसे हिन्दू पीटे जाने चाहिए और मारे जाने चाहिए। जीसस क्राइस्ट ही एक मात्र ऐसे देवता हैं जिनकी पूजा की जानी चाहिए!”

उस समय भी बहुत हंगामा मचा था और अपराधियों को पकड़ने के लिए लोगों ने दबाव डाला था। अब ऐसा लगता है जैसे इसी ने यह सब किया होगा, जैसा वह स्वयं स्वीकार कर रहा है कि उसने 18 धार्मिक स्थानों पर यह किया है।

देवदास देसाई को हिन्दू समझकर कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर उपहास उड़ाया था

देवदास देसाई को हिन्दू समझकर कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर उपहास उड़ाना आरम्भ कर दिया था। परन्तु शीघ्र ही यह पता चल गया था कि यह काम किसी मतांतरित ईसाई का है।

ऐसे ही एक मामले में कोरगज्जा के मंदिर में कंडोम डालने वाले अब्दुल रहीम और अब्दुल तौफीक ने आत्मसमर्पण किया था

पाठकों को याद होगा कि मंगुलुरु में ईसाइयों के ही नहीं बल्कि मुस्लिमों के निशाने पर मन्दिर हैं, अप्रेल में एक ऐसा ही मामला सामने आया था जब अब्दुल रहीम और तौसीफ ने कोरगज्जा मंदिर में आकर क्षमा माँगी थी क्योंकि उन्होंने मंदिर के दानपात्र में कंडोम डाले थे और इसके दंड स्वरुप उनका एक साथी रहस्यमय स्थिति में मारा गया था। उसे खून की उल्टी हुई थीं और वह मारा गया था।

इससे वह दोनों डर गए थे और दोनों ने मंदिर आकर क्षमा याचना की थी और मंदिर प्रशासन ने उन्हें पुलिस को सौंप दिया था।

यह दोनों ही मामले यह बताते हैं कि अब्राह्मिक मजहब के निशाने पर हिन्दू और उनके मंदिर और उनकी शुचिता और पवित्रता है, जिसे भंग करने में दोनों ही लगे हुए हैं!

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