हिन्दुओं को असहिष्णु बताने के चक्कर में अपने आप ही इस्लामी प्रोपोगैंडा को दुनिया भर के सामने ला बैठीं जैनब सिकंदर! भाजपा और मोदी एवं संघ से अपनी घृणा के चलते लेखिका जैनब सिकंदर ने यह प्रमाणित करने का प्रयास किया कि मुस्लिम तो सदा से ही दीपावली मनाते हुए आए हैं, परन्तु इस बार उन्हें संघियों को यह साबित करने के लिए तस्वीर पोस्ट करनी पड़ रही है।
हालांकि यह पोस्ट उन्होंने संघियों या कहें हिन्दुओं को असहिष्णु प्रमाणित करने के लिए की थी, परन्तु उनके पीछे इस्लामी कट्टरपंथी पड़ गए और लगभग सभी ने यही प्रमाणित किया कि इस्लाम में शिर्क हराम है!
कट्टरपंथियों ने कहा कि मुस्लिम होकर कोई दीपावली कैसे मना सकता है?
जहाँ एक ओर कट्टरपंथी इस्लामी एक और हिन्दुओं से घृणा करने वाली अपनी ही जैनब सिकंदर के पीछे पड़े थे, तो वहीं शेखर गुप्ता का द प्रिंट, जिसने अभी हाल ही में यह पूर्णतया प्रमाणित करने का प्रयास किया था कि क्यों हिन्दू होने का अर्थ है, नमाज को होने देना।
यहाँ पर गुरुग्राम में हुए हालिया विवाद में, मामला सार्वजनिक और सरकारी भूमि पर होने वाली नमाज का था, नमाज का नहीं। किसी भी हिन्दू को, नमाज से आपत्ति नहीं है। हिन्दुओं को आपत्ति है, नमाज के बहाने सार्वजनिक स्थानों पर होने वाले अवरोधों से!
मजे की बात है कि हिन्दुओं की समस्या को अनदेखा किया गया और इस लेख में बड़ी ही चतुराई से हिन्दुओं को नमाज का विरोधी बता दिया है। जबकि हिन्दुओं ने कभी भी नमाज का विरोध नहीं किया है, बल्कि कई ऐसे अवसर आए हैं, जब हिन्दुओं ने अपने मंदिर तक नमाज के लिए खोल दिए हैं। परन्तु स्वभाव से उदार एवं सभी को स्वीकार करने वाले हिन्दुओं की सीमा तब चूक जाती है, जब वह देखता है कि सार्वजनिक स्थानों पर नमाज पढ़ी जा रही है और फिर उनकी असुविधाओं का ध्यान नहीं रखा जा रहा है।
क्या किसी की प्रार्थना एक बड़े समुदाय की असुविधा की कीमत पर हो सकती है? गुरुग्राम में मुस्लिम व्यापारी भी इस कारण व्यापार प्रभावित होने की बात कर रहे हैं।
उसी द प्रिंट में आज जब यह लेख लिखा जा रहा था कि मुग़ल बादशाह कैसे दीपावली मनाते थे, अर्थात उन्होंने स्वीकार कर लिया था इस पर्व को, उसी समय द प्रिंट में ही स्तंभकार जैनब सिकंदर को इस्लामी कट्टरपंथी यह कहते हुए घेर रहे थे कि इस्लाम में शिर्क गुनाह है।
यदि इस्लाम में शिर्क गुनाह है, जैसा कुरआन में कहे जाने का यह लोग दावा कर रहे हैं, तो क्या राना सैफ्वी मुगलों के बारे में लिख रही थीं, वह शिर्क के बारे में लिख रही थीं?
