ऐसा कहा जाता है कि अगर आपको युवाओं को पथभ्रष्ट करना हो या उन्हें उनकी संस्कृति से काट देना हो, तो उन्हें व्यसनों में फंसा दीजिये। यह नीति हजारों वर्षों से चलती आ रही है, और हमारे आज के राजनैतिक दल भी इसका दुरूपयोग करने से पीछे नहीं हटते। हमारे देश में शराब और ड्रग्स की वजह से हर वर्ष लाखों लोगो को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है, लेकिन सरकारों के लिए यह राजस्व कमाने का एक बड़ा साधन है, इसलिए इनकी बिक्री पर किसी भी तरह की रोक लगाना असंभव सा ही है।
आम आदमी पार्टी ने देश से वैकल्पिक राजनीति लाने का वचन दिया था। पंजाब में चुनाव प्रचार करते समय यह आम आदमी पार्टी ही थी जो ड्रग्स की समस्या और युवाओ पर उसके पड़ते बुरे प्रभाव के बारे में मुखर थी। वह आम आदमी पार्टी ही थी जो अकाली नेता मजीठिया के पीछे पढ़ी हुई थी, वहीं बॉलीवुड फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ का पुरजोर समर्थन भी किया था, जो पंजाब में व्याप्त नशे के प्रभाव पर थी। अरविन्द केजरीवाल अपने आपको नशे के विरुद्ध इस लड़ाई में एक बड़े नेता के रूप में स्थापित करना चाहते थे।
कहते हैं शिकायत करना आसान है, लेकिन जब आप सत्ता में होते हैं, तब आप वही कदम उठाते हैं जिनका आप विरोध करते आ रहे थे। आम आदमी पार्टी ने भी वही किया जिसका वो इतने वर्षो से विरोध करते आ रहे थे। दिल्ली में सरकार बनाने के बाद आम आदमी पार्टी ने नई आबकारी नीति बनाने का आह्वान किया था, इसके कई फायदे भी बताये गए, और पिछले साल उन्होंने इस नीति को लागू भी कर दिया। पहले ही दिन से यह नीति जबरदस्त विरोध का निशाना बन गयी।
नई नीति लागू होने के बाद दिल्ली शराब के शौकीनों के लिए सबसे पसंदीदा जगह बन गयी है । दिल्ली में नई आबकारी नीति लागू होने के बाद, कई सारे शराब के ठेकों पर, बड़े डिस्काउंट पर शराब बेची जा रही है। कई सारे ठेके तो ऐसे हैं जहां पर एक पर एक शराब मुफ्त भी मिल रही है। हालांकि नयी नीति के बाद जिस तेजी से शराब की दुकानें खुलना शुरू हुई थी, उतनी ही तेजी से उनके बंद होने का भी सिलसिला शुरू हो गया है।
जानिये क्यों आपत्तिजनक है आम आदमी पार्टी की आबकारी नीति
दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति का विरोध किया जा रहा है, और इसके कुछ कारण भी हैं।
- नई नीति के अनुसार मात्र प्राइवेट संस्थान को ही दिल्ली में शराब बेचने का अधिकार होगा।
- इस नीति के अनुसार रिहायशी इलाकों, धार्मिक स्थलों और शिक्षण संस्थानों के आसपास शराब की नई दुकानें खोलने की अनुमति दे दी गयी है।
- नई आबकारी नीति के अनुसार सुबह तीन बजे तक शराब बेचने की अनुमति दे दी गयी है।
- खपत बढ़ाने के लिए छोटे छोटे पैक में भी शराब की उपलब्धता हो गयी है।
- खपत बढ़ाने के लिए असाधारण रूप से बहुत ज्यादा छूट देने का प्रावधान दिया गया है।
- इस नीति में पैसे तय करने से लेकर ब्रांड तय करने के अधिकार भी प्राइवेट ठेकदारों के पास होंगे।
- पहले शहर में ढाई सौ प्राईवेट ठेके थे अब उनकी संख्या बढ़कर 850 हो जाएगी।
- अगर बैंक्वेट हॉल, बार, एयरपोर्ट या बाकी जगह जहां शराब के ठेके खुले जाएंगे तो ये संख्या बढ़कर लगभग तीन हजार हो जाएगी।
दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति ने दिल्ली में मचाया बवाल
दिल्ली सरकार ने अपनी नई आबकारी नीति को क्रांतिकारी बता कर प्रचारित किया। हालांकि इस नीति के लागू होने के बाद से ही दिल्ली में बवाल मचा हुआ है। आम दिल्ली वाले अपने रिहायशी इलाकों और धार्मिक स्थलों के आस पास शराब के ठेके खोले जाने पर क्रुद्ध हैं और इसका जोरशोर से विरोध भी कर रहे हैं। रिहायशी इलाकों में शराब के ठेके खोलने से समाजिक विवाद भी उत्पन्न हो रहे हैं। जहाँ शराब पीने के बाद गली मोहल्लों में लोगो के बीच हिंसात्मक घटनाएं हो रही हैं, वहीं अन्य क्षेत्रों में वातावरण भी प्रदूषित हो रहा है। विशेषकर महिलाओं ने इस नीति के विरुद्ध मोर्चा संभाल लिया है और ठेकों पर लगभग रोजाना ही धरने प्रदर्शन किये जा रहे हैं।
दिल्ली सरकार ने धार्मिक स्थलों के आस पास शराब के ठेके खोल कर इन स्थानों की पवित्रता के साथ खिलवाड़ भी किया है। उदाहरण के लिए तिलक नगर में 2 गुरुद्वारों के मध्य में शराब की दुकान मिल जाएगी। ऐसे ही दिल्ली के कई अन्य धार्मिक स्थलों के आस पास शराब के ठेके खुल गए हैं, जिससे वहां का वातावरण भी प्रदूषित होने लगा है। दिल्ली सरकार को यह समझना चाहिए कि धर्म की एक मर्यादा होती है, जिसे केजरीवाल सरकार ने तोड़ा है और फिर वह ‘नशा मुक्त’ पंजाब का वादा करते हैं।
नई आबकारी नीति लागू होने के बाद दिल्ली में जितनी तेजी से शराब की दुकानें खुलना आरम्भ हुई थी, अब उतनी ही तेजी से उनके बंद होने का क्रम भी शुरू हो गया है। आबकारी विभाग के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में 32 में से 9 इलाकों के शराब डीलरों ने दुकान बंद करने की मांग की है। आबकारी विभाग की सूची में अब दिल्ली में केवल 464 शराब की दुकानें बची रह गई हैं, जबकि नई नीति के अनुसार 849 दुकानों को लाईसेंस दिया गया था। जिनमें से मई तक केवल 639 दुकानें ही खुली रह गई हैं, ढेरों शराब दुकानदारों ने लाइसेंस सरेंडर करने का फैसला किया है।
जहाँ शराब पर भारी डिस्काउंट दिए जाने से ग्राहकों को जबरदस्त लाभ हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ शराब डीलरों के लिए यह घाटे के सौदा साबित हो रहा है। विदेशी और आयातित शराब पर एक के साथ एक बोतल मुफ्त दी जा रही है, इससे शराब की बिक्री तो बढ़ रही है, लेकिन शराब व्यवसाइयों को भारी घाटे का सामना करना पड़ रहा है, और यही कारण है कि दिल्ली के 32 में से नौ जोन में डीलरों ने अपने व्यापार को जारी रखने में असमर्थता जताई है। जो दुकानें चल भी रही हैं, वहां स्टॉक की भारी कमी भी देखी जा रही है।
अंत में हम बस यही कहना चाहेंगे कि अपने आपको शुचता और राजनीतिक ईमानदारी का पर्याय बताने वाली आम आदमी पार्टी और उसके नेता अरविन्द केजरीवाल ने अपनी नई आबकारी नीति की वजह से दिल्ली में सामाजिक और आर्थिक समस्याओं का मकड़जाल बुन लिया है। विडम्बना यह है कि राजनीतिक पार्टियों और सरकारों को ऐसे निर्णयों कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन यह जनता ही होती है जो इनके दुष्परिणाम भुगतेगी।