उत्तर प्रदेश में चुनावों को लेकर अब नए नए दांव खेले जा रहे हैं। कांग्रेस का लड़की हूँ लड़ सकती हूँ, का आयोजन भी चर्चा में है। परन्तु कांग्रेस के इस आयोजन को लेकर अब कई नए नए विवाद सामने आ रहे हैं। कोरोना काल में बिना मास्क के या बिना कोविड प्रोटोकॉल के बच्चियों की मैराथन कराई जा रही है, अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के लिए हर प्रकार के ऐसे कदम उठाए जा रहे हैं, जिससे संक्रमण भी बढ़ने का खतरा है।
बरेली से एक ऐसा ही वीडियो सामने आया है, जिसमें कांग्रेस के इस आयोजन में बच्चियों के बीच भगदड़ मच गयी और कई लडकियां गिर गईं और कई घायल हो गईं।
हालाँकि पुलिस के अनुसार भगदड़ मच गयी थी और तीन लड़कियों को हल्की चोट आई है।
परन्तु सबसे मजे की प्रतिक्रिया कांग्रेस की नेता की ओर से आई है, जहाँ पर उन्होंने दिल्ली की मीडिया की असलियत बता दी। कांग्रेस की नेता का कहना है कि वह मीडिया में रह चुकी हैं और वह बात करती रहती हैं, दिल्ली में! अन्दर ही अन्दर सारे मीडिया वाले कांग्रेसी हैं, मैं जानती हूँ कि सारा मीडिया चाहता है कि कांग्रेस वापस आए!
और इतना ही नहीं, वह इतनी असंवेदनशील हैं, कि उन्होंने वैष्णों देवी मंदिर में हुई दुर्घटना को जोड़ते हुए कहा कि अभी वैष्णों देवी में क्या हुआ? आगे निकलने की ह्यूमेन टेंडेंसी होती है!
पत्रकार और राजनेता होने के नाते शब्दों की महत्ता सुनीता एरेन को नहीं पता होगी, ऐसा हो नहीं सकता है, परन्तु फिर भी उन्होंने कहा कि दिल्ली का मीडिया दिल से कांग्रेसी है और मीडिया चाहता है कि कांग्रेस वापस आ जाए!
वैसे दिल्ली के मीडिया के विषय में वह गलत नहीं कह रही हैं, क्योंकि दिल्ली की मीडिया का एक बड़ा वर्ग चुनावों के समय पूरी तरह से कांग्रेसी खेमे में परिवर्तित हो जाता है। हमने देखा था कि कांग्रेस का प्रचार करती हुई आज तक की पत्रकार मौसमी पकड़ी गयी थीं, वह कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को यह समझती हुई दिखाई दे रही थीं कि कैसे उन्हें क्या बोलना है:
रविश कुमार के भाई तो कांग्रेस के नेता है, वह चुनाव लड़ चुके हैं और इतना ही नहीं, उनपर यौन शोषण के आरोप भी हैं।
यह केवल एक या दो पत्रकार हैं, वैसे ऐसे ही कई पत्रकार हैं, जो भारतीय जनता पार्टी के हारने पर जश्न मनाते हैं, और कांग्रेस के विषय में प्रचार करते हुए पाए जाते हैं।
झांसी में भी लड़कियों ने आरोप लगाए थे
झांसी में भी इस आयोजन में लड़कियों ने अनियमितता के आरोप लगाते हुए कहा था कि दूसरी लड़कियों को इनाम दे दिया गया, जो कांग्रेसी आयोजकों के परिवार की लडकियां थीं।
लड़कियों ने कहा कि लड़कियों को मैराथन में दौड़ाया बहुत, मगर पुरस्कारों के समय दूसरे लड़कियों को आगे कर लिया। लड़कियों ने प्रश्न किया कि क्या हम केले खाने आए हैं?
इतना ही नहीं, झांसी में लड़कियों के साथ अभद्रता भी हुई थी और साथ ही लड़कियों ने मोदी जी, और योगी जी के नारे लगाए थे:
प्रश्न यही उठता है कि जब कोरोना के चलते नेता संक्रमित होते जा रहे हैं, यहाँ तक कि प्रियांका गांधी के परिवार के सदस्य और एक स्टाफ कोरोना पोजिटिव हो गया है, और उन्होंने खुद कहा कि हालांकि वह निगेटिव हैं, परन्तु डॉक्टर ने सलाह दी है कि मैं एकांत में रहूँ और कुछ दिन बाद फिर से टेस्ट कराऊँ!
ऐसे में यह प्रश्न उठता है कि क्या दिल्ली का दिल से कांग्रेसी मीडिया यह प्रश्न करेगा कि आखिर वह इन बच्चियों को अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के चलते बलि क्यों चढ़ा रही हैं?
जब बच्चों के लिए वैक्सीन लगाने का समय है और इन बच्चियों को क्या अभिभावकों की मर्जी से लाया जा रहा है या फिर स्कूल की ओर से? क्या स्कूटी और फोन के लालच में यह बच्चियां आ रही हैं?
आखिर क्यों प्रियांका गांधी इन बच्चियों को अपनी चुनावी बिसात पर मोहरा बना रही हैं? और मीडिया भीड़ दिखा रही है, परन्तु अपनी प्रिय कांग्रेस से प्रश्न नहीं कर रही है! आखिर क्यों कांग्रेस की नेता के इस कथन का खंडन कोइ दिल्ली मीडिया नहीं कर रहा है कि “दिल्ली में मीडिया यही चाहती है कि कांग्रेस वापस आए!”