मुगल दीपावली कैसे मनाते थे, या फिर कैसे नहीं मनाते थे, इससे कोई विशेष अंतर इसलिए नहीं पड़ता है क्योंकि मुगलों ने हिन्दुओं को जो घाव दिए हैं, उन्हें भरा नहीं जा सकता है।
बाबर से लेकर अकबर और औरंगजेब तक हिन्दुओं की हत्याएं की गयी और उनके पापों को इसलिए अनदेखा नहीं किया जा सकता है कि वह कथित रूप से सैनिकों को दशहरा या दीपावली मनाने देते थे।
मुग़ल कथित रूप से कितने सहिष्णु थे बाबर द्वारा हिन्दुओं के सिरों की मीनारे बनाने से, हुमायूँ द्वारा रानी कर्णवती की सहायता के लिए न पहुँचने और अंतत: जौहर करने, अकबर द्वारा हजारों किसानों की हत्या करने से और जहाँगीर द्वारा वराहअवतार की प्रतिमा तोड़ने से, और औरंगजेब द्वारा तमाम मंदिरों को तोड़े जाने और दीपावली पर आतिशबाजी पर प्रतिबन्ध लगाने से पता लग जाता है।
और वह कितने सहिष्णु थे, यह आज कट्टरपंथी इस्लामी तत्वों द्वारा सारा अली खान की लिंचिंग से दिखाई दे जाता है। सारा अली खान केदारनाथ गयी थीं, और उन्होंने जब वहां की तस्वीरें पोस्ट की थीं, तो उनकी जो आलोचना की गयी, वह हमने अपने पहले के लेख में साझा की है।
अब जब जैनब सिकंदर जो भाजपा और संघ को मुस्लिमों के प्रति असहिष्णु दिखाने का प्रयास कर रही थीं, वह स्वयं ही अपने बुने जाल में फंस गईं और धोखे से ही सही उन्होंने उस पूरे एजेंडे और प्रोपोगंडा को जनता के सामने सोशल मीडिया पर रख दिया, जिसे ढाकने का प्रयास एक विशेष वर्ग द्वारा किया जाता रहा है और अभी तक किया जा रहा है।
यहाँ यह याद रखने की आवश्यकता है कि दीपावली पूर्णतया धार्मिक त्यौहार है, और इसकी धार्मिक प्रासंगिकता है। कोई भी पर्व धार्मिकता से परे नहीं होता। दीपावली का पर्व प्रकाश का पर्व इसीलिए है क्योंकि हिन्दू प्रभु श्री राम जी के अयोध्या आगमन पर स्वागत करते हैं। मात्र फुलझड़ी जलाना दीपावली नहीं है बल्कि दीपावली का अर्थ है प्रभु श्री राम जी की पूजा करना, उनका स्वागत करना। समस्या कुबुद्धिजीवियों के साथ यह है कि इनका इतिहास बाबर के साथ आरम्भ होता है और कांग्रेस में गांधी परिवार पर आकर समाप्त!
जबकि इनके अपने ही लोग उस झूठे एजेंडे को सामने ले आते हैं, जो यह बड़े यत्न से सालों साल तक गढ़ते हैं। आज जैनब सिकंदर द्वारा फैलाए गए झूठ कि मुस्लिम दीपावली मनाते हैं, की पोल उनके ही मजहब वालों ने खोल दी। एक यूजर ने लिखा कि इस्लाम “ला इलाहा इल्लाह” के साथ शुरू होता है, ईमान से आप अल्लाह के पास जाते हैं। इसलिए मुस्लिम दिवाली नहीं मनाते हैं:
एक यूजर ने लिखा कि हम अल्लाह में यकीन रखते हैं और दूसरे के त्यौहार और दूसरे धर्म की विशेषताओं को अपनाना हराम है
नितिन निमकर नामक एक यूजर ने प्रश्न किया कि यदि वह दिवाली के लिए इतनी ही समर्पित है तो उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का विरोध क्यों किया क्योंकि दीपावली तो राम जी के आगमन का ही पर्व है?
तो वहीं A girl with ImAan नामक यूजर ने लिखा कि कई भारतीय मुस्लिमों को शिर्क के बारे में पता नहीं है,
कई यूजर्स ने जैनब की आलोचना वाले ट्वीट भी साझा किए और उन्हें उसी हिसाब से घेरा जैसा वह घेरती हैं।
कुल मिलाकर द प्रिंट की स्तंभकार जैनब ने हिन्दुओं और संघियों को घेरने के अपने असफल प्रयास में झूठ की परतें उधेड़ दीं, जो द प्रिंट और वह स्वयं एवं कई लिब्रल्स अब तक परोसते हुए आ रहे थे